पश्चिमी यूपी की ये 13 सीटें होंगी गेम चेंजर, बड़ा उलटफेर संभव, BJP और सपा की कलह ही चुनौती
UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में अब लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले चुनाव के परिणामों पर तरह-तरह की संभावनाएं लगाई जा रही हैं. ऐसे में पश्चिमी यूपी पर एक नजर डालते हैं.
Lok Sabha Election 2024: जो उत्तर प्रदेश की बाजी जीतेगा उसके लिए दिल्ली का रास्ता आसान हो जाएगा. लेकिन उत्तर प्रदेश की चुनावी लड़ाई बीते दो चुनावों के मुकाबले इस बार थोड़ा अलग हो गई है. बीते चुनावों के दौरान जिस तरह बीजेपी गठबंधन को पूर्वांचल में चुनौती का सामना करना पड़ा था वैसी ही इस बार पश्चिमी यूपी में नजर आ रहा है. एक नजर पश्चिमी यूपी की सीटों और बीते चुनाव के दौरान वहां के नतीजों पर डालते हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी की 27 सीटों में से बीजेपी ने 19 सीटों, समाजवादी पार्टी ने चार सीटों और बीएसपी को चार सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं सपा ने तीन जीती जबकि बीएसपी को इस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी. वहीं कांग्रेस दोनों चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई है.
अब बीते दो चुनावों के परिणामों पर गौर करें तो बीजेपी की साख फिर से दांव पर लगी हुई है, जबकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ खास नहीं है. अगर चुनावी विश्लेषकों की मानें तो इस चुनाव में 27 में से पश्चिम यूपी की 13 सीटों पर कड़ा मुकाबला है. इन 13 सीटों में सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, अमरोहा, मैनपुरी, बदायूं, फिरोजाबाद, संभल और रामपुर है.
बीजेपी की चुनौती
इस बार बीजेपी के लिए दूसरी पार्टियों के साथ ही अपने नेताओं ने भी चुनौती खड़ी कर दी थी. बीजेपी का अंदरूनी विवाद सतह पर दिखा और प्रत्याशी संजीव बालियान के साथ संगीत सोम का विवाद नहीं सुलझा. संगीत सोम के क्षेत्र सरधना में सबसे कम वोटिंग हुई और ठाकुर वोट छिटके की आशंका सही हुई तो बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ जाएगी. मुजफ्फरनगर सीट पर सपा ने जाट कार्ड चला था और हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी बनाया था.
अगर मेरठ सीट की बात करें तो बीजेपी ने 'राम कार्ड' चला और रामायण फेम अरुण गोविल को अपना उम्मीदवार बनाया था. हालांकि सपा ने इस सीट पर तीन बार प्रत्याशी बदला था. सपा ने अंत में सुनीता वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया. जबकि सपा के समर्थक असमंजस में रहे और मुस्लिम समर्थक नाराज बताए गए. अब अगर बीएसपी ने इस सीट पर वोट काटे तो उलटफेर संभव है.
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सपा में कलह
जबकि अगर सहारनपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद और बीजेपी के उम्मीदवार राघव लखनपाल के बीच टक्कर है. 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली इस सीट पर छह बार कांग्रेस जीत चुकी है. जबकि मुस्लिम बहुल इलाकों में जबरदस्त वोटिंग हुई है. ऐसा ही कुछ मुरादाबाद सीट पर भी नजर आता है.
मुरादाबाद सीट पर सपा से मुस्लिम वोटरों की नाराजगी पार्टी के लिए खतरा बन सकती है. सपा ने एसटी हसन का टिकट काट कर रुचि वीरा को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस बार बीजेपी ने सर्वेश कुमार सिंह को मैदान में उतारा है. मुस्लिम वोटर छिटके तो बीजेपी को इसका फासदा मिल सकता है. मुरादाबाद की तरह ही रामपुर सीट पर सपा के लिए एक जैसी चुनौती रही थी.
रामपुर में बीजेपी ने मौजूदा सांसद घनश्याम सिंह लोधी को फिर से उम्मीदवार बनाया था. जबकि सपा ने मोहिबुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बनाया था. जो आजम खान के करीबी नहीं है और इस सीट पर केवल 45 फीसदी वोटिंग हुई थी. यहां आजम खान के समर्थक वोटर्स नाराज बताए जा रहे थे. अगर कैडर वोट कम पड़ा तो सपा को मुश्किल हो सकती है.