Atique-Ashraf Shootout Case: अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड की जांच करने प्रयागराज पहुंचा न्यायिक आयोग अगले पांच दिनों तक चश्मदीदों के बयान दर्ज करेगा. बता दें कि 15 अप्रैल को पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस कस्टडी में हुई वारदात ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर गंभीर सवाल खड़े किए थे. हत्याकांड की जांच करने का जिम्मा जस्टिस डीबी भोसले की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग को सौंपा गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस डीबी भोसले, पूर्व चीफ जस्टिस झारखंड हाईकोर्ट के वीरेंद्र सिंह, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी, आईपीएस सुबोध कुमार सिंह और पूर्व जिला जज बृजेश कुमार सोनी न्यायिक आयोग के सदस्य हैं.


अतीक अहमद-अशरफ हत्याकांड की क्या है वजह? 


मंगलवार की दोहपर न्यायिक आयोग के सदस्य सर्किट हाउस पहुंचे. उत्तर पुलिस के अधिकारियों समेत एसआईटी से बातचीत कर सदस्यों ने घटनाक्रम की जानकारी ली. न्यायिक आयोग को दो महीने में घटनाक्रम की जांच रिपोर्ट सौंपनी है. हाई प्रोफाइल मामले को देखते हुए सर्किट हाउस  की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है. अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड में 21 पुलिसकर्मी, 16 स्वास्थ्यकर्मियों और छह पत्रकारों समेत 41 चश्मदीदों का बयान दर्ज किया जाना है. चश्मदीदों की लिस्ट में और नामों को भी बढ़ाया जा सकता है.


न्यायिक आयोग के सदस्य चश्मदीदों से करेंगे पूछताछ


न्यायिक आयोग की तरफ से जारी नोटिस में चश्मदीदों को 15 दिनों का समय दिया गया है. अतीक-अशरफ का एक्सरे और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान को भी रिकॉर्ड पर लिया जाएगा. जांच के दौरान न्यायिक आयोग घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाल सकता है. हत्याकांड को अंजाम देनेवाले तीनों आरोपी पुलिस गिरफ्त में हैं. 15 अप्रैल को सनसनीखेज घटना के बाद मौके से तीनों शूटर पकड़ लिए गए थे. शूटर लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या 25 मई तक ज्यूडिशियल कस्टडी रिमांड पर प्रतापगढ़ जेल में बंद हैं. हत्याकांड की वजह का पता लगाना जांच एजेंसियों के लिए चुनौती से कम नहीं है. 


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