प्रयागराज: यूपी बोर्ड ने कोरोना काल में पढ़ाई से वंचित हो रहे अपने सवा करोड़ स्टूडेंट्स के लिए पिछले महीने से टीवी चैनल्स के ज़रिये वर्चुअल क्लास की शुरुआत की है. बोर्ड की इस पहल का ज़बरदस्त रिस्पांस भी देखने को मिल रहा है. रोज़ाना लाखों की संख्या में बच्चे दूरदर्शन और स्वयंप्रभा चैनल पर वर्चुअल क्लास कर अपना भविष्य संवारने में लगे हुए हैं, लेकिन बोर्ड की इस पहल को बिजली विभाग बड़ा झटका दे रहा है. जिस वक़्त चैनल्स पर नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों की वर्चुअल क्लास चलती है, उस वक़्त आम तौर पर बिजली गुल रहती है. शहरी इलाके में बिजली कम झटका देती है, जबकि ग्रामीण इलाके में तो बुरा हाल है.


बिजली गुल रहने से वर्चुअल क्लास की मुहिम पर पड़ रहे असर का अंदाजा अब शिक्षा विभाग के अफसरों को भी लग चुका है, लिहाजा अफसरों ने अब पावर कार्पोरेशन के ज़िम्मेदार लोगों को औपचारिक तौर पर चिट्ठी भेजकर उनसे रोस्टर की टाइमिंग बदलने और वर्चुअल क्लास के वक्त कटौती नहीं किये जाने की गुहार लगाई है. शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ ही स्टूडेंट्स और अभिभावक भी चाहते हैं कि इस मामले में सीधे तौर पर सरकार को भी दखल देना चाहिए, ताकि सवा करोड़ के करीब बच्चों की पढ़ाई और उनका भविष्य बर्बाद होने से बच जाए. संगम नगरी प्रयागराज का शहरी इलाका बिजली कटौती से मुक्त है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में यहां भी दिन भर बिजली कटी ही रहती है और इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है.


यूपी बोर्ड के स्कूल भी मार्च महीने से ही बंद हैं


दरअसल, कोरोना काल में यूपी बोर्ड के स्कूल भी मार्च महीने से ही बंद हैं. स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई ठप्प है. बोर्ड ने जुलाई महीने से ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था शुरू कराई लेकिन वहां भी एक पेंच फंस गया. दरअसल यूपी बोर्ड की नौवीं से बारहवीं क्लास तक के तकरीबन सवा करोड़ बच्चों में से ज़्यादातर ग्रामीण परिवेश से आते हैं. इनमे से तमाम लोग गरीब या लोअर मिडिल क्लास के होते हैं. ऑनलाइन क्लास शुरू होने के बाद हुए सर्वे में यह सच्चाई सामने आई कि एक तिहाई से ज़्यादा बच्चों के परिवार में न तो एंड्राइड फोन है और न ही इंटरनेट कनेक्शन. इसके बाद बोर्ड ने दूरदर्शन व स्वयंप्रभा चैनल्स पर वर्चुअल क्लास चलाने का फैसला किया. इसके लिए एनसीईआरटी के एक्सपर्ट की मदद ली गई. ग्राम पंचायतों व कम्युनिटी सेंटर्स को हिदायत दी गई कि जिन बच्चों के घर में टीवी नहीं हैं, उन्हें वहां टीवी के ज़रिये पढ़ाई कराने की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए. इन व्यवस्थाओं से ज़्यादातर बच्चों की पढ़ाई शुरू हो जानी थी, लेकिन बिजली का करंट सवा करोड़ स्टूडेंट्स और उनके परिवार वालों के साथ ही यूपी बोर्ड को भी झटका दे रहा है.


ग्रामीण इलाकों में रोस्टर के हिसाब से बिजली दी जाती है


यूपी में छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रोस्टर के हिसाब से बिजली दी जाती है. ज़्यादा प्रयास यह होता है कि शाम को अंधेरा होने के बाद कटौती कतई न की जाए, इसलिए ज़्यादातर दिन के वक्त ही कटौती की जाती है. यूपी में पिछले एक महीने में काफी कम बारिश हुई है. ऐसे में गर्मी बढ़ने से बिजली की डिमांड ज़्यादा बढ़ गई है. इस वजह से बोर्ड की वर्चुअल क्लास की मुहिम अपने अंजाम तक पहुंचती नहीं दिखाई दे रही है. प्रयागराज मंडल में माध्यमिक शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राज कुमार विश्वकर्मा ने तो बिजली विभाग के अफसरों को तो इस समस्या को लेकर चिट्ठी तक लिख दी है. उनका कहना है कि बिजली गुल रहने से वर्चुअल क्लास का मकसद पूरी तरह अंजाम तक नहीं पहुंच पा रहा है.


प्रयागराज के ढरहरिया इलाके के बच्चे ममता, शालू और लकी कुमार भी अपने घर में शोपीस बने टीवी सेट के सामने पसीने में लथपथ होकर पढ़ाई करते नज़र आए. इनके अभिभावक विनोद कुमार का कहना है कि बिजली ज़्यादातर उसी वक्त गायब होती है, जब टीवी पर वर्चुअल क्लास का समय होता है. समाजसेवी और पार्षद नितिन यादव ने सरकार से रोस्टर का समय बदलने और दोपहर से शाम के बीच कटौती नहीं करने की अपील की है.


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