कनाडा से सौ वर्ष बाद मां अन्नपूर्णा की मूर्ति शिव की धरती काशी में आ गई है. यह मूर्ति काशी की पवित्र भूमि से ही 100 साल पहले चोरी हुई थी. मां अन्नपूर्णा की आज प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है. इस प्राण प्रतिष्ठा के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद माता अन्नपूर्णा के इस अलौकिक मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह के ठीक बगल में विराजमान किया.


बाबा विश्वनाथ से जुड़ा है माता का नाता


शास्त्रों के अनुसार खुद माता अन्नपर्णा ने मां पार्वती का रूप लेकर भोले बाबा से शादी की थी. पर भगवान भोलेनाथ कैलाश पर रहते थे, वहीं हिमालय पुत्री मां पार्वति को कैलाश यानी अपने ससुराल में रहना पसंद नहीं आया. इसके बाद खुद माता ने बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में रहने की इच्छी जताई. मां पार्वती के इच्छा अनुसार भगवान शिव माता को लेकर काशी रहने के लिए आ गए. माता अन्नपूर्णा के मां पार्वति के रूप में काशी आने के बाद से कहा जाता है कि काशी नगरी में कोई भी जीव भूखा नहीं रहता है. काशी में ही 'मां अन्नपूर्णा' का सुंदर मंदिर हैं, जो कि अन्नकूट के दिन खुलता है और यहां उस दिन 56 तरह के भोग लगते हैं.


मां अन्नपूर्णा की आरती


बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम 
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम .


प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम  
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम  
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम


देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम  
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम 
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम  
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम  
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम
॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥


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