उत्तर प्रदेश और हरियाणा में धान का न्यूनतम मूल्य समान होने के बावजूद उत्तर प्रदेश का किसान धान को हरियाणा ले जाने के लिए मजबूर है. इसके पीछे आखिर क्या कारण है कि मूल्य समान होने के बावजूद किसान अपने निकट के क्रय केंद्रों पर धान ना बेच कर हरियाणा जा रहा है. इसकी पड़ताल जब ABP न्यूज़ ने की तो बहुत सारे कारण निकल कर आए जिससे किसान हरियाणा अपनी फसल को बेचने को मजबूर है.


जब इस बारे में मंडी में धान बेचने वालों व खरीदने वालों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया की यहां पर एक सरकारी क्रय केंद्र पर 300 कुंटल से ज्यादा धान की खरीद नहीं की जा सकती अगर उससे ज्यादा धान क्रय केंद्र पर बिक्री के लिए आता है तो किसी ना किसी कारण से किसान को मना कर दिया जाता है या बेचने के लिए अगले दिन तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है.


किसानों के फसल को खरीदने से कर दिया जाता है मना


प्रतीक्षा करने और 300 कुंटल से ज्याद धान खरीदने के बाद मना करने के कारण किसान को मजबूर होकर अपनी फसल कम दामों पर आढ़तियों को बेचनी पड़ती है. किसान धान की फसल को हरियाणा मे इसलिए बेचता है क्योंकि धान का रेट उत्तर प्रदेश के मुकाबले हरियाणा में ज्यादा मिलता है और वहां पर धान की फसल एकदाम से खरीद ली जाती है ओर हाथों हाथ पैसा भी मिल जाता है. यह खास वजह है जिसके कारण उत्तर प्रदेश के किसान को अपनी धान की फसल को मजबूरी में हरियाणा में जाकर बेचना पड़ता है.


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