जब Vinod Khanna लेने जा रहे थे इंडस्ट्री में Amitabh Bachchan की जगह, मगर आखिरी वक्त में बॉलीवुड छोड़ने के फैसले ने कर दिया सब बर्बाद
70 के दशक में अपना बॉलीवुड करियर शुरू करने वाले मशहूर एक्टर विनोद खन्ना ने 'मेरा गांव मेरा देश' और फिर उसके बाद 'मेरे अपने' जैसे शानदार फिल्मों में काम कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम बना लिया था
70 के दशक में अपना बॉलीवुड करियर शुरू करने वाले मशहूर एक्टर विनोद खन्ना ने 'मेरा गांव मेरा देश' और फिर उसके बाद 'मेरे अपने' जैसे शानदार फिल्मों में काम कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम बना लिया था, ये वो वक्त था जब अमिताभ बच्चन अपने करियर को लेकर इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे थे। उसके कुछ सालों के बाद भी जहां विनोद खन्ना फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने एक्टर्स में शामिल होने में कामयाब हो चुके थे तो वहीं दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन को उनके करियर की बड़ी फिल्म मिली जिसका नाम था 'जंजीर'। इस फिल्म के हिट होते ही हर तरफ अमिताभ बच्चन के नाम की चर्चा होने लगी। 'दीवार' और 'शोले' जैसी ब्लॉक बस्टर फिल्मों ने अमिताभ को रातों रात सुपरस्टार बना दिया।
80 के दशक में विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया, जिनमें 'परवरिश', 'खून-पसीना', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'हेरा-फेरी' और 'अमर अकबर एन्थोनी' जैसी फिल्में शामिल हैं। इन सभी फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने हीरो तो वहीं विनोद खन्ना सेकेंड लीड हीरो का किरदार निभाया। उस वक्त अमिताभ बच्चन को टक्कर देने के लिए इंडस्ट्री में तीन ही होरो थे, धर्मेंद्र, ऋषि कपूर और विनोद खन्ना। जहां धर्मेंद्र को लोग एक एक्शन हीरो के रूप में ही पसंद करते थे, ऋषि कपूर ज्यादातर रोमांटिक किरदार निभाते थे, मगर विनोद खन्ना हर तरह के किरदार में फिट हो जाते थे। विनोद खन्ना एक बेहतरीन एक्टर के साथ-साथ हैंडसम नौजवान भी थे, उस वक्त हर किसी को लगता था कि विनोद में बॉलीवुड का महानायक बनने के सभी गुण मौजूद हैं और वो अमिताभ बच्चन के स्टारडम को टक्कर दे सकते हैं।
फिल्म 'अमर अकबर एन्थोनी' के वक्त अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना से बड़े स्टार बन चुके थे, लेकिन इस फिल्म में मेकर ने विनोद खन्ना को पुलिसवाले का रोल दिया। फिल्म के एक सीन में विनोद खन्ना, अमिताभ की पिटाई करते हैं, मनमोहन देसाई को लगा कि एक तो विनोद फिल्म में पुलिस वाले का किरदार निभा रहे हैं और दूसरा वो बड़े भाई भी हैं तो ऐसे में अमिताभ का उनपर हाथ उठाना ठीक नहीं रहेगा। ऐसे में इस सीन में अमिताभ बच्चन सिर्फ पिटते रहे। जब फिल्म रिलीज हुई तब ये सीन इस फिल्म के कुछ बेहतरीन सीनों में से एक बना, जिसे दर्शकों ने भी खूब पसंद किया, जिसके बाद इंडस्ट्री वालों के साथ-साथ दर्शकों को भी लगा कि विनोद खन्ना, अमिताभ को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
इसके बाद जहां अमिताभ बच्चन एक के बाद एक लगातार हिट फिल्मों की लाइन लगा रहे थे तो वहीं विनोद खन्ना भी कहां उनसे पीछे रहने वाले थे, विनोद खन्ना ने भी फिरोज खान की फिल्म 'कुरबानी' से बॉक्स ऑफिस पर धमाका कर दिया। खबरों की माने इस फिल्म में विनोद खन्ना वाला रोल अमिताभ बच्चन को ऑफर हुआ था लेकिन अमिताभ सेकेंड हीरो का रोल नहीं निभाना चाहते थे क्योंकि इस फिल्म में फिरोज खान लीड हीरो का किरदार निभा रहे थे, अमिताभ के इंकार के बाद ये फिल्म विनोद खन्ना के पास पहुंची जिसके बाद ये फिल्म बनी और सुपरहिट साबित हुई, जिसने विनोद के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
करियर के उस मुकाम में पहुंचकर विनोद खन्ना ने साल 1982 में फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने का फैसला कर लिया, उनके इस फैसले ने ना सिर्फ उनके फैंस को बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री को हैरानी में डाल दिया। विनोद खन्ना ने फिल्में छोड़, ओशो की शरण में जाने का फैसला किया। विनोद अध्यात्म की और चल पड़े तो वहीं अमिताभ बच्चन अभी भी बॉलीवुड में हिट पे हिट फिल्में दे रहे थे। हालांकि साल 1987 में विनोद खन्ना ने एक बार फिर से बॉलीवुड में वापसी की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, फिर भी उन्होंने वापस आने के बाद 'इंसाफ' और 'दयावान' जैसी फिल्म की।