कांग्रेस (Congress) की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद (Ghulam Abi Azad) से मुलाकात की. आजाद कांग्रेस के उस धड़े का नेतृत्व कर रहे हैं, जो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहा. सियासी हलके में इस मुलाकात के काफी मायने निकाले जा रहे हैं. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से G-23 के नाम से मशहूर असंतुष्ट नेताओं का समूह सक्रिय हो गया था. सोनिया से मुलाकात के बाद आजाद ने कहा कि उन्होंने आलाकमान को कुछ सुझाव दिए हैं. उनका कहना था कि ये सुझाव आगामी  विधानसभा चुनाव की रणनीति और पार्टी को मजबूत करने को लेकर थे. इससे पहले इसी समूह में शामिल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी. 


फिर क्यों सक्रिय हुआ कांग्रेस का विरोधी खेमा


विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही जी-23 के नेता सक्रिय हो गए थे. उन्होंने 11 मार्च को आजाद के घर बैठक की थी. इसके बाद कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार से नेतृत्व छोड़ने तक की मांग कर डाली.आजाद के घर एक बैठक गुरुवार को भी हुई थी. इसी के बाद से सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ से आजाद के पास मिलने का बुलावा आया. 




सोनिया गांधी के साथ करीब एक घंटे की बैठक के बाद आजाद ने कहा कि वे अपने सुझाव आलाकमान को दे आए हैं. उनका कहना था कि ये सुझाव कांग्रेस को मजबूत बनाने और एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति को लेकर थे. उन्होंने समान विचारधारा वाले क्षेत्रीय दलों से हाथ मिलाने का भी सुझाव दिया है. आजाद ने शुक्रवार को नरम रुख दिखाया. उन्होंने कहा कि G-23 नेतृत्‍व में बदलाव नहीं चाहता है. वहीं कांग्रेस के नए अध्‍यक्ष से जुड़े सवाल पर आजाद ने कहा, वैकेंसी कहां है.आजाद ने कहा कि मिसेज गांधी लगातार संगठन को मजबूत करने के लिए नेताओं से बैठकें करती रहती हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी सुझाव मांगे गए थे,मैंने भी अपने सुझाव दिए.


कपिल सिब्बल ने क्या मांग की है


कपिल सिब्‍बल ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में गांधी परिवार से पार्टी का नेतृत्‍व छोड़ने की मांग की थी. इसके बाद कांग्रेस में गांधी परिवार का समर्थक धड़ा आक्रामक हो गया था. उसने सिब्बल को निशाने पर ले लिया था. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक हगलोत ने सिब्बल पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंन यहां तक कह दिया था कि सिब्बल को कांग्रेस की ABCD तक नहीं पता है. 


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लेकिन आजाद का 10 जनपथ जाकर सोनिया गांधी से मिलना, इस बात का संकेत है कि असंतुष्ट नेताओं का समूह अब उतना आक्रामक नहीं है, जैसा पहले था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की आजाद के साथ बैठक से एक दिन पहले गुरुवार को इस समूह में शामिल भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं की बैठक एक घंटे से अधिक समय तक चली थी. इस दौरान विधानसभा चुनाव के नतीजों और पार्टी को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी.


कांग्रेस का कमजोर होता दबदबा


कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व लगातार इस मामले का हल करने का प्रयास कर रहा है. कांग्रेस में उभरा जी-23 पहली बार 2020 में सोनिया गांधी को चुनावी हार और पार्टी के घटते दबदबे के बाद सामने आया था. कांग्रेस को 2014 के लोकसभा चुनाव से ही लगातार हार मिल रही है. इस वक्त कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. उसके सामने सबसे बड़ी समस्या हार के इस सिलसिले को रोकना और एक मजबूत विपक्ष के रूप में पेश करना है. लेकिन कांग्रेस इसमें लगातार कमजोर होती दिख रही है.


सोनिया गांधी और गुलाम नबी आजाजद की बैठक के बाद दोनों पक्षों में बर्फ पिघलती हुई दिखी है. अब नजर इस बात पर रहेगी कि कांग्रेस में गांधी परिवार विरोधी खेमा क्या रुख अपनाता है. और इस साल सितंबर तक होने वाले कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव का परिणाम क्या होता है. इतना सब होने के बाद भी कांग्रेस को अपने अंदर भी बदलाव लाना होगा.


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