Ghazipur Flood News: जिले में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी होने के साथ ही साथ एक एक कर अब तक सैकड़ों गांव गंगा से प्रभावित हो चुके हैं. ऐसे में बहुत से लोग अपना घर बार छोड़कर खुद और अपने पशुओं के साथ राहत शिविर में पहुंच चुके हैं, लेकिन उन्हें जिला प्रशासन की तरफ से ना ही कोई राहत सामग्री मिली और ना ही अब तक पशुओं के लिए चारा की व्यवस्था हो पाई है. इसके साथ ही साथ इन सभी लोगों के पास पीने के पानी की भी समस्या उत्पन्न हो गई है, जिसको लेकर पीड़ितों ने अपनी समस्या मीडिया के सामने रखी है और यह पूरा मामला करंडा ब्लॉक के दर्जनों गांव के पीड़ित लोगों का है, जो राहत शिविर में आकर रह हैं.


दो दर्जन से अधिक गांवों की फसलें नष्ट


गंगा के बढ़ते जलस्तर और बाढ़ से करंडा के दो दर्जन से अधिक गांवों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गयी है. दीनापुर, पुरैना, बयेपुर, सोकनी, बड़हरिया, रफीपुर, तुलसीपुर, महाबलपुर, नौदर, गोशंदेपुर, उधरनपुर, मेदनीपुर, करंडा, ईटहरा, करंडा, लखनचंदपुर, मैनपुर,माहेपुर, मानिकपुर, ब्राम्हणपुरा, गजाधरपुर, करकटपुर, कटरियां, सीतापट्टी और आरीपहाड़पुर के हजारों किसानों की लगभग 5000 एकड़ खड़ी फसल बाढ़ से नष्ट हो गयी है. महाबलपुर, तुलसीपुर,नौदर, दीनापुर, बयेपुर,सोकनी, पुरैना, गजाधरपुर, सीतापट्टी के किसानों की लगभग 600 एकड़ मिरचा, 200 एकड़ लतरा और तीन सौ एकड़ बैगन की फसल डूबने से लगभग 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.


राहत शिविर में अव्यवस्थाओं के बीच रह रहे परिवार


बाढ़ का पानी घरों में घुसना शुरू कर दिया है, जिससे तुलसीपुर, शेरपुर, रफीपुर, बड़हरिया और महाबलपुर के ढाई सौ परिवार सड़कों के किनारे और राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं. प्रशासन की तरफ से लाख दावों के बावजूद भी व्यवस्था नाकाफी है. गोशंदेपुर कालीमंदिर के पास शिविर बनाये गये, 32 परिवारों के लिए बिजली की व्यवस्था नहीं की गयी है तथा दीनापुर नहर पर शरण लिये 50 परिवारों को पीने का पानी एक किलोमीटर दूर से लाना पड़ रहा है. राहत शिविरों में रह रहे लोगों ने बताया कि, सबसे बड़ी समस्या खराब मौसम का होना तथा पशुओं को चारे की समस्या है. वैसे भी इन गांवों की 95% आबादी कृषि पर आधारित है जिनकी मुख्य फसल पूरी तरह बाढ़ नष्ट हो गयी है.


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