नई दिल्ली, पं.शशिशेखर त्रिपाठी। क्या आपने कभी ये सोचा है कि किस तरह के बर्तनों में भोजन करना चाहिए। रसोई में रखें अलग-अलग धातु के बर्तनों का अलग-अलग महत्व होता है। पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने बताया कि आखिरकार रसोई में किस तरह के बर्तन रखने चाहिए और किन बर्तनों में खाने से क्या लाभ पहुंचता है। ये भी जानकारी उन्होंने दी है।


कैसे हों रसोई के बर्तन


पंडित जी ने बताया कि आज हम लोग विष के प्रभाव में बहुत अधिक आते जा रहे हो। पहले लोग अपनी-अपनी क्षमतानुसार चांदी, फूल, कांसा, पीतल, लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज कल शरीर के अंदर राहु का प्रकोप बढ़ता जा है, जो विषाक्त है। कैंसर तक के रोग दे रहा है। जिससे आयु क्षीण होती जा रही है।



कौन से धातु के बर्तन से हमारे शरीर पर क्या नुकसान या फायदा होता है


सोना:
पहले लोग सोने के बर्तन में खाते थे, इससे तन मजबूत होता है।


चांदी:
चांदी के बर्तन में खाने से मन मजबूत होता है, रक्त का प्रवाह संतुलित रहता है। 12 वर्ष तक बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना खिलाने से उनका कांफिडेशन बढ़ता रहता है, इसलिए अन्नपराशन के समय ननिहाल से चांदी के बर्तन आते हैं।


कांसा:
कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं। रक्त शुद्ध होता था।


तांबा:
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, जठराग्नि शान्त रहती है। लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है।


पीतल:
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और खाने से कृत्रिम रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती है। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7  प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।


लोहा:
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है, लोहातत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहे के बर्तन में फोलिक एसिड पाया जाता है, जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है।


स्टील:
स्टील के बर्तन नुकसानदायक नहीं होते हैं, क्योंकि ये न ही गर्म से क्रिया करते है और न ठंडा होने पर, इसलिए इससे नुकसान नहीं होता है।


एल्युमिनिय:
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। ये न सिर्फ शरीर को बल्कि स्मरणशक्ति और किडनी को भी प्रभावित करता है।


मिट्टी:
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है, तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है।


प्लास्टिक:
प्लास्टिक के बर्तन में खाना-खाने से बचना चाहिए और खासकर गर्म भोजन उसमें खाने से बचना चाहिए।


नॉनस्टिक:
नॉनस्टिक बर्तनों का इस्‍तेमाल करने से ऑयल कम लगता है, खाना जलता नहीं है और भी बहुत कुछ। इस वजह से लोग अपने किचेन में इन्हें जगह देना बहुत पसंद करते हैं। ऐसे में नॉनस्टिक बर्तनों की बाजार में धूम मची हुई है, लेकिन क्‍या आपको पता है कि ऐसे बर्तनों के इस्‍तेमाल से आपके स्‍वास्‍थ्‍य को कई प्रकार की गंभीर समस्‍याओं से जूझना भी पड़ सकता है। इन बर्तनों की नॉनस्टिक परत आपके स्‍वास्‍थ्‍य को बदहाल करने के लिए बहुत होती हैं।


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