UP News: उत्तर प्रदेश में बीते दिनों तीन सीटों पर उपचुनाव के रिजल्ट ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में नई ऊर्जा भर दी है. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) रिजल्ट आने के बाद से काफी एक्टिव दिख रहे हैं. हालांकि अभी यूपी में नगर निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) होने वाला है, एलान किसी भी दिन हो सकता है. लेकिन दूसरी ओर हर पार्टी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2022) की तैयारी में भी लग गई है.
हालांकि बीते दिनों के राजनीतिक घटना क्रम पर नजर डालें तो अखिलेश यादव 'मिशन 2024' पर खास ध्यान दे रहे हैं. सपा प्रमुख ने कुछ ऐसे फैसले लिए जिसका असर भी देखा जा सकता है. सबसे पहले बात लोकसभा में पार्टी का नेता को नियुक्त करने के मामले पर ध्यान देते हैं. ये जिम्मेदारी पहले मुलायम सिंह यादव के पास थी. लेकिन बीते दिनों मुरादाबाद के सांसद एसटी हसन को जिम्मेदारी दी गई. एसटी हसन मुस्लिम होने के साथ ही पश्चिमी यूपी से आते हैं.
UP Politics: डिंपल यादव के बदले एसटी हसन को क्यों मिली नेताजी वाली जिम्मेदारी? जानिए वजह
ये दोनों कदम भी अहम
ये वही इलाका है, जहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कमाल का प्रदर्शन किया था. वहीं बीएसपी और बीजेपी के मुस्लिम कार्ड को देखते हुए सपा के इस फैसले को काफी हम माना जा रहा है. अखिलेश यादव का दूसरा बड़ा फैसला चाचा शिवपाल यादव को लेकर रहा. मैनपुरी में जीत के बाद प्रसपा का सपा में विलय हुआ. हालांकि अभी तक उनका रोल तय नहीं हो पाया है. लेकिन सूत्रों की माने तो सपा प्रमुख उन्हें संगठन का काम दे सकते हैं.
तीसरी और सबसे अहम हो लोकसभा चुनाव में सपा गठबंधन में संतुलन, इस उपचुनाव में सपा गठबंधन एकजुट नजर आया है. जबकि ऐसे रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव के वक्त नहीं था. वहीं गठबंधन को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के रूप में एक नया साथी मिल गया है. इसके बाद आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी और खतौली से विधायक चुने गए मदन भैय्या ने चंद्रशेखर से मुलाकात की है. अगर चंद्रशेखर सपा गठबंधन के साथ रहते हैं तो दलित वोटर्स को जोड़ने में अहम फैक्टर साबित हो सकते हैं.