लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का निधन हो गया. वे 89 वर्ष के थे. कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को अतरौली में हुआ था. उन्हें हिंदूवादी नेता के तौर पर जाता था. उन्होंने अलीगढ़ से बीए तक पढ़ाई की और समाज सेवा के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे. 1967 में कल्याण सिंह भारतीय जनसंघ के टिकट पर अतरौली विधानसभा से चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे.
1985 में की जबरदस्त वापसी
कल्याण सिंह 1980 से लगातार इस सीट से जीतते रहे. 1980 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह को अतरौली से हार का मुंह देखना पड़ा. जानकारों की मानें तो इसको एंटी-इनकंबेसी का असर माना गया और कल्याण सिंह ने भाजपा के टिकट पर 1985 के विधानसभा चुनाव में जोरदार वापसी करते हुए फिर जीत हासिल की. तब से लेकर 2004 के विधानसभा चुनाव तक कल्याण सिंह अतरौली से लगातार विधायक बनते रहे.
इस तरह शुरू हुआ अयोध्या विवाद
1984 में अयोध्या का मुद्दा ऐसा सामने आया, जिसने भारतीय राजनीति का दिशा बदल दी. भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को लपक लिया और जनता के बीच अपनी भावनात्मक मौजूदगी दर्ज करा ली.
अयोध्या के मामले में 1959 में निर्मोही अखाड़े ने मुकदमा दर्ज कराया था. इसके तहत विवादित भूमि का मंदिर के तौर पर वह इस पर अधिकार चाहता था. वहीं, दो साल बाद 1961 दिसंबर में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक मुकदमा दर्ज करा दिया. उनकी मांग थी कि, यहां पर रखी मूर्तियां हटाई जाएं और मस्जिद को दी जाए. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शासन काल के दौरान जिला जज ने ऑर्डर किया कि मस्जिद के गेट को खोल दिया जाए. और हिंदुओं को वहां पूजा करने की इजाजत मिल गई. इस आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बना ली और कहा कि, यहां पूजा नहीं होगा. इस पर विवाद की शुरुआत हो गई.
कल्याण सिंह के अगुवाई में बनी पूर्ण बहुमत की सरकार
इस बीच विश्व हिंदू परिषद भी अड़ गया कि, विवादित जगह पर ही शिलाएं रखी जाएंगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1989 में इस मामले को लेकर आदेश दिया और इसकी सुनवाई शुरू हुई. वहीं, बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने मंदिर मुद्दे को नया रंगदेते हुए मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा निकाली. अक्टूबर 90 में यूपी के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने कारसेवकों पर गोलियां चलवा दीं. इस दौरान कई कारसेवक मारे गये, जो मंदिर बनाने पहुंचे थे. इसके बाद पूरे देश में एक राम मंदिर का आदोलन शुरू हो गया.
इस आंदोलन के दौरान ही उनकी छवि राम-भक्त की हो गई और यूपी में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई. जब साल 1991 में बीजेपी ने पहली बार यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया.
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