UP News: उत्तर प्रदेश विधानसभा से पारित यूपी नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध व उपयोग) विधेयक-2024 यूपी विधान परिषद में अटक गया. इस विधेयक का विरोध समाजवादी पार्टी सहित बीजेपी के कुछ विधायकों ने भी किया. अब यह विधेयक अटक गया है और इसे प्रवर समिति को भेजा गया है. वहीं अब जब प्रवर समिति की रिपोर्ट आएगी तब इस पर आखिरी फैसला होगा. इस खबर में जानिए आखिर नजूल संपत्ति विधेयक क्या है.
दरअसल नजूल विधेयक के जरिए यूपी में नजूल की सारी जमीनों सरकारे के कब्जे में आ सकतीं थीं. हालांकि सरकार इसमें से स्कूल, अस्पताल और गरीबों की रिहाइश को अलग करने की बात कर रही थी, मगर उसके प्रावधानों को लेकर बहुत सारे संदेह थे. नजूल बिल के मुताबिक सरकार नजूल की जमीन को सार्वजनिक उपयोग में लाना चाहती है. इस काम के लिए उस पर पहले से काबिज कब्जेदारों को बेदखल करना होगा. नजूल की जमीनें लीज पर होती हैं. ये लीज लंबे समय यानि लीज अवधि 15 से लेकर 99 साल तक की होती है.
लीज खत्म होने के बाद उसका अगली अवधि के लिए नवीनीकरण हो जाता है. इस बिल के जरिए कुछ एक अपवादों को छोड़कर सरकार लीज रिन्यू करने के पक्ष में नहीं है. यानि ऐसे जमीनें फिर सरकार के स्वामित्व में आ जाएंगी. सरकार पट्टेदारों को बेदखल करके जमीनें वापिस ले सकती है और वह उनका अपनी प्राथमिकता के आधार पर उपयोग कर सकती हैा.
यूपी में करोड़ों की आबादी नजूल की जमीनों पर रहती है. ऐसे में ये एक बड़े विवाद का विषय बन गया. उस आबादी के सर से छत छिनने का खतरा पैदा हो गया. यही वजह है कि यूपी विधानसभा में बहस के दौरान बीजेपी के अपने ही विधायकों ने इसका विरोध कर दिया. प्रयागराज से विधायक हर्ष वाजपेयी और सिद्धार्थनाथ सिंह इसके विरोध में उठ खड़े हुए. एक अनुमान के मुताबिक करीब एक तिहाई प्रयागराज नजूल की जमीनों पर बसा है. ऐसे में इन लोगों के बेघर होने का खतरा पैदा हो गया था.
नजूल संपत्ति का किराया वसूलने का भी है अधिकार
हालांकि सरकार ने कुछ शर्तों के साथ लीज रिन्यू करने की बात कही थी. मसलन जिन्होंने समय से लीज का रेंट दिया है और लीज की शर्तों का उल्लंघन नही किया है, उनका लीज अगले 30 सालों के लिए रिन्यू कर दिया जाएगा. मगर इसके बाद फिर जमीन सरकार के पास चली जाएगी. इन जमीनों को फ्री होल्ड करने का ऑप्शन जाता रहेगा. इतना ही नही बल्कि इस विधेयक में डीएम को मार्केट रेट पर नजूल संपत्ति का किराया वसूलने का भी अधिकार दिया गया है. इसके मुताबिक लीज की अवधि साल 2025 से समाप्त होने की तारीख के बाद जितने दिन उस जमीन पर पट्टाधारक काबिज रहेगा, डीएम को उसका किराया तय कर वसूलने का अधिकार होगा. डीएम ये किराया मार्केट रेट पर तय करेगा जो इन संपत्तियों पर काबिज लोगों को खासा भारी पड़ सकता है.
नजूल भूमि को फ्री होल्ड नहीं करेगी सरकार
विधेयक में यह भी कहा गया है कि सरकार नजूल भूमि को फ्री होल्ड नहीं करेगी और जिनका फ्री होल्ड का पैसा जमा है, उन्हें रकम बैंक की दर पर ब्याज के साथ वापस की जाएगी. ऐसे में आम लोगों का जमीन को नियमों के तहत फ्री होल्ड कराके उस पर कानूनन काबिज होने का सपना धरा का धरा रह जाएगा. ऐसे में बड़ी तादाद में आबादी इस विधेयक की चपेट में आ जाएगी.
प्रयागराज शहर में करीब 71 लाख वर्गमीटर नजूल भूमि
अगर एक उदाहरण के लिए प्रयागराज लें तो प्रयागराज शहर में करीब 71 लाख वर्गमीटर नजूल भूमि है. इन भूखंडों पर बड़ी तादाद में आम लोग रहते हैं. आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 35 लाख वर्गमीटर पर काबिज लोगों ने जमीन फ्री होल्ड करा ली है. वे अब इसके स्वामी बन चुके हैं, इसके अलावा 1800 लोगों ने करीब 15 लाख वर्गमीटर जमीन फ्री होल्ड कराने लिए के आवेदन कर रखा है. इस विधेयक के पास होने पर ये अवसर हाथ से निकल जाएगा.
नजूल की संपत्तियों को फ्री होल्ड कराने पर क्या होगा
इस विधेयक के कानून बनने की सूरत में सवाल ये भी खड़ा होता है कि जिन लोगों ने नजूल की संपत्तियों को फ्री होल्ड करा लिया है, उनका क्या होगा. विपक्ष ने यूपी विधानसभा में यही सवाल उठाया कि विधेयक में इस बाबत स्पष्ट नहीं है कि जिन्होंने नजूल की संपत्ति को फ्री होल्ड करा लिया है और जो फ्री होल्ड का पैसा जमा कर चुके हैं, उनका भविष्य क्या होगा? ये अधर की स्थिति प्रशासन को मनमानी करने का मौका देगी.
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