चुनाव आयोग ने यूपी के रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर उपचुनाव के तारीख की घोषणा कर दी है. इस सीट पर 10 मई को चुनाव होंगे और 13 मई को नतीजे आएंगे. यानी 13 मई को स्वार को उनका नया विधायक मिल जाएगा. 


तारीख के ऐलान के साथ ही उपचुनाव को लेकर जहां एक तरफ अपना दल (एस) ने अपनी सक्रियता तेज कर दी है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की भी निगाहें समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मोहम्मद आज़म खां के इस आखिरी गढ़ पर टिक गई है.


दरअसल यह सीट पर आज़म खां के बेटे अब्दुल्ला आज़म विधायक थे, लेकिन हाल ही में अब्दुल्ला को 15 साल पुराने एक मामले में 2 साल की कैद की सजा सुनाई गई है, जिसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया.


अब्दुल्ला की विधायकी जाने के बाद स्वार विधानसभा सीट खाली हो गया. अब बीजेपी अपने धुर विरोधी रहे आज़म के इस आखिरी गढ़ को अपने नाम करने की पूरी कोशिश में है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आज़म खान इस अग्निपरिक्षा में खड़े उतर पाएंगे? स्वार सीट पर कौन कौन होगा दावेदार?


किस केस में अब्दुल्ला को सुनाई गई सजा


13 फरवरी 2023, ये वो दिन था जब 15 साल पुराने मामले में अब्दुल्ला आज़म को मुरादाबाद की कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई थी. 29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने समाजवादी पार्टी नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था. कार को रोके जाने पर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने जमकर हंगामा किया और सड़क पर जाम भी लगा दिया था.


उस दिन सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में आज़म खान, उनके बेटे अब्दुल्ला सहित पूरे नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आज़म खां के साथ अब्दुल्ला आज़म को भी सजा सुनाई. जिसके बाद बीते 15 फरवरी को अब्दुल्ला विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई. 


पिछले दो विधानसभा चुनावों में इस सीट पर आज़म परिवार का वर्चस्व


साल 2022 में जून के महीने में आज़म खां के इस्तीफे से रामपुर लोक सभा खाली हो गया था. उस सीट पर हुए उपचुनाव में आज़म के करीबी आसिम राजा को मात देकर बीजेपी के आकाश सक्सेना ने उनके चार दशक पुराने इस गढ़ को ढहा दिया था. अब एक बार फिर बीजेपी ने स्वार सीट पर निगाहें गड़ा दी हैं.


बता दें कि स्वार सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनावों में आज़म परिवार का वर्चस्व रहा है. उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म ने यहां 2017 और 2022 में जीत दर्ज की थी. यही कारण है कि रामपुर सीट अपने हाथ से गंवाने के बाद आज़म खान इस सीट को पाने की पूरी कोशिश करेंगे. ऐसे में वह किसी करीबी को ही दावेदार बनाएंगे. 


स्वार सीट पर कौन-कौन दावेदार


आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला वर्तमान में सजायाफ्ता होने के कारण चुनाव लड़ नहीं सकते है. ऐसे में सबकी निगाहें आज़म खां की पत्नी पूर्व सांसद और पूर्व विधायक तंजीन फात्मा पर टिकी हुई है. हालांकि उन्होंने पहले ही अपनी खराब सेहत के कारण चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. 


आज़म खान की पत्नी के अलावा उनका एक और बेटा अदीब आज़म और उनकी बहु के भी मैदान में उतरने की चर्चा होती रही है. ऐसे में आज़म खान अपने बेटे अदीब या बहु को चुनावी मैदान में उतार सकते है. हालांकि किसी न किसी कानून मामले में फंसे होने के कारण हो सकता है कि इस उपचुनाव में आज़म खान के परिवार से कोई दावेदार न हो.


माना जा रहा है कि रामपुर में लोकसभा सीट और विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जिस तरह आज़म खान ने अपने खास आसिम रजा को मैदान में उतारा था, ठीक उसी तरह इस उपचुनाव में किसी खास को मैदान में उतारा जाए. हालांकि इसे लेकर आज़म खान या सपा की तरफ से किसी तरह का बयान सामने नहीं आया है.  


बीजेपी उतार सकती है अपना प्रत्याशी 


अब देखना ये है कि रामपुर में मिली जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी स्वार उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतारती है या पिछली बार की तरह अपने सहयोगी अपना दल (एस) को मौका देती है. 


बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि फिलहाल हमारी प्राथमिकता स्वार सीट को जीतने की है. उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी उतरेगा या अपना दल (एस) का, यह दोनों दल आपसी बातचीत के जरिये तय करेंगे.


पार्टी के स्थानीय संगठन की माने तो होने वाले उपचुनाव में बीजेपी अपने प्रत्याशी को ही मैदान में उतारेगी. बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में स्वार सीट अपना दल (एस) के कोटे में गई थी. उस वक्त इस सीट से रामपुर के नवाब खानदान के हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां ने अपना दल (एस) उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. हालांकि वह हार गए थे. 


स्वार विधानसभा सीट इन पार्टियों के रह चुके हैं विधायक


रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट का इतिहास कुछ ऐसा रहा है कि यहां कांग्रेस से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक और समाजवादी पार्टी से लेकर बहुजन समाज पार्टी और जनसंघ तक के कैंडिडेट को विधायक बनने का मौका दिया गया है. यहां तक कि इस सीट से निर्दलीय दावेदार भी मैदान में उतर चुके हैं और जीत हासिल कर चुके हैं. 


1. इस सीट पर 1947 के बाद से सबसे ज्यादा बार कांग्रेस पार्टी की ही जीत हुई है. चुनाव आयोग के अनुसार साल 1951 से साल 1962 तक, इस सीट पर भारतीय जनसंघ से राजेन्द्र शर्मा विधायक रहें. 


2. साल 1974 और 1977 में कांग्रेस के सैयद मुर्तजा अली खान, मकबूल अहमद ने जीत दर्ज किया और सत्ता में रही. 


3. साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के चौधरी बलबीर सिंह ने इस सीट पर अपनी जीत दर्ज की और विधायक बने. 


4. साल 1985 में एक बार फिर कांग्रेस की वापसी हुई. इस चुनाव में स्वार सीट से हाजी निसार हुसैन ने जीत दर्ज की और  विधायक बने. 


5. साल 1989 से भारतीय जनता पार्टी के शिव बहादुर सक्सेना ने एक बार फिर जीत का परचम लहराया और इस सीट पर एक बार फिर कमल खिला गया. साल 1996 तक बीजेपी की पार्टी रही. भारतीय जनता पार्टी के शिव बहादुर सक्सेना चार बार यहां के विधायक बने. 


6. साल 2002 में रामपुर नवाब परिवार के नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां कांग्रेस से चुनावी मैदान में उतरें और अपनी जीत करते हुए यहां के विधायक बने. 


7. साल 2007 में नवेद मियां ने कांग्रेस से एक बार फिर चुनाव लड़ा लेकिन इस बार वह कांग्रेस नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. इस बार उन्होंने जीत दर्ज की और विधायक बने. हालांकि नवेद ने इसी साल बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर समाजवादी पार्टी से साथ छोड़ दिया और विधायकी से इस्तीफा देते हुए बीएसपी में शामिल हो गए थे. साल 2012 में एक बार फिर नवेद मियां कांग्रेस से इस सीट पर उतरे और विधायक बने.


आज़म खान के बेटे बने दो बार विधायक लेकिन छिन गई कुर्सी


साल 2017 में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म ने इसी पार्टी से स्वार सीट पर जीत हासिल की और विधायक बन गए. लेकिन उम्र के फर्जीवाड़े मामले में हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साल 2019 में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया. उस वक्त कोरोना महामारी के कारण उपचुनाव नहीं हुआ. 


साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला आज़म एक बार फिर मैदान में उतरें और पार्टी की जीत हुई. समाजवादी पार्टी के टिकट पर अब्दुल्ला आज़म फिर विधायक बने, हालांकि इस बार भी 15 साल पुराने केस में दो साल की सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई. इस सीट पर अब 10 मई को उपचुनाव होने हैं. 


मुसलमानों के नेता आज़म खान 


आज़म खान ने खुद को बड़े मुसलमान नेता के तौर पर उन्हें स्थापित किया. वह उसी रामपुर से सांसद रहे हैं जिस सीट पर मुसलमानों के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपना पहला चुनाव जीता था. उनकी बयानबाजी भी हमेशा ही चर्चा का हिस्सा रही है. जेल में बंद रहते हुए भी आज़म खान ने सांसदी छोड़कर साल 2022 में विधायकी का चुनाव लड़ा और जीता.


आइये जानते हैं आज़म खान के कुछ विवादित बयान... 


बुलंदशहर रेप केस: आज़म खान ने बुलंदशहर रेप केस पर भी एक विवादित टिप्पणी की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें को फटकार भी लगाई थी. दरअसल इस मामले पर आज़म खान ने कहा था, 'यह किसी राजनीतिक पार्टी का कांड लगता हैं सत्ता की लोभी पार्टियां किसी भी हद तक जा सकती हैं.


सेना को लेकर दिया का विवादित बयान: आज़म खान ने साल 2013 में हुए कारगिल युद्ध को लेकर कहा था, 'कारगिल पर देश को फतह मुस्लिम जवानों ने दिलाई थी. उनमें हिंदू शामिल नहीं थे.'  उनके इस बयान की भी काफी आलोचना हुई थी मगर वह अपनी बात पर ही अड़े रहे.


जयाप्रदा साधा निशाना:  मुलायम सिंह यादव ने साल 2009 के लोकसभा चुनावों में रामपुर से आज़म की जगह जयाप्रदा को टिकट दिया था. उस वक्त भी आज़म खान ने गलत शब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने जया प्रदा के लिए नचनिया और घुंघरू वाली जैसे शब्दों कहे थे जिसे लेकर उनकी जमकर आलोचना की गई थी.