Water Problem In Uttarakhand: उत्तराखंड में गर्मी की शुरुआत होते ही पीने के पानी की समस्या शुरू हो गई है. खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में इन दिनों पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा है. शहरी क्षेत्रों में भी हालात बहुत ज्यादा ठीक नहीं हैं. पानी की आपूर्ति ना होने से घरों के नल सूखे पड़े हैं. पहाड़ों पर लोग लंबी-लंबी कतारें लगाकर पानी भरने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन जल संस्थान अभी भी दावे कर रहा है कि उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं.
उत्तराखंड में गहराया पानी का संकट
उत्तराखंड में हर साल गर्मी का सीजन जैसे ही शुरू होता है तो पेयजल संकट भी उसके साथ गहराने लगता है. विभाग की पहले से ही पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से लोगों को हर साल इस समस्या से जूझना पड़ता है. पहाड़ों में तो हालात इतने ज्यादा खराब हो जाते हैं कि लोगों को पीने के पानी के लिए कई-कई किलोमीटर जल स्रोतों तक जाना पड़ता है. शहरी क्षेत्रों में भी हालात ज्यादा ठीक नहीं है. अधिकांश क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति सुबह और शाम को एक 1-1 घंटे के लिए ही की जाती है. ऐसे में शहरी क्षेत्रों में भी पेयजल आपूर्ति को लेकर दिक्कतें बढ़ना शुरू हो गई हैं.
जल विभाग की क्या है तैयारी?
दूसरी तरफ जल विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन इस बार गर्मी वक्त से पहले शुरू हो जाने से पेयजल की थोड़ी समस्या हो रही है. जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक एसके शर्मा का कहना है कि जल संस्थान में पेयजल आपूर्ति को लेकर सभी व्यवस्थाएं कर दी है और अब किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी. आईए आपको बताते हैं कि अब तक जल संस्थान की तैयारियां क्या हैं?
- जल संस्थान के पास कुल ट्यूबेल-1056 हैं
- हैंड पंप की संख्या 10,000 से ज्यादा है
- विभागीय टैंकर- 71 और प्राइवेट टैंकरों की संख्या- 250 है
पानी के लिए लगी लंबी कतारें
इन तमाम दावों के बावजूद प्रदेशभर में पानी के लिए लोगों की लगी लंबी-लंबी कतारें पानी की समस्या बयां करने के लिए काफी हैं. लोग पानी भरने के लिए घंटो-घंटो इंतजार करते हैं. कुछ वीआईपी इलाकों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश गली मोहल्लों में इस तरह के हालात बने हुए हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में पानी के स्रोतों में कमी की वजह से लोग हैंडपंप तक जाने के लिए कई किलोमीटर दूर तक जाते हैं. अधिकारियों का कहना है कि इस बार गर्मी का सीजन थोड़ा पहले आने और बरसात ना होने की वजह से पर्वतीय क्षेत्रों में जल स्रोत रिचार्ज नहीं हुए हैं. जिसकी वजह से लोगों को कुछ समस्याएं उठानी पड़ रही हैं लेकिन हैंडपंप और ट्यूबवेल से क्षेत्रों में जलापूर्ति की जा रही है.
प्रशासन ने कसी कमर
मुख्य महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि जल संस्थान की तैयारियां पूरी हैं. सीएम के सचिव पेयजल द्वारा बैठकें लेकर के तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए गए थे. उसी हिसाब से जल संस्थान और पेयजल निगम दोनों तैयार हैं. हमारे 1056 के करीब ट्यूबवेल हैं जल संस्थान जिनको मेन्टेन कर रहा है, उसमें से किसी दिन अगर दो चार में दिक्कत आती है तो उस दिन वहां पर टैंकरों से वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. वैकल्पिक रूप से 10 हजार से ज्यादा हैंडपंप जल संस्थान ही मेन्टेन कर रहा है. हैंडपंप खराब होने की स्थिति में तीन दिन के अंदर उसे ठीक कर दिया जाता है. ट्यूबवेल को प्रायोरिटी के आधार पर 24 घंटे के अंदर ठीक कर देते हैं.
चारधाम यात्रा के लिए हो रही है तैयारी
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की तैयारियां भी जोरों शोरों से चल रही हैं. वहां पर भी हमारी 90 प्रतिशत तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में पीने के पानी के लिए अधिकांश लोग प्राकृतिक स्रोतों पर ही निर्भर रहते हैं और शहरी क्षेत्रों में पूरी तहत से ट्यूबवेल पर निर्भर हैं. लेकिन इस बार बारिश ना होने की वजह से प्राकृतिक स्रोत सूखने के कगार पर है. वहीं जल संस्था द्वारा बनाए गए हैंड पंप, ट्यूबवेल की स्थिति भी बहुत ज्यादा ठीक नहीं है. इस वजह से गर्मी शुरू होने से पहले ही पेयजल संकट गहराता जा रहा है
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