हमीरपुर, एबीपी गंगा। यूपी के बुंदेलखंड में पीने के पानी की एक-एक बूंद के लिए लोगों के लिए परेशान होना पड़ रहा है। कहीं- कहीं हालात इस कदर नाजुक है कि लोगों को कई किलोमीटर दूर से नदियों से पानी लेकर अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। ऐसे में लोग पानी की मांग को लेकर सड़कों उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कहीं आमरण अनशन कर शासन-प्रशासन से पीने के पानी की मांग कर रहे हैं।


हमीरपुर जिले के मौदहा कोतवाली क्षेत्र के कपसा, गुसियारी, नायकपुरवा ,छानी बक्छा ,इचौली जैसे के एक दर्जन से अधिक गांवों में पीने के पानी के लिए त्राहि- त्राहि मची है। यहां लोगों को नदियों की तलहटी में गड्ढे खोदकर पानी निकाल कर या सूखे कुएं से गंदे पानी की एक- एक बूंद निकालकर अपना गुजारा चला रहे है। कहीं कहीं तो लोगों को कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। पीने के पानी को लेकर बुंदेलखंड नव निर्माण सेना के सदस्य, समाज सेवी और स्थानीय लोग आमरण अनशन में बैठ गए है। जिनका अनशन खत्म करवाने के लिए जिले के आलाधिकारी मौके में पहुंचे, लेकीन वो लोगों के गुस्से को शांत नहीं करवा पाए।



इस भीषण गर्मी में बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के दो दर्जन से अधिक गांवों में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुएं, तालाब सूख गए हैं और हैंड पंपों ने पानी देना बंद कर दिया है। मजबूरन लोगों को कई किलोमीटर दूर से पीने का पानी बैलगाड़ियों, साइकिलों या फिर सिर पर ढोकर लाना पड़ रहा है। कई बार शासन- प्रशासन और राजनेताओं से पानी की उचित व्यवस्था करवाने की मांग के बाद भी जब समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो लोग आमरण अनशन में बैठ गए। स्थानीय लोगों के पानी की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू करने की जानकारी मिलते ही मौके में पहुंचे जिले के आलाधिकारियों ने अनशन खत्म करवाना चाहा, लेकिन अनशनकरियों ने अपनी मांग पूरी होने तक अनशन न खत्म करने की बात कही।


20वीं सदी में जहां हम चांद तारों में बसने के सपने देख रहे हैं, वहीं बुंदेलखंड में आजादी के बाद से लोगों को आज तक साफ पीने के पानी का इंतजाम नहीं हो सका है। सरकारें आती हैं, वादे करती हैं, लेकिन दो बूंद पानी का जुगाड़ नहीं कर पाती है। मजबूरन अब यहां के लोग प्रदर्शन और आमरण अनशन को ही अपना हथियार बनाकर शासन प्रशासन को चेतावनी दे रहे है।