सनातन धर्म स्वीकार करने के बाद वसीम रिजवी की पहली प्रतिक्रिया, जानिए- क्या कहा
Wasim Rizvi News: यूपी वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म को छोड़कर सनातन धर्म स्वीकार किया है. अब उनका नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया है.
Wasim Rizvi: यूपी वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म को छोड़कर सनातन धर्म स्वीकार किया है. डासना स्थित काली देवी मंदिर में पूरे रीति-रिवाज के साथ आज उन्होंने सनातन धर्म को स्वीकार किया और सनातन धर्म में आने के बाद अब उनका नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया है.
ये पूछे जाने पर कि उन्होंने इस्लाम धर्म क्यों छोड़ा, उन्होंने कहा, 'मैंने इस्लाम धर्म को नहीं त्यागा बल्कि इस्लाम को मानने वाले लोगों ने मुझे इस्लाम से बाहर निकाल दिया है. मैंने जब राम मंदिर निर्माण की वकालत की तो उन्होंने मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया. मैंने इस्लाम धर्म की बुराइयों को दूर करने की कोशिश की तो मेरे खिलाफ बोला गया. उन्होंने कहा कि जुम्मे की नमाज के बाद मेरे सिर पर इनाम बढ़ा दिया जाता था. इन सब वजहों से मैंने सनातन धर्म को स्वीकार किया है, क्योंकि सनातन धर्म इस दुनिया का सबसे पुराना धर्म है और इसे स्वीकार करने से पहले मैंने इसका अध्ययन किया था.
वसीम रिजवी से पूछा गया ये बड़ा सवाल
उनसे जब पूछा गया कि क्या उन्होंने डर की वजह से सनातन धर्म स्वीकार किया है या फिर अपनी मर्जी से, इसपर उन्होंने कहा, 'मैंने किसी डर से सनातन धर्म स्वीकार नहीं किया है, बल्कि मैंने अपने दिल से इस धर्म को स्वीकार किया है. मैं अपने फैसले खुद लेता हूं और सनातन धर्म को स्वीकार करने का फैसला भी मेरा ही है. मेरा परिवार मेरे इस फैसले से सहमत है या नहीं मुझे इससे कोई लेना देना नहीं है. अगर मेरे परिवार का कोई सदस्य मुझसे सहमति नहीं रखता है तो मुझे इसमें कोई दुख नहीं है. मेरे इस फैसले में जो मेरे साथ आएगा, मैं भी उसके साथ हूं.
आज ही क्यों सनातन धर्म स्वीकार किया?
वसीम रिजवी ने कहा कि आज के दिन से ज्यादा अच्छा दिन कोई हो ही नहीं सकता क्योंकि आज ही के दिन श्री राम के लिए परिश्रम शुरू किया गया था. मैंने भी राम मंदिर बनाने के समर्थन में आवाज उठाई थी और आज 6 दिसंबर है, क्योंकि जिस तरीके से हिंदुस्तान के अंदर मंदिरों को नुकसान पहुंचा कर मस्जिद स्थापित की गई वह गलत था. अगर मस्जिद बनानी ही थी तो इस देश मे जगह की कोई कमी नहीं थी. लेकिन एक बद नियति के तहत मंदिरों को नुकसान पहुंचा कर मस्जिदें बनाई गई. मैंने हमेशा इसकी खिलाफत की है और इसी वजह से इस्लाम के मानने वाले मेरे खिलाफ बोलते हैं.
राजनीति में आने को लेकर पूछा गया सवाल
जब उनसे ये पूछा गया कि क्या वे राजनीति में आएंगे या किसी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, इसपर उन्होंने कहा, 'नहीं मैं किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ रहा हूं और न ही मैं चुनाव लड़ूंगा. अभी मैंने आगे के लिए कुछ भी नहीं सोचा है. मैं बस इतना ही कहूंगा सभी हिंदुओं से की जितने भी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम समाज के लोग होते हैं, वे केवल हिंदुओं के खिलाफ वोट करते हैं. वे किसी पार्टी को वोट नहीं करते. वे यह देखते हैं कि कौन सी पार्टी का प्रत्याशी हिंदूओं को हरा सकता है. इसलिए सभी एकजुट होकर वोट करते हैं और यही अपील मैं हिंदूओं से करूंगा कि वह सभी एक जुट होकर वोट करें.
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