Maha Kumbh 2025: महाकुंभ का मेला नगर इस कदर सज कर तैयार है कि ऐसा लगता नहीं कि ये सिर्फ़ तीन महीने में ही पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा. फिर छह महीने बाद तो यहाँ गंगा नदी का पानी बीस फिट से भी ज़्यादा हो जाएगा. यहाँ बसा हुआ सब कुछ जलमग्न हो जाएगा, लेकिन झूँसी के शास्त्री ब्रिज के क़रीब अखाड़ा क्षेत्र में स्थित देवराहा बाबा आश्रम की ये अखंड ज्योति बाढ़ में भी जलती रहती है और कभी नहीं बुझती है.
महाकुंभ में संगम की रेत पर पिछले 20 सालों से ये अखंड ज्योति इसी तरह जल रही है. यहाँ तक कि बाढ़ में जब गंगा का पानी पूरे महाकुंभ क्षेत्र को डुबा देता है, तब भी ऊँचे स्तंभ पर लगी ये अखंड ज्योति चारों ओर नदी के प्रवाह के ऊपर जलती रहती है. गंगा में बाढ़ के दिनों में नाव से जा कर इस ज्योति में तेल बाती डाली जाती है. ये अखंड ज्योति पारदर्शी शीशे के इस बहुत बड़े केस में मौजूद है. दरअसल देवराहा बाबा के सामने एक ज्योति जला करती थी, ये अखंड ज्योति उसी का प्रतीक है.
बाढ़ में नाव से आ कर डाला जाता है तेल
देवराहा बाबा आश्रम अखंड ज्योति मंच के संयोजक राम दास बतातें है कि, बाढ़ में नाव से आकर तेल डाला जाता है, वे स्वयं आ कर तेल बाती करते हैं और बाढ़ में भी पास की मचान पर रहते हूँ या नाव बांध कर यहीं रहते हैं. देवराहा बाबा की की महिमा ऐसी थी कि उनके दर्शन के लिए जवाहरलाल नेहरू, विनोबा भावे, पुरुषोत्तम दास टंडन, मोती लाल नेहरू और अरब के राजा भी आते थे. बाबा के दर्शन लिए जॉर्ज पंचम भी आए, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी सभी आते थे.
देवराहा बाबा की उम्र 300 साल से ज़्यादा थी क्योंकि तीन सौ साल का ज़िक्र तो उन्होंने ही किया था. बाबा काया कल्प करते थे यानी एक शरीर जर्जर होने पर दूसरा शरीर धारण कर लेते थे. एक रिसर्च में बाबा के लिए कहा गया कि ये नाखून जिसका भी है वो पाँच साल का बालक है. बताया गया कि,अखंड ज्योति के पास सिर्फ़ स्नान ध्यान से शुद्ध व्यक्ति ही जा सकता है इसलिए मुख्य सेवक राम दास जी ने सिर्फ़ एक संत को ही इसका ज़िम्मा दिया है.