वहीं इस दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजल रहीम मुजादादी ने धार्मिक मामलों में हर रोज सरकार के द्वारा लिए जारहे फैसलों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और देश के संविधान ने हमें धार्मिक संस्थान स्थापित करने और धार्मिक शिक्षा प्रदान करने का अधिकार दिया है.
क्या बोले मौलाना फजलुर रहीम मुज्जदी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुज्जदी ने कहा कि मदरसों को अपनी शैक्षणिक व्यवस्था को समय के अनुसार अपडेट करते रहना चाहिए और आज मदरसों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यहां आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाती है. सभी मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ हम चाहते हैं कि मदरसों और उनके छात्रों को आधुनिक शिक्षा मिले. इसके लिए मदरसों के पाठ्यक्रम में आधुनिक शिक्षा का कितना पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए और इस कार्यशाला में कौन से सत्र शुरू होंगे.
मदरसों को निशाना बनाए जाने को लेकर सरकार के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी कानूनी टीम इसके लिए काम कर रही है, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कानूनी टीम इसे देख रही है. मौलाना ने आगे कहा, हम उन सभी राजनीतिक दलों के शुक्रगुजार हैं. जिन्होंने संसद में इस बिल के खिलाफ आवाज उठाई और हमारा समर्थन किया. हम मुसलमानों और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों का भी शुक्रिया अदा करते हैं जो हमारा समर्थन कर रहे हैं.
'सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए'
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार को हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और हम पहले चरण में सफल हुए हैं कि विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है. जिसमें 10 राज्यसभा और 21 लोकसभा सदस्य हैं. संसद सदस्यों में शामिल हम सभी सदस्यों से मिलकर अपनी मांगें उनके सामने रखेंगे और उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे कि वे किसी भी राजनीतिक दल या धर्म से हैं और हमें यह भी उम्मीद है कि वे हमारे अधिकार का समर्थन करेंगे.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले और उन्हें निशाना बनाने के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश में बहुसंख्यक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करते हैं और कानून इसकी इजाजत नहीं देता है. इसकी इजाजत न दें और अगर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है तो हम इसका विरोध करते हैं.
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