उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रहे वसीम रिजवी ने कल इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म कबूल कर लिया. धर्म बदलने के बाद उनका नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया है. उन्होंने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में यति नरसिंहानंद गिरी की मौजूदगी में सनातन धर्म ग्रहण किया. आइए जानते हैं कौन हैं वसीम रिजवी (जितेंद्र नारायण त्यागी) और उन्होंने क्यों इस्लाम धर्म को छोड़ सनातन धर्म को अपनाया है.


कौन है वसीम रिजवी
वसीम रिजवी का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक साधारण परिवार में हुआ. उनकी बेहद कम उम्र में वसीम के पिता का निधन हो गया. वसीम रिजवी अपने सभी भाई-बहनों में बड़े थे इसलिए पिता के बाद सारी जिम्मेदारियां उन पर आ गईं. वसीम नैनीताल से पढ़ाई करने के बाद सऊदी अरब, जापान और अमेरिका में नौकरी की.     


10 साल तक शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में रहे
अमेरिका से आने के बाद वसीम रिजवी ने धीरे-धीरे समाज के लोगों में अपनी पैठ जमाई और साल 2000 में कश्मीरी मौहल्ले से नगर निगम का चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा. इसके बाद सन 2008 में वे शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मेंबर बन गए और दस साल तक वक्फ बोर्ड में रहे. हालांकि इस बीच साल 2012 में वक्फ की जमीनों में गड़बड़ियों के आरोप चलते लोगों के निशाने पर भी रहे. इस दौरान समाजवादी ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया. 


विवादों से है पुराना नाता 
नारायण सिंह त्यागा बने वसीम रिजवी अक्सर अपने विवादों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. वे इस्लाम की आलोचना करते दिखाई देते हैं. वसीम ने एक किताब लिखी जिसमें इस्लाम और पैगंबर मौहम्मद के बारे में ऐसी टिप्पणी कर दी जिससे उनकी काफी मुखालिफत हुई. यही नहीं उन्होंने कुरान की 26 आयतें हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक दायर कर दी थी. धर्म परिवर्तन करने के साथ ही उन्होंने कहा कि मेरी नजर में इस्लाम जैसा कोई धर्म ही नहीं है. सनातन धर्म में सबसे ज्यादा इंसानियत पाई जाती है. 


क्यों छोड़ा इस्लाम?
धर्म परिवर्तन करने के बाद नारायण सिंह बने वसीम रिजवी ने कहा कि उन्होंने इस्लाम से निकाल दिया गया है और अब उनकी मर्जी है वे किसी भी धर्म में जा सकते हैं. उन्होंने इस्लाम को और पैगंबर मौहम्मद को लेकर भी तल्ख टिप्पणी की.


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