(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Politics: मैनपुरी उपचुनाव के एक महीने बाद भी चाचा शिवपाल यादव के हाथ खाली, आखिर क्या है वजह?
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) की पार्टी का विलय हुए करीब एक महीना हो गए, लेकिन अभी भी चाचा के हाथ खाली नजर आ रहे हैं.
UP News: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में प्रसपा का विलय आठ दिसंबर को हुआ था. तब मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypoll) के मतगणना के दौरान जब निर्णायक स्थिति बन गई और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) का जीतना तय हो गया था. इसके बाद शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) को पार्टी में नई जिम्मेदारी मिलने की चर्चा शुरू हुई थी. हालांकि अब इसके एक महीने बाद भी चाचा शिवपाल यादव के हाथ खाली हैं.
दरअसल, विलय के बाद कई राजनीतिक अटकलें शुरू हुई. तब कहा गया कि शिवपाल यादव सपा के संगठन में अच्छी पैठ रखते हैं. इस वजह से उन्हें संगठन में प्रदेश अध्यक्ष या पार्टी महासचिव का पद दिया जाएगा. उनके जिम्मे संगठन को धार देने की जिम्मेदारी होगी. लेकिन इन अटकलों को चलते हुए करीब एक महीना हो गया. लेकिन चाचा की पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं तय हो सकती है. हालांकि इस दौरान कई बार चाचा ने सफाई दी.
कई मौकों पर शिवपाल यादव ने जिम्मेदारियों को लेकर बयान दिया. उन्होंने यहां तक कह दिया, "मैं प्रदेश अध्यक्ष रह चुका हूं. महासचिव रह चुका हूं. नेता विपक्षी दल रह चुका हूं और साथ ही मैंने चार बार समाजवादी पार्टी की सरकार बनवाई है, लेकिन इसके बावजूद किसी पद को पाने की कोई लालसा नहीं है. जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, उसे वह ठीक से निभाऊंगा."
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आजीवन सपा में रहने की कही थी बात
उन्होंने आगे कहा, "अगर कोई पद या जिम्मेदारी नहीं भी मिली, तब भी वह संगठन के लिए काम करेंगे. अब वह पद को छोड़कर पार्टी को मजबूत करने के काम में लगे हुए हैं. अब तक उन्हें जो भी पद या जिम्मेदारी मिली है उसे उन्होंने ठीक तरीके से निभाया है. कोई पद मिले या ना मिले, कोई जिम्मेदारी मिले या ना मिले, लेकिन वह आजीवन समाजवादी पार्टी के साथ ही रहेंगे. मैं समाजवादी परंपरा से हूं, जहां मेरे लिए पद कोई मायने नहीं रखता."
शिवपाल यादव ने अपने इस बयान के जरिए ये तो बता दिया कि उन्हें पद का कोई लालच नहीं है. वहीं दूसरी ओर वे संगठन के कामों में पूरी तरह लगे हुए दिखाई दिए. इस दौरान उन्होंने प्रतापगढ़, इलाहाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी समेत कई जिलों का दौरा किया. वे लगातार कार्यकर्ताओं के बीच दिखाई भी दिए. हालांकि इसकी पहली झलक पार्टी के विलय के वक्त ही दिख गई थी. तब वे अखिलेश यादव को संगठन के पूराने नेताओं से मिलवाते नजर आए थे.