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सुपरस्टार रजनीकांत ने सीएम योगी के छुए पैर, क्या चुनाव में मिलेगा बीजेपी को 'आशीर्वाद'

साउथ फिल्म इंडस्ट्री के सुपर स्टार अभिनेता रजनीकांत ने हाल ही में योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. सोशल मीडिया पर दोनों की मुलाकात का मुद्दा खासा गरमाया हुआ है.

अपनी सुपरहिट फिल्मों की वजह से चर्चा में रहने वाले सुपरस्टार रजनीकांत ने हाल ही में योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उनके पांव छुए हैं. अब मामला सोशल मीडिया पर खासा गरमाया हुआ है. 

दरअसल रजनीकांत सीएम से मिलने जब उनके आवास पर पहुंचे तो उन्होंने कार से उतरते ही सबसे पहले योगी आदित्यनाथ के पैर छुए. सीएम योगी ने फूलों का गुलदस्ता देकर रजनीकांत का स्वागत किया और घर के अंदर पूरे आदर-सत्कार के साथ लेकर गए.

इस बीच रजनीकांत के पांव छूकर आशीर्वाद लेने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा और लोग सवाल उठाने लगे कि 72 साल के रजनीकांत ने 51 साल के मुख्यमंत्री के पांव क्यों छुए. 

किसी से पहली बार मिलने पर पांव छूकर उनका अभिवादन करना सामाजिक शिष्टाचार की तरह भी देखा जा सकता था. लेकिन, रजनीकांत न सिर्फ सीएम योगी आदित्यनाथ से उम्र में बड़े हैं बल्कि वह दक्षिण भारत के हर वर्ग में महत्वपूर्ण दर्जा रखते हैं. 

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रजनीकांत का योगी आदित्यनाथ से मिलना दक्षिण में पैर जमाने की कोशिश कर रही बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है? रजनीकांत के योगी आदित्यनाथ के पांव छूने के सियासी मायने क्या हैं ? 

पहले जानते हैं कि आखिर रजनीकांत यूपी क्यों आए थे  

कुछ दिन पहले ही साउथ के सुपरस्टार की फिल्म 'जेलर' बड़े पर्दे पर रिलीज हुई थी. दो साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी करने और फिल्म हिट होने के बाद रजनीकांत चारधाम यात्रा के लिए निकले हैं  उनके साथ पत्नी लता रजनीकांत भी हैं. 

रजनीकांत बद्रीनाथ का दर्शन करते हुए सीधा लखनऊ पहुंचे. वहां सबसे पहले उनकी मुलाकात डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से हुई. रजनीकांत के लखनऊ में पहुंचने के साथ ही उनकी फिल्म 'जेलर' की स्पेशल स्क्रीनिंग भी रखी गई थी. इसके बाद रजनीकांत, सीधा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए.

पांव छूने का सियासी कनेक्शन 

भले ही रजनीकांत ने सीएम योगी के पैर छूने की घटना पर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बहस हो रही हो, लेकिन राजनीतिक जानकारों इन सबसे इतर राय रखते हैं. दक्षिण भारत में खासतौर से तमिलनाडु में पांव छूकर न सिर्फ सियासत मजबूत होती आई है. बल्कि तमिलनाडु की राजनीति के इतिहास में जयललिता से लेकर करुणानिधि तक का दोबारा राजतिलक भी होता आया है. 

ऐसे में लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इस तरह की तस्वीर आने को दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी की सियासत के लिहाज से बड़ा रोड मैप तैयार तैयार करने वाली रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है. 

अमर उजाला अखबार में तमिलनाडु के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राघव माधवन ने इस मुद्दे पर कहा कि, ' लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण भारत में खुद को मजबूत करने के लिए बीजेपी हर संभव कोशिश में लगी हुई है. ऐसे में पूरे दक्षिण भारत में खासकर तमिलनाडु में योगी के पांव छूने का व्यापक असर देखने को मिल सकता है. 

माधवन के मुताबिक ये कहना भी सही नहीं होगा कि सिर्फ पांव छूने भर से लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की जनता पार्टी को वोट दे देगी. लेकिन ये एक इसके बाद  पार्टी अपनी नई रणनीति के हिसाब से पूरी फील्डिंग सजा सकती है. 

इन राज्यों में रजनीकांत की पकड़ 

राजनीतिक एक्सपर्ट और पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आलोक झा ने एबीपी से बातचीत में कहा कि तमिलनाडु कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल ये वो राज्य हैं जहां की जनता सुपरस्टार रजनीकांत को भगवान की तरह मानते हैं. ऐसे में अगर रजनीकांत बीजेपी को सपोर्ट करते हैं तो भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत में एक बड़े जनमानस तक अपनी पहुंच बना सकती है.  

पहले भी सरकार बनाने में अहम रोल निभा चुके हैं रजनीकांत 

दक्षिण भारत में रजनीकांत का कितना प्रभाव है ये आप इससे भी समझ सकते हैं कि साल 1996 में करुणानिधि की सरकार बनने के पीछे फिल्म स्टार रजनीकांत का पूरे तमिलनाडु में जयललिता का विरोध करना शामिल था. करुणानिधि ने इस बात को स्वीकार भी किया है. ऐसे में जिस तरह दक्षिण भारत में बीजेपी अपनी पकड़ बनाना चाह रही है उसमें योगी आदित्यनाथ के पांव छूने की तस्वीर एक नैरेटिव सेट कर सकती है.  ऐसा लग रहा है कि रजनीकांत ने भले ही सीएम योगी आदित्यनाथ के पैर छुए हों, लेकिन आशीर्वाद के तौर पर बीजेपी इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर सकती है.

तमिलनाडु लोकसभा की इन 7 सीटों पर बीजेपी की नजर

मिशन 2024 में लगी बीजेपी ने फिलहाल तमिलनाडु पर फोकस बढ़ा दिया है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से तमिलनाडु की कमान खुद गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल ली है. शाह जून और जुलाई में तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने बीजेपी नेताओं को 25 सीट जीतने का लक्ष्य भी दिया है, लेकिन पार्टी राज्य की 7 सीटें हर हाल में जीतना चाहती है. ऐसा 

तमिलनाडु पर बीजेपी की नजर क्यों?

1. दक्षिण भारत के 5 राज्यों में से भारतीय जनता पार्टी की सिर्फ कर्नाटक में मजबूत जनाधार है. हालांकि, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वहां भी पार्टी हार गई. बीजेपी को 2024 के चुनाव में कर्नाटक से लोकसभा की सीटें भी कम होने का डर सता रहा है.

साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी को दक्षिण भारत से लोकसभा के लगभग 30 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें सिर्फ कर्नाटक में 25 सीटें मिली थी. पार्टी इस बार भी यह रिकॉर्ड बरकरार रखना चाहती है. इसलिए तमिलनाडु पर फोकस कर रही है. 

2. तमिलनाडु में विपक्ष पूरी तरह कमजोर पड़ गया है. इससे पहले जयललिता को एक मजबूत विपक्ष की तरह देखा जाता था लेकिन अब उनका निधन हो गया है. एआईएडीएमके 2 भागों में बंट चुका है. दोनों गुट के नेताओं के पास अपना कोई मजबूत जनाधार नहीं है. बीजेपी को जड़ें जमाने के लिए यही आसान मौका दिख रहा है. अभी यहां जयललिता की पार्टी के साथ बीजेपी का गठबंधन है.

रजनीकांत-योगी के बीच फिल्म सिटी पर भी हुई चर्चा 

रजनीकांत ने जब सीएम योगी के मुलाकात की तब दोनों के बीच नोएडा फिल्म सिटी को लेकर भी बातचीत हुई. एक तरफ जहां सीएम योगी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के बारे में उन्हें बताया तो रजनीकांत ने भी फिल्म सिटी में निवेश करने की इच्छा जताई. इसके साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ को इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए बधाई भी दी. 

अखिलेश से भी हुई मुलाकात

रजनीकांत ने इससे पहले राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से भी शिष्टाचार भेंट की थी. योगी से मुलाकात के बाद रजनीकांत प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी मिले और उन्हें गले लगाया. रजनीकांत ने इस मुलाकात पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, 'मैं नौ साल पहले मुंबई में एक समारोह में अखिलेश यादव से मिला था और तब से हम दोस्त हैं, हम फोन पर बात करते हैं. पांच साल पहले, जब मैं एक शूटिंग के लिए यहां आया था, लेकिन मेरी उनसे मुलाकात नहीं हो सकी, अब वो यहां हैं तो मैं उनसे मिला'.

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