Bareilly Government Wheat Purchase Center Are Vacant: यूपी के बरेली मंडल (Bareilly) में इस बार गेहूं की खरीद काफी सुस्त चल रही है. पिछले डेढ़ महीने में एक फीसदी भी गेहूं की खरीद नहीं हो पाई है. जिसकी वजह से यहां के सरकारी गोदाम खाली पड़े हैं. गेहूं क्रय केंद्रों पर बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ है. हालत ये है कि क्रय केंद्रों पर लगे कर्मचारियों की सैलरी देना तक मुश्किल हो रहा है. माना जा रहा कि इसकी वजह ये है कि बाजार में गेहूं क्रय केन्द्रों (Wheat Purchase Center) के मुकाबले प्रति क्विटंल दर से पैसे ज्यादा मिल रहे हैं. इसलिए किसान बाजार में अपनी फसल बेचना पसंद कर रहे हैं.


बरेली में सूने पड़े हैं गेहूं क्रय केन्द्र
सुनसान मंडी का ये नजारा बरेली के डेलापीर गल्ला मंडी का है. जिले की सबसे बड़ी सरकारी गल्ला मंडी में ऐसा सन्नाटा आज से पहले शायद ही किसी ने देखा होगा. वरना जब गेहूं खरीद होती है तो मंडी में पैर रखने की जगह नहीं होती है. बड़े बड़े ट्रैक्टर ट्रॉलियां और ट्रकों में गेहूं बेचने के लिए किसान आते हैं. किसानों को 24-24 घंटे तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था. लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल विपरीत है. क्रय केंद्रों पर पूरे-पूरे दिन कर्मचारी बैठे रहते है और कोई किसान गेहूं लेकर नहीं आता है.


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बाजार में ज्यादा कीमतों पर व्यापारियों ने खरीदा गेहूं
दरअसल सरकार ने इस बार गेहूं का सरकारी रेट 2015 रुपये प्रति क्विंटल रखा है. लेकिन किसानों से व्यापारी 2100 से लेकर 2300 रुपये तक प्रति क्विंटल गेहूं खरीद रहा है. जिसकी वजह से किसान मंडी में अपना गेहूं बेचने नही आ रहा है. किसानों को बाहर फायदा हो रहा है जबकि सरकारी मंडी में गेहूं सस्ता है. वहीं दूसरी तरफ इसका एक नुकसान ये है कि सरकार के पास जब गेहूं नहीं होगा तो देश के हालात बिगड़ सकते है. सरकार जो फ्री में राशन वितरण कर रही है वो नही कर पायेगी और आने वाले दिनों में गेहूं को लेकर हाहाकार मच सकता है. 


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