उत्तर प्रदेश की फतेहपुर लोकसभा सीट एक दौर में सूबे की नहीं बल्कि देश की हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार की जाती थी। इस सीट से जनता दल से चुनाव जीतकर वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे। फतेहपुर शहर प्रचीन शहरों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में मिलता है। वैदिक काल में इसे अंतर्देश भी कहा जाता था, जिसका मतलब होता है ऐसा उपजाऊ क्षेत्र जो दो नदियों के बीच में बसा हो। फतेहपुर लोकसभा सीट गंगा और यमुना के बीच बसा हुआ है। यहां कांग्रेस से लेकर सपा, बसपा और भाजपा सहित जनता दल चुनाव जीत चुकी है। मौजूदा समय में फतेहपुर सीट पर भाजपा का कब्जा है।


इस बार चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे उम्मीदवार


फतेहपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर साध्वी निरंजन ज्योति को चुनाव मैदान में उतारा है. सपा-बसपा गठबंधन की ओर से सुखदेव प्रसाद वर्मा मैदान में हैं और कांग्रेस ने सपा छोड़ कर आए राकेश सचान को टिकट दिया है.


राजनीतिक पृष्ठभूमि


फतेहपुर लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से अभी तक 16 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 5 बार कांग्रेस को जीत मिली है। जबकि भाजपा (3 बार), जनता दल (दो बार), बसपा (दो बार), सपा (एक बार), लोकदल (एक बार) के अलावा एक बार निर्दलीय प्रत्याशी को भी जीत मिली है। फतेहपुर सीट पर पहली बार 1957 में लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस के अंसार हर्वानी चुनाव जीतकर सांसद बने। इसके बाद 1962 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर गौरी शंकर कक्कर चुने गए। लेकिन 1967 में कांग्रेस ने वापसी की 1971 के चुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब रही।
1977 में भारतीय लोकदल से बशीर अहमद ने उतरकर कांग्रेस को मात दी और 1978 में हुए उपचुनाव में जनता पार्टी के लियाकत हुसैन जीतने में कामयाब रहे। हालांकि, इसके बाद 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और लगातार दो चुनाव जीतने में कामयाब रही।


1989 लोकसभा चुनाव में वीपी सिंह जनता दल से उतरे और जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने। वो इस सीट से दो बार सांसद चुने गए। 1996 में बसपा से विशंभर प्रसाद निषाद ने जीत हासिल की, लेकिन 1998 में चुनाव में भाजपा कमल खिलाने में कामयाब रही। यहां से अशोक कुमार पटेल लगातार दो बार भाजपा से सांसद चुने गए।


2004 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के महेंद्र प्रसाद निषाद फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। 2009 में समाजवादी पार्टी के राकेश सचान सांसद चुने गए। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की निरंजन ज्योति यहां की सांसद चुनी गईं और मोदी सरकार में मंत्री बनीं।


सामाजिक ताना-बाना


फतेहपुर लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 26,32,733 है। इसमें 87.77 फीसदी ग्रामीण और 12.23 फीसदी शहरी आबादी है। अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 24.75 फीसदी है। इसके अलावा कुर्मी, निषाद और लोध समुदाय के मतदाता निर्णयक भूमिका में हैं। दिलचस्प बात यह है कि करीब 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।


फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें फतेहपुर, जहानाबाद, बिन्दकी, अयाह शाह, खागा और हुसैनगंज विधानसभा सीट शामिल हैं, जिसमें से खागा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मौजूदा समय में इन 6 सीटों में से पांच सीटों पर भाजपा और जहानाबाद सीट पर अपना दल (एस) का कब्जा है।


2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर संसदीय सीट पर 58.55 फीसदी मतदान हुआ था। इस सीट पर भाजपा की निरंजन ज्योति ने बसपा के अफजल सिद्दीकी को एक लाख 87 हजार 206 वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी।


भाजपा की निरंजन ज्योति को 4,85,994 वोट मिले
बसपा के अफजल सिद्दीकी को 2,98,788 वोट मिले
सपा के राकेश सचान को 1,79,724 वोट मिले
कांग्रेस की उषा मौर्य को 46,588 वोट मिले


सांसद का रिपोर्ट कार्ड
फतेहपुर लोकसभा सीट से 2014 में जीतने वाली निरंजन ज्योति मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। बतौर मंत्री लोकसभा में उनकी उपस्थिति को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि उन्होंने अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान मिले 25 करोड़ सांसद निधि में से 20.14 करोड़ रुपये विकास कार्यों पर खर्च किया।