Water Logging in School: जौनपुर जिले में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जहां पढ़ाने के लिए शिक्षकों को पेड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग लेनी पड़ सकती है. क्योंकि, यहां रोजाना शिक्षक पेड़ पर चढ़कर ही स्कूल पहुंचते हैं और इसी रास्ते वापस घर जाते हैं. सिर्फ शिक्षक ही नहीं स्कूल पहुंचने के लिए बच्चों को भी घुटने तक पानी में होकर गुजरना पड़ता है. दरअसल. 15 दिन पहले बारिश का पानी सिंगरामऊ के कम्पोजिट विद्यालय में भर गया. स्कूल प्रशासन ने कई बार शिक्षा विभाग को शिकायत की, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका.
पेड़ के जरिये शिक्षक पहुंचते हैं स्कूल
पेड़ के जरिये कम्पोजिट विद्यालय के शिक्षक स्कूल पहुंचते हैं. पेड़ से आने-जाने का रास्ता परमानेंट नहीं बल्कि वैकल्पिक है. क्योंकि स्कूल में लबालब पानी भरा हुआ है. मेन रास्ता पानी की वजह से बंद हो गया है. 16 सितंबर को तेज़ बारिश हुई थी. इससे विद्यालय में पानी भर गया. पानी निकासी के लिए बनी पुलिया को कुछ लोगों द्वारा ब्लाक कर दिया गया है, जिससे बगल के तालाब का पानी भी विद्यालय में भर गया है. पानी भरने से स्कूल का मुख्य रास्ता बंद हो गया. पढ़ाई में बाधा पैदा होने लगी तो बच्चों को घुटने तक जमा पानी से क्लास रूम तक बुलाया जाने लगा. कपड़े खराब न हों इसलिए शिक्षक स्कूल के पीछे से छत पर चढ़ कर पड़े से नीचे उतरने को मजबूर हैं.
अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
शिक्षक गोरखनाथ ने बताया कि, सूचना डीएम, सीडीओ, बीएसए सहित अधिकारियों को दी गई लेकिन पानी निकालने का इंतज़ाम नहीं हो सका. लगातार पानी से होकर स्कूल आने और वापस जाने की वजह से बच्चों को त्वचा संबंधी रोग की भी समस्या आने लगी है. वहीं, स्कूल में मच्छरों का प्रकोप इतना हो गया है कि डेंगू और मलेरिया फैलने का भी डर पैदा है. अध्यापक शैलेश कुमार यादव ने बताया कि, सिंगरामऊ कम्पोजिट विद्यालय में कुल 19 लोगों का स्टाफ है. विद्यालय परिसर में जमा बारिश के गन्दे पानी के संपर्क में आने से पांच लोग त्वचा की बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं. कई बच्चों के भी त्वचा पर काले-काले धब्बे, लाल रंग के निशान आ रहे हैं. खजुली से सभी बच्चे परेशान हैं. पानी में बदबू भी आने लगी है.
सिंगरामऊ का यह कमपोजिट विद्यालय बदलापुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से रमेश चंद्र मिश्र विधायक हैं. गांव के प्रधान धर्मराज सरोज ने विद्यालय की इस बदहाली की जानकारी सभी को दी लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है.
ये भी पढ़ें.