हरिद्वार, एबीपी गंगा। धर्म नगरी हरिद्वार में पिछले कई सालों से जंगली हाथी लगातार उत्पात मचा रहे हैं ।राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन हाथियों की दस्तक न केवल परेशानी का सबब बनी हुई है, बल्कि हाथी किसानों को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जंगली हाथी सबसे ज्यादा गन्ने और धान की फसल को बर्बाद करते हैं। वन विभाग द्वारा कुछ सालों से हाथियों को रोकने के लिए सोलर फेंस लगाई गई हैं, मगर उसके बावजूद वन विभाग जंगली हाथियों के ग्रामीण क्षेत्रों में आने को रोक पाने में नाकाम साबित हुआ है। इसको लेकर किसानों में भी वन विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है।
जंगली हाथियों ने हरिद्वार के कई क्षेत्रों में आतंक मचाया हुआ है। हर रोज हाथी किसानों की फसलें बर्बाद कर देते हैं। इसी को लेकर किसानों में वन विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश उत्पन्न हो रहा है। किसानों का कहना है कि पिछले 25 सालों से हाथी ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैंं और हाथियों द्वारा किसानों की फसलों को बर्बाद किया जाता है और इस साल हाथियों द्वारा कई लोगों की जान भी ली गई है। हाथियों द्वारा धान और गन्ने की फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया जाता है। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है। सरकार द्वारा जो मुआवजा दिया जाता है, वह पर्याप्त नहीं होता है, इसीलिए अब किसान ग्रामीण क्षेत्रों में खेती करने से कतरा रहे हैं। किसानों को हाथियों का इतना डर है कि वह शाम होते ही अपने खेतों में भी नहीं जाते हैं और अपने घरों में कैद हो जाते हैं। किसानों का कहना है कि वन विभाग द्वारा हाथियों को रोकने के लिए सोलर फेंस लगाए गए हैं, मगर उसके बावजूद भी हाथी आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं।
क्षेत्रीय बीजेपी विधायक स्वामी यतिस्वरानंद का कहना है कि हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा हाथियों से प्रभावित विधानसभा है। हर रोज इन क्षेत्रों में हाथी आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं और किसानों की फसलों को बर्बाद कर देते हैं। मेरे द्वारा विधानसभा में कई बार इस मुद्दे को उठाया गया है और इस मामले में मेरे द्वारा वन मंत्री हरक सिंह रावत से भी वार्ता की गई है। जल्द ही सरकार हाथियों को रोकने के लिए जंगल से सटे इलाकों में बड़ी दीवारें बनाने जा रही है और हाथियों की रोकथाम के लिए क्षेत्र में सोलर फेंस भी लगाए गए हैं। मगर अभी भी कुछ जगह पर हाथी आ रहे हैं, इसके लिए भी जल्द ही समाधान किया जाएगा, क्योंकि किसानों द्वारा इन क्षेत्रों में खेती करना भी बंद किया जा रहा है। किसानों की फसलें बर्बाद होने के बाद उनको जो मुआवजा मिलना चाहिए ,अभी वह नहीं मिल पा रहा है। मैं कोशिश करूंगा कि किसानों को हाथी द्वारा बर्बाद की गई फसलों का मुआवजा सही मिल सके।
हरिद्वार वन प्रभाग डीएफओ अकाश वर्मा का कहना है कि कुछ सालों में हाथियों द्वारा हमले में कुछ लोगों की जान जा चुकी है और यह चार पांच साल में हाथियों द्वारा हमले में जान गई हैं। हरिद्वार के इन क्षेत्रों में हाथियों की संख्या काफी ज्यादा है और उनका आने जाने का यह मार्ग भी है। इस वजह से इंसानों और हाथियों का आमना सामना होता है। इसके साथ ही, वन क्षेत्रों में भी लोगों का अतिक्रमण बढ़ रहा है। इससे जंगली जानवरों में भी आक्रामकता देखने को मिल रही है। हरिद्वार का काफी क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है और इसलिए हाथियों का आवागमन यहां काफी ज्यादा है। हमारे द्वारा लगातार हाथियों की गणना की जाती है। 2015 में 60 के करीब हाथी हरिद्वार में थे। हाथियों का आबादी क्षेत्र में आने का सबसे बड़ा कारण है कि जो सुरक्षा दीवारें हैं वह कई जगह से क्षतिग्रस्त है। जो यहां का कूड़ा निस्तारण व्यवस्था है वह भी सही नहीं है। इस स्थिति में हम जंगली जानवरों को एक निमंत्रण दे रहे हैं कि वह आबादी क्षेत्र में आएं। यह स्थिति सही नहीं है इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। हमारे द्वारा हाथियों को रोकने के लिए सोलर फेंस की व्यवस्था की गई है इससे हमें हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए काफी मदद मिली है।
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