नई दिल्ली, पंडित शशिशेखर त्रिपाठी। मकर सक्रांति का पर्व कैसे मनाना चाहिए। इस दिन क्या दान करना चाहिए। इस पर्व का महत्व क्या है। इसके बारे में विस्तार से बताया है आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने।



मकर सक्रांति


उत्तरायन देवताओं का अयन है। यह पुण्य पर्व है। इस पर्व से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। उत्तरायन में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है। पुत्र की राशि में पिता का प्रवेश पुण्यवर्द्धक होने से साथ-साथ पापों का विनाशक है।  सूर्य - पति है। कर्म के घर में जा रहा है। सूर्य पूर्व दिशा से उदित होकर 6 महीने दक्षिण दिशा की ओर से तथा 6 महीने उत्तर दिशा की ओर से होकर पश्चिम दिशा में अस्त होता है। उत्तरायन का समय देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन का समय देवताओं की रात्रि होती है, वैदिक काल में उत्तरायन को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा गया है। मकर संक्रांति के बाद माघ मास में उत्तरायन में सभी शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं।


हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 वर्ष में दो आयन होते हैं अर्थात 1 साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है और इसी परिवर्तन को उत्तरायन एवं दक्षिणायन कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करते हैं, तब तक के समय को उत्तरायन कहा जाता है, यह अवधि 6 माह की होती है, उसके बाद जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि में विचरण करते हैं, तब उस समय को दक्षिणायन कहते हैं, यह अवधि भी छह माह की होती है।


जब सूर्य उत्तरायन में आते हैं तब 3 ऋतु पड़ती हैं। शिशिर, वसंत और ग्रीष्म. और जब दक्षिणायन में होते हैं तो वर्षा, शरद और हेमंत ऋतु होती है।


मकर संक्रांति के दान


मकर संक्रांति पर दान का बहुत महत्व है। विशेषकर इस दिन तिल, खिचड़ी, गुड़ एवं कंबल दान करने का महत्व है। अन्य वस्तुओं में भी दान दे सकते हैं, लेकिन इसका विशेष महत्व है।


आइए जानते हैं कि किस राशि अनुसार मकर संक्रांति पर क्या दान करें


-मेष : गुड़, मूंगफली दाने एवं तिल का दान दें।


-वृष : सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान दें।


-मिथुन : मूंग दाल, चावल एवं कंबल का दान दें।


-कर्क : चावल, चांदी एवं सफेद तिल का दान दें।


-सिंह : तांबा, गेहूं एवं सोने के मोती का दान दें।


-कन्या : खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान दें।


-तुला : सफेद डायमंड, शकर एवं कंबल का दान दें।


-वृश्चिक : मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल का दान दें।


-धनु : पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं सोने का मोती दान दें।


-मकर : काला कंबल, तेल एवं काली तिल दान दें।


-कुंभ : काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी एवं तिल दान दें।


-मीन : रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल दान दें


मकर संक्रांति पर प्रयागराज जाकर स्नान और दान करने का बहुत ही महत्व है। ये बात तुलसी दास ने भी कही है।


माघ मकरगत रबि जब होई । 


तीरथपतिहिं आव सब कोई ।⁠।


देव दनुज किंनर नर श्रेनीं । 


सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं ⁠।⁠।


 अर्थ- माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं ⁠।⁠।⁠


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