Akhilesh Yadav Resign From Loksabha: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मंगलवार को लोकसभा (Loksabha) से इस्तीफा दे दिया. वो आजमगढ़ लोकसभा सीट (Azamgath Loksabha Seat) से सांसद थे. यूपी विधानसभा चुनाव में मैनपुरी (Mainpuri) की करहल सीट (Karhal Seat) से जीत हासिल करने के बाद उन्होंने ये फैसला लिया है. अब वो विधायक के तौर पर यूपी की सियासत में सक्रिय रहेंगे. अखिलेश यादव ने मंगलवार सुबह लोकसभा स्पीकर ओम प्रकाश बिरला को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस मौके पर सपा के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) भी उनके साथ थे. अखिलेश के साथ आजम खान (Azam Khan) ने भी लोकसभा से इस्तीफा दे दिया है. 


आजमगढ़ में दर्ज की थी शानदार जीत


अखिलेश यादव के लोकसभा से इस्तीफा देने के फैसले ने सबको चौंका दिया क्योंकि यूपी चुनाव में हार के बाद माना जा रहा था कि अखिलेश करहल से विधायकी को छोड़ लोकसभा सांसद बने रहेंगे. लेकिन अखिलेश ने प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने का फैसला लिया है. अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद थे. इस जिले में सपा का खासा दबदबा माना जाता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब मोदी की लहर देखने को मिल रही थी तब भी अखिलेश ने यहां से शानदार जीत दर्ज की थी. अखिलेश यादव ने बीजेपी के उम्मीदवार दिनेश लाल निरहुआ को 2,59,874 वोटों से हराया था. उन्हें 6,21,578 वोट मिले थे जबकि उनके बीजेपी के निरहुआ को 3, 61, 704 वोट मिले थे. 


अखिलेश ने क्यों दिया लोकसभा से इस्तीफा


अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे कर साफ कर दिया है कि वो प्रदेश की राजनीति में ज्यादा एक्टिव रहना चाहते हैं. अखिलेश यादव को इस बार 111 सीटें मिली है. सपा अकेली सबसे मजबूत विपक्ष के तौर पर प्रदेश में हैं. माना जा रहा है कि वो नेता प्रतिपक्ष बन सकते हैं. जिससे वो योगी सरकार को ज्यादा बेहतर तरीके से घेर सकेंगे. उनकी नजर अब 2024 के लोकसभा चुनाव पर है. यूपी में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं. जाहिर है प्रदेश में रहकर वो पार्टी के लिए ज्यादा मजबूती से काम कर सकेंगे. इसके साथ ही सहयोगी दलों के साथ गठबंधन को बनाए रखना भी उनकी प्राथमिकता में है. 


सपा का गढ़ माना जाता है आजमगढ़


जहां तक आजमगढ़ की बात करें तो ये हमेशा समाजवादियों का गढ़ माना जाता है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी सपा ने यहां की सभी 10 सीटों पर परचम लहराया है. जाहिर है उनके इस्तीफे के बाद जब ये सीट खाली होगी तो यहां पर होने वाले उपचुनाव में भी पार्टी की स्थिति काफी मजबूत रहेगी. इस सीट के जाने का खतरा काफी कम है. उपचुनाव में अखिलेश यहां से डिंपल यादव को उतार सकते हैं. 


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