UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश महिला आयोग के उपाध्यक्ष के तौर पर अपर्णा यादव को नियुक्त किया था. लेकिन सूत्रों की मानें तो अपर्णा यादव को दी गई जिम्मेदारी से वह नाराज हैं और अब वह बीजेपी छोड़ने की तैयारी कर रही हैं. दावा है कि अपर्णा ने शिवपाल सिंह यादव से संपर्क स्थापित किया है. बीते दो दिनों से अपर्णा यादव की खामोशी भी अब इसका संकेत देने लगी है.


दरअसल, महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त होने से पहले बीते तीन सालों के दौरान तमाम तरह की अटकलें अपर्णा यादव को लेकर चलती रहीं. पहले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए गए. इसके बाद निकाय चुनाव में मेयर उम्मीदवार बनाने के कयास लगाए गए और फिर लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई गई थी.


लेकिन हर मौके पर अपर्णा यादव को निराशा ही हाथ लगी है. हालांकि उन्होंने इस दौरान पार्टी द्वारा दी गई हर जिम्मेदारी पूरी को निभाया. हर मोर्चे पर पार्टी के डटी रहीं तो उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के कयास लगाए जाने लगे थे. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान वह अखिलेश यादव और उनके पूरे परिवार के खिलाफ बोलने से बचती नजर आईं हैं.


अपर्णा यादव के नाराजगी की जब खबरें मीडिया में आई तो पत्रकारों ने यह सवाल सीधे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के सामने रख दिया. भूपेंद्र चौधरी ने उनकी नाराजगी की अटकलों को खारिज नहीं किया, बल्कि कहा- 'पार्टी द्वारा दी गई कोई भी जिम्मेदारी छोटी नहीं होती है.' यानी कयासों पर अब मुहर लग गई है.


शिवपाल यादव का लिया आशीर्वाद
अब सूत्रों की मानें तो बीजेपी से उम्मीदों को झटका लगने के बाद अपर्णा यादव नई सियासी राह तलाश रही हैं. सूत्रों के अनुसार, अपर्णा यादव ने चाचा शिवपाल यादव से संपर्क किया है.  सूत्रों के अनुसार वह चाचा शिवपाल से मिलने भी गई थीं और उन्होंने आशीर्वाद भी लिया. दरअसल, यह खबर ऐसे वक्त में आई है, जब अपर्णा यादव नाराज बताई जा रही हैं.


जानकारों का कहना है कि वह शिवपाल यादव के जरिए फिर से परिवार के साथ जाना चाहती हैं और समाजवादी पार्टी में अपनी सियासी पारी शुरू करना चाहती हैं. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर सपा में शिवपाल यादव का ओहदा इतना ऊंचा क्यों है? मुलायम सिंह यादव के वक्त से ही शिवपाल यादव पार्टी में संगठन का काम देखते रहे हैं.


जब तक नेताजी के हाथ पार्टी रही तो संगठन की पूरी जिम्मेदारी उनके भाई शिवपाल यादव के पास रही. लेकिन जब पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथ गई तो बात बिगड़ती चल गई और शिवपाल यादव न केवल अकेले पड़ गए बल्कि सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली. चाचा शिवपाल के अलग होने का असर सपा पर हमेशा देखा गया.




BJP छोड़ने की तैयारी में अपर्णा यादव? सपा के इस दिग्गज नेता से किया संपर्क


सपा को भी दिखाया आईना
चाचा शिवपाल जब तक सपा के साथ वापस नहीं आए और फिर से संगठन की बागडोर नहीं संभाली पार्टी चुनाव दर चुनाव हारती चली गई. लेकिन नेताजी के निधन के बाद मैनपुरी उपचुनाव होने वाला था. तब अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने पुरानी गलती सुधारते हुए शिवपाल यादव को फिर साथ लाए. इसका असर उसके बाद हर चुनाव में दिखने लगा.


मैनपुरी उपचुनाव सपा ने रिकॉर्ड मतों से जीत और इसके बाद शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा का सपा में विलय हो गया. लोकसभा चुनाव हो या उससे पहले के उपचुनाव हर वक्त अखिलेश यादव के साथ शिवपाल यादव मैदान में डटे हुए नजर आए. बीते लोकसभा चुनाव में फिर सपा अपने पुराने रंग में नजर आई और रिकॉर्ड जीत दर्ज की.


हालांकि बीते तीन सालों के दौरान अपर्णा यादव कई मौकों पर चाचा शिवपाल यादव का आशीर्वाद लेने जाती रहीं. बीजेपी में रहते हुए भी वह कई मौकों पर चाचा शिवपाल यादव के घर गईं और उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिया. बीजेपी के लिए लगातार काम करते हुए भी अपर्णा यादव की परिवार से दूरी नहीं बनी और वह परिवार के खिलाफ बोलने से भी बचती रहीं.


फिर दिखी उम्मीद
अब जब बीजेपी में उन्हें उम्मीद के अनुसार तरजीह नहीं दी गई तो उन्होंने फिर से शिवपाल यादव के जरिए ही सपा में अपना रास्ता खोजना शुरू किया. ऐसे में देखा जाए तो शिवपाल यादव के हर पार्टी के हर स्थिति में परिवार के लिए ढाल बनकर खड़े रहे. यह कई मौकों पर नजर आया और अब फिर एक बार वही तस्वीर बन रही है.


बता दें कि अपर्णा यादव, मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू हैं. वह नेताजी के बेटे प्रतिक यादव की पत्नी हैं. अपर्णा यादव बीते करीब चार सालों से बीजेपी में सक्रिय हैं. इस दौरान हर चुनाव में बीजेपी के लिए काम करती नजर आई हैं.