लखनऊ, एबीपी गंगा। विवेक तिवारी हत्याकांड में सहआरोपी रहे सिपाही संदीप कुमार को जमानत मिल गई है। हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एसआईटी जांच के आधार पर सिपाही को जमानत दे दी है। वहीं, मुख्य आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी के जमानत पर 21 अप्रैल को बहस होनी है। बीते साल 2018 को विवेक तिवारी हत्याकांड ने उत्तर प्रदेश पुलिस के लगातार एनकाउंटर से बनी सिंघम पुलिस की छवि को मटियामेट कर वसूलीबाज पुलिस का नाम दे दिया था। इस हत्याकांड ने पूरे विभाग और समूची सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया था।



21 अप्रैल को मुख्य आरोपी की जमानत पर होगी बहस


दरअसल, एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर मामले की विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर महानगर ने प्रशांत चौधरी के खिलाफ हत्या के आरोप में चार्जशीट दाखिल की, जबकि संदीप कुमार को हत्या के मामले में क्लीन चिट दे दी। जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान बड़ी राहत देते हुए अदालत ने हआरोपी रहे सिपाही संदीप कुमार को जमानत दे दी। बता दें कि विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना तिवारी की याचिका पर जमानत पर रिहा हुए संदीप कुमार को जेल भेज दिया गया था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने जमानत को मंजूर कर लिया है। वहीं, हत्या का मुख्य आरोपी प्रशांत चौधरी फिलहाल लखनऊ जेल में बंद है, जिसकी जमानत पर आगामी 21 अप्रैल को बहस होगी।




तारीख...29 सितंबर 2018...स्थान...लखनऊ


29 सितंबर 2018, ये वहीं तारीख थी और रात के करीब डेढ़ बज रहे थे, जब यूपी पुलिस की साख पर बट्टा लगाने वाला विवेक तिवारी हत्याकांड हुआ। एपल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी के हत्याकांड पूरे पुलिस महकमे को बैकफुट पर ले आई।



क्या है पूरा मामला


दरअसल, दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी एपल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी रात डेढ़ बजे के करीब अपनी एसयूवी गाड़ी से घर जा रहे थे। विवेक अपने दफ्तर की पार्टी से अपनी महिला दोस्त सना के साथ घर जाने के लिए निकले थे। उस वक्त ये बात सामने आई थी कि विवेक तिवारी अपनी दोस्त सना के साथ गोमतीनगर के शहीद पथ अंडर पास टर्न के पास पहुंचे, तभी अचानक गश्त पर निकले गोमतीनगर थाने के सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार सामने आ गए। पहले प्रशांत चौधरी ने बाइक से उतरते ही विवेक तिवारी की तरफ अपनी सरकारी पिस्टल तान दी और कुछ सेकेंड बाद गोली चला दी। गोली की आवाज सुनते ही विवेक ने अपनी एसयूवी आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन शहीद पथ अंडर पास के पास विवेक की गाड़ी टकराकर पलट गई। घटना की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस वैन घायल विवेक को लेकर लोहिया अस्पताल पहुंची, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।



पुलिस का कहना कुछ और


हालांकि, इस मामले में पुलिस का कहना कुछ और था। हालांकि प्रशांत चौधरी पर इस मामले में झूठ बोलने के आरोप लगे हैं। आरोपी प्रशांत ने अपनी दलील में बताया कि रात के अंधेरे में जब उसने विवेक तिवारी को रोकने की कोशिश की, तो विवेक तिवारी ने उसकी बाइक में टक्कर मार उन्हें कुचलने का प्रयास किया और तब उन्हें आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।


मामले के तूल पकड़ने के बाद अगले दिन सरकार और पूरा पुलिस महकमा बैकफुट पर आ गया। आनन फानन में दोनों आरोपी सिपाहियों को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। लेकिन इस घटना से पुलिस महकमे के अंदर सिपाही दरोगा का गुस्सा उबाल मारने लगा। लखनऊ से लेकर नोएडा तक तमाम पुलिस कर्मियों ने कालीपट्टी बांधकर इस कार्रवाई का विरोध किया। साथी पुलिस कर्मियों की मांग थी कि गश्त कर रहे प्रशांत और संदीप ने आत्मरक्षा में गोली चलाई।



उस वक्त डीजीपी ओपी सिंह से लेकर सीएम तक पुलिस और पब्लिक के दबाव में थे। विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना तिवारी ने यूपी पुलिस पर सीधे वसूली के लिए उनके पति की हत्या का आरोप लगाया। बिगड़ते हालात देखते हुए सरकार ने मामले की जांच के लिये तत्कालीन आईजी रेंज सुजीत पांडे के नेतृत्व में एसआईटी के गठन का ऐलान कर दिया। सुजीत पांडे ने मामले की जांच में फारेंसिक टीम की मदद से रियल टाइम पर सीनक्रियेशन करवाया।आरोपी सिपाहियों को घटनास्थल पर लाकर घटना के हालात पर पूछताछ की गई। विवेक तिवारी और आरोपी सिपाहियों के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल खंगाली गई। पुलिस के मोटरट्रेनिंग विभाग से विवेक तिवारी की गाड़ी में लगी गोली और सिपाहियों की क्षतिग्रस्त हुई बाइक का टेक्निकल मुआयना किया गया और 81 दिन की मशक्कत के बाद एसआईटी ने डीजीपी को अपनी रिपोर्ट सौंपी।


एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में अकेली च्शमदीद सना के बयान आदि की मदद से प्रशांत चौधरी को विवेक तिवारी की हत्या का सीधे दोषी बताया गया, लेकिन दूसरे सिपाही संदीप कुमार को हत्या के आरोप से क्लीनचिट दे दी। रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि प्रशांत चौधरी ने जान बूझकर पहले विवेक तिवारी की तरफ पिस्टल तानी, पिस्टल का सेफ्टी कैच हटाया, पिस्टल काक की और गोली चला दी। वहीं, संदीप पर सिर्फ सना को डंडा मारने का दोषी बताया गया। एसआईटी ने इस मामले में तत्कालीन सीओ गोमतीनगर व ट्रेनी आईपीएस चक्रेश मिश्रा व एसओ गोमतीनगर के खिलाफ लापरवाही के चलते विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की।