पंडित शशिशेखर त्रिपाठी
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कई बार भक्ति में भगवान की उपासना करते समय न चाहते हुए भी हमसे कुछ गलतियां हो जाती हैं, या यूं कहें लापरवाही हो जाती है। जिससे ईश्वर का निरादर हो जाता है। वो कैस सी ऐसी गलतियां हैं, जो हम भगवान की अराधना करते वक्त अनजाने में कर बैठते हैं। इस गलती को कैसे सुधारा जा सकता है। इन सबके बारे में विस्तार से बताया है आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने...


हम लोगों को प्रार्थना करने से पहले देवता का आवाहन और आदर करना बहुत महत्वपूर्ण है। मानिए किसी बहुत बड़े व्यक्ति को अपने घर बुलाएं, लेकिन उनका हम आदर न करें, वह आ गए हो, बैठे हों और हम उनसे ठीक से बात न करें। उनको नाश्ता पानी के लिए न पूछें और फिर अपनी समस्या उनको बताएं। हमें आपसे यह चीजें चाहिए तो सामान्य तौर पर यह कुछ विचित्र सा लगेगा। सही तरीका तो यह है कि उन्हें आदर के साथ बुलाएं, उनका सम्मान करें और अपनी फीलिंग को अपने संवेदनशीलता को प्रकट करें।


घर में जो पूजा स्थल है वहां पर जो भगवान विराजित हैं वह केवल मूर्ति मात्र नहीं है। बल्कि सजीव है हम लोग उनकी भाव के साथ उपासना करते हैं। जब ठंड आती है, तो उनको गर्म कपड़े पहनाते हैं। वहीं गर्मी आने पर मंदिर में पंखा लगाते हैं।


यह सब इस बात को दर्शाती हैं कि घर में विराजित देवता वीवीआइपी हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी सुविधानुसार कभी संवेदनशील हो जाते हैं और कभी असंवेदनशील। तो चलिए जानते हैं कि ऐसी कौन-कौन सी बातें हैं, जिनसे ईश्वर का निरादर होता है।


किन चीजों से होता है ईश्वर का निरादर




  • पूजा घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कई ऐसे घर होते हैं, जहां पूजा घर के स्थान में बहुत दिनों से सफाई नहीं हुई होती है, धूल जमी होती है। पुराने फूल रखे होते हैं और पूछे जाने पर अति व्यस्तता का बहाना दे देते हैं। सभी लोग इस बात को गांठ बांध लें कि आपने अगर घर में पूजा स्थान बनाया है, मंदिर बनाया है, तो प्रतिदिन उसकी सफाई होनी आवश्यक है।

  • पूजा स्थल में जो धातु की मूर्तियां हैं, उनको स्नान कराना चाहिए, उनको वस्त्र पहनाने चाहिए। जैसे हम लोग प्रतिदिन स्नान और वस्त्र बदलते हैं, ठीक इसी तरह प्रभु को भी रखना चाहिए।

  •  जब भी पूजा करने जाएं तो सबसे पहले मंत्र जाप पाठ बाद में करना है, पहले प्रभु को सुसज्जित करना है। जिन फोटो में एक दिन पहले तिलक लगाया था, उनको हल्के से गीले कपड़े से साफ करें, फिर नया तिलक लगाइए। पुराने पुष्प हठाकर नए पुष्प चढाएं। दीपक जलाएं तब उपासना प्रारंभ करने की स्थिति बनेगी।

  •  पूरे घर में हर कमरे में भगवान की फोटो रखना भी बहुत अच्छी बात नहीं है। एक बात समझ लीजिए कि आप बहुत बड़े भक्त हैं, इसको बताने की कोई आवश्यकता नहीं है।

  • ऐसा नहीं है कि आप घर में जितनी ज्यादा भगवान की फोटो रख लेंगे, भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाएंगे। भगवान का चित्र भगवान की मूर्ति रखने का अर्थ बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, उनके आदर सत्कार में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।

  • अक्सर घरों में भगवान के कैलेंडर टंगे रहते हैं। अक्सर ड्राइंग रूम में देवताओं की मूर्तियां डेकोरेशन के रूप में रखी होती है। भक्ति और भगवान यह बहुत आंतरिक विषय है। भगवान डेकोरेशन की चीज नहीं है, डिवोशन की चीज है, इसलिए प्रयास करिए कि ईश्वर का चित्र प्रतिमा डेकोरेशन के लिए प्रयोग न करें।

  • घर में रखे हुए ग्रंथ की साफ-सफाई का ध्यान रखें।


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