Waqf Board Act 1995: 'जमीन हड़पने और धर्मांतरण करने में है वक्फ बोर्ड की भूमिका' BJP MP हरनाथ सिंह यादव का बड़ा दावा
हरनाथ सिंह यादव ने Waqf Board Act 1995 पर कहा कि जब विभाजन हुआ तब ये तय हुआ कि जो पाकिस्तान से हिंदू आएगा भारत उसकी संपति पाकिस्तान की होगी और जो मुस्लिम यहां से पाक जायेगा उसकी संपत्ति भारत की.
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को खत्म करने के लिए सदन में निजी विधेयक पेश किया है. इस संदर्भ में हरनाथ सिंह यादव ने कहा इस 1995 के वक्फ बोर्ड एक्ट से देश में असमानता फैली हुई है और वहीं बड़े स्तर पर धर्मांतरण का खेल भी इसकी आड़ में खेला जा रहा है.
हरनाथ सिंह यादव ने विस्तार से इस विषय पर एबीपी लाइव से बात करते हुए बताया कि जब देश का विभाजन हुआ तब ये तय हुआ कि जो पाकिस्तान से हिंदू आएगा भारत उसकी संपति पाकिस्तान की होगी और जो मुस्लिम यहां भारत से पाकिस्तान जायेगा उसकी संपत्ति भारत की हो जाएगी . पर इस बात को धता देते हुए मुस्लिमो ने एक वक्फ बोर्ड नाम की संस्था बनाई और उसको 1954 में कांग्रेस ने कानूनन मान्यता दे दी. फिर जितनी संपत्ति उस वक्त भारत से गए मुस्लिमों की थी उसमें से 90% संपत्ति वक्फ की हो गई. फिर 1995 में कांग्रेस सरकार ने एक वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 बनाया . इस वक्फ बोर्ड एक्ट कुल सात लोग होंगे जिसमे से पांच मेंबर होंगे, एक सर्वेयर होगा, एक कार्याधिकारी होगा और सभी मुस्लिम होंगे.
क्या है इस बोर्ड की ताकत
हरनाथ यादव ने बताया की इस वक्फ बोर्ड की ताकत ये है कि इस बोर्ड के मेंबर, सर्वेयर या कार्याधिकारी किसी भी संपत्ति को बोल देंगे कि ये संपत्ति उनकी है तो बोर्ड को ये साबित करने की जरूरत नहीं कि उसकी वो संपत्ति है या नहीं बल्कि जिस शख्स के पास वो मौजूद है वो सिद्ध करे कि ये संपत्ति उसकी है. ये सब होगा उस आदमी के आदेश पर जिस सर्वेयर या कार्याधिकारी ने ये आदेश दिया है.इस एक्ट में ये भी प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड के इस फैसले को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती चाहे उच्च न्यायालय हो या उच्चतम न्यायालय.
वक्फ बोर्ड दे सकता है जिले के कलेक्टर को आदेश?
इस एक्ट में प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड जिले के कलेक्टर को आदेशित करेगा कि अमुख संपत्ति हमारी है, उसे आप अपने कागजात से खारिज करिए और कलेक्टर को करना पड़ेगा. हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि ये ऐसी अतार्किक और असंवैधानिक व्यवस्था है और इसने वक्फ बोर्ड के लोगों को अकूत ताकत दे रखी है. इसी ताकत से उन्होंने देश के अंदर अनेक संपत्तियों पर अपना कब्जा जमा लिया है.
'सैकड़ों केस लोगों की संपत्ति हड़पने के'
हरनाथ सिंह यादव ने कहा उनके पास ऐसे सैकड़ों केस आए हैं जिसमे वक्फ ने लोगों की संपत्तियां ले ली है. उन्होंने दो घटनाओं का जिक्र करते हुए ये वाकया समझाया. एक वाकया उन्होंने तमिलनाडु प्रदेश के त्रिचि जिले के गांव का बताया जहां डेढ़ हजार आबादी है कुल और मात्र 7-8 घर मुस्लिमो के हैं और पड़ोस में ही एक शंकर जी का मंदिर है जो डेढ़ हजार वर्ष पुराना. वक्फ बोर्ड ने उस गांव की सब संपत्ति पर अपना दावा ठोक दिया है और सबको खाली करने का नोटिस कलेक्टर के यहां से आ गया है. कागजात से भी संपत्ति खारिज हो गई है. इसमें गांव की अधिकतर आबादी गरीब है. बाद में जब लोग थक हार गए तो उन्हे एक ऑप्शन देते हुए मुस्लिम धर्म स्वीकार करने का सुझाव दिया गया कि अगर वे ऐसा कर लेंगे तब उनकी जमीन बच जायेगी. ऐसी ही एक वाक्या महाराष्ट्र के सोलापुर जिले का है जहां एक बस्ती में 250 करीब अनुसूचित वर्ग के लोग हैं उनके पास एक नोटिस उनकी जमीन को खाली करने के आया कि वो जहां रह रहे हैं वो वक्फ बोर्ड की है. वो दर दर भटके तो उनको भी इस्लाम धर्म अपनाने का ऑफर किया गया. हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि ये विषय जमीन हड़पने के साथ साथ धर्मांतरण का भी है और वो भी बड़े स्केल पर .
'एक देश में कैसे चल रहा दो कानून'
उन्होंने दावा किया कि वक्फ बोर्ड एक्ट न्याय पालिका की सर्वोच्चता को खंडित करता है, राज्य की शक्तियों को खंडित करता है और मनमाने तरीके से ये अभियान चल रहा. हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि इसीलिए उन्होंने प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है. उन्होंने बताया कि जैसे ही ये बिल पेश हुआ वैसे ही कांग्रेस और सम्पूर्ण विपक्ष का चरित्र सामने आ गया, ये सभी लोग मुस्लिम तुष्टिकरण में लगे हुए हैं.उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो हमेशा से विभाजन का काम करती रही है. दर्जनों ऐसे कानून है जो देश को बांट रहे हैं. वोट के लिए ये नीचे से नीचा गिर सकती है कांग्रेस.
हरनाथ सिंह ने बताया कि सदन में मत विभाजन में 53 वोट पक्ष में आए और 32 वोट विपक्ष में आए. अब ये प्राइवेट बिल राष्ट्रपति के यहां जायेगा और वहां से सदन में आएगा कि इसपर विचार किया जाए.
जानकारी के मुताबिक देश में अरबों रुपए की संपत्ति वक्फ बोर्ड की हैं जिसपर इसका असर हो सकता है .यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10239 संपत्तियां हैं जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास 15386 संपत्तियां हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार में शिया और सुन्नी की अलग-अलग संपत्तियों और बोर्ड हैं .