प्रयागराज में संतों ने की सरकार से अपील, राम मंदिर के लिए चुना जाए वीएचपी का मॉडल
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर निर्माण में वीएचपी के मॉडल को अपनाया जाना चाहिए। अगर वीएचपी का मॉडल अपनाया गया तभी हम मंदिर जाएंगे वरना सरयू का दर्शन कर अयोध्या से वापस लौट आएंगे।
प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से ट्रस्ट की घोषणा से ठीक पहले प्रयागराज में संतों ने बैठक कर राम मंदिर के मॉडल को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। विश्व हिंदू परिषद की तरफ से आयोजित 2 दिवसीय संत सम्मेलन में सभी संतों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि प्रस्तावित राम मंदिर के लिए वीएचपी के लोकप्रिय मॉडल को ही चुना जाए। इस बैठक की खास बात यह रही कि बीजेपी के विरोधी माने जाने वाले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी और वीएचपी की विरोधी माने जाने वाले निर्मोही अखाड़े की तरफ से सतुआ बाबा ने हिस्सा लिया।
राम मंदिर को लेकर अगले कुछ दिनों में केंद्र सरकार को ट्रस्ट की घोषणा करनी है। इससे ठीक पहले साधु संतों ने वीएचपी के साथ खड़े होकर सरकार पर ट्रस्ट और मॉडल को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ट्रस्ट को लेकर कुछ संतों का कहना है कि राम जन्मभूमि न्यास को ट्रस्ट घोषित कर सरकार को न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपास दास को ही सर्वेसर्वा घोषित कर देना चाहिए। वहीं, वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि ट्रस्ट बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है, ऐसे में सरकार खुद समझदार है और वही तय करेगी कि राम जन्मभूमि न्यास को ट्रस्ट माना जाए या फिर नया ट्रस्ट बनाया जाए। हालांकि राम मंदिर के मॉडल को लेकर सबने एक सुर में वीएचपी के प्रस्तावित मॉडल को ही अपनाने पर सहमति बनाई।
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर निर्माण में वीएचपी के मॉडल को अपनाया जाना चाहिए। अगर वीएचपी का मॉडल अपनाया गया तभी हम मंदिर जाएंगे वरना सरयू का दर्शन कर अयोध्या से वापस लौट आएंगे। नागरिकता कानून को लेकर जो विरोध चल रहा है वो देश को तोड़कर एक नया पाकिस्तान बनाने की साजिश है। विरोध करने वालों को यह समझना चाहिए कि यह 1947 नहीं बल्कि 2020 है। नागरिकता कानून नहीं बदलेगा चाहे किसी को पाकिस्तान जाना हो तो वो चला जाये।
वीएचपी की बैठक में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण करने को कहा है, ऐसे में हम साधु संत चाहते हैं नृत्य गोपाल दास जी को ट्रस्ट के अध्यक्ष बनाया जाए। नागरिकता कानून को लेकर यूपी में जो हिंसा हुई उसमें किसी न किसी की साजिश जरूर है। हिंसा करने वालों पर कार्रवाई होने की वजह से महिलाओं को आगे किया गया। अब धरना करने वाली मजिलाओं को रात को बिरयानी पहुंचाई जा रही है। ये सब कुछ सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। हम पूछते हैं कि अगर आप भारत में रह रहे हैं तो अपना पहचान पत्र दिखाने में दिक्कत क्या है।
पाकिस्तान में सताए गए हिन्दू को यहां रखे जाने से यहां मुस्लिमों को दिक्कत क्या है। संतों को जरूरत है कि गांव-गांव जाकर लोगों को समझाया जाए कि नागरिकता कानून राष्ट्रहित में है। इसका विरोध करने वालों को जेल में डाल दिया जाना चाहिए। भारत में रहकर भारत के कानून का विरोध करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिये। सरकार को धर्मांतरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अखाड़ा परिषद विश्व हिंदू परिषद के साथ खड़ा है। राम जन्मभूमि न्यास ने मंदिर बनाने का प्रारूप सरकार को दे दिया है। विश्व हिंदू परिषद के मॉडल के अनुरूप ही मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
निर्मोही अखाड़े का विश्व हिंदू परिषद से मतभेद बहुत पुराना है। हालांकि, बैठक में निर्मोही अखाड़े की तरफ से वाराणसी के सतुआ बाबा पीठ के महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे। सतुआ बाबा ने कहा कि संतों में अब एक राय यही बनी है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वीएचपी ने जो मॉडल 30 वर्ष पहले तैयार किया था, वो मॉडल ही सरकार को मंदिर निर्माण के लिए स्वीकार करना चाहिए। साथ ही ट्रस्ट में नृत्य गोपाल दास जी को अध्यक्ष बनाने पर भी सतुआ बाबा ने अपनी सहमति दी। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नए मॉडल और रामालय ट्रस्ट के बयान पर सतुआ बाबा ने कहा कि जो खुद अपनी पीठ का मुकदमा लड़ रहा हो वो क्या कुछ कह सकता है।
संत समिति के अध्यक्ष कन्हैया दास जी महाराज ने कहा कि 2 दिन की बैठक में यह तय हुआ है कि सरकार को राम जन्मभूमि न्यास को ट्रस्ट मानकर मंदिर निर्माण की ज़िम्मेदारी देना चाहिए। साथ ही जो वीएचपी का प्रस्तावित मॉडल है, उसी मॉडल पर मंदिर निर्माण हो यह सुनिश्चित करना चाहिए। कन्हैया दास ने भी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान को ख़ारिज करते हुए कहा कि जिसने मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष किया, आज उसी वीएचपी को मौका दिया जाना चाहिए।
ऐसे में जाहिर है कि संतों में अब ट्रस्ट और मॉडल को लेकर धीरे-धीरे एक राय बनने लगी है। अविमुक्तेश्वरानंद को छोड़कर ज़्यादातर बड़े संत वीएचपी के मॉडल को ही राम मंदिर के लिए उपयुक्त मान रहे हैं। साथ ही ट्रस्ट को लेकर भी सबमें एक उत्सुकता है कि कौन सा ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण कराएगा। क्या राम जन्मभूमि ट्रस्ट को मौका मिलेगा या सरकार नया ट्रस्ट घोषित करेगी। तो कई तरह के सवाल हैं जिनका जवाब आने वाले कुछ दिनों में तब मिलेगा जब केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण की घोषणा करेगी।