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क्या स्वार और छानबे सीटों पर सफल हो पाएगी सपा की रणनीति, जानें इन दो सीटों के उपचुनाव का गुणा-गणित

रामपुर और छानबे विधानसभा सीटों पर 10 मई को उपचुनाव होने वाले हैं. इन दोनों ही सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी अपना दल(एस) के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के बीच मिर्जापुर की छानबे और रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 10 मई को वोटिंग होनी है. इन दोनों सीटों पर आज यानी 8 मई को शाम 6 बजे प्रचार बंद हो जाएगा और नतीजे 13 मई को घोषित किए जाएंगे. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ये सीट बेहद महत्वपूर्ण हैं. इन दोनों विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी अपना दल(एस) के प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

स्वार सीट पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता रद्द होने के कारण उपचुनाव हो रहा है. अब्दुल्लाह आजम की विधायकी 15 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने और 2 साल कैद की सजा सुनाये जाने के बाद रद्द कर दी गई थी. 

स्वार सीट पर अब्दुल्ला आजम दो बार विधायक रहे हैं और दोनों ही बार उनकी सदस्यता कोर्ट के आदेश से रद्द हो गई थी. यही कारण है कि आजम खान का गढ़ माने जाने वाले रामपुर के स्वार सीट के उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है. अब रामपुर की स्वार सीट पर सपा की तरफ से अनुराधा चौहान मैदान में उतरी हैं. तो वहीं अपना दल(एस) की तरफ से शफीक अहमद अंसारी को प्रत्याशी बनाया गया है. 

कहा जा रहा है कि स्वार और छानबे सीटों पर भले ही अपना दल(एस) के प्रत्याशी उतरे हों लेकिन चुनावी नतीजे को भारतीय जानता पार्टी सरकार की हार और जीत से जोड़कर ही देखा जाएगा. दोनों सीटों के नतीजों पर योगी सरकार और भारतीय जनता पार्टी की साख दांव पर लगी है.

स्वार सीट पर जीत सपा और अपना दल(एस) के लिए क्यों जरूरी 

दोनों उपचुनावों के लिए प्रचार सोमवार शाम को समाप्त हो जाएगा. स्वार सीट पर आजम खान प्रचार कर रहे हैं ताकि यह सीट एक बार फिर समाजवादी पार्टी की झोली में जा सके. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेता भी स्वार उपचुनाव को बहुत महत्व दे रहे हैं क्योंकि अगर इस सीट पर अपना दल(एस) जीतने में कामयाब होती है तो यह साबित हो जाएगा की रामपुर अब आजम खान का गढ़ नहीं रहा.

रामपुर में एक बीजेपी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, 'सपा के पास रामपुर में केवल एक सीट बची है, जबकि स्वार सीट वर्तमान में खाली है. लोगों ने आजम खान के नाम पर वोट देना बंद कर दिया है. रामपुर की पांच विधानसभा सीटों में से तीन बीजेपी के पास हैं, जिसमें रामपुर भी शामिल है. अब सिर्फ चमरौआ ही सपा के पास रह गया है.

अपना गढ़ माने जाने वाले रामपुर सीट से भी हाथ धो चुके हैं आजम

इससे पहले सपा रामपुर विधानसभा सीट से हाथ धो चुकी है. इस सीट को आजम खान का गढ़ कहा जाता था. रामपुर विधानसभा सीट पर आजम खान पिछले 45 सालों से चुनाव लड़ते आ रहे थे. दस बार वह खुद विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी तंजीन फातिमा उपचुनाव में जीती थीं. 

साल 2022 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भले आजम खां खुद प्रत्याशी नहीं थे, लेकिन वह सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर आसिम रजा को चुनाव लड़ा रहे थे. इसी सीट पर जून में हुए रामपुर लोकसभा चुनाव में आजम खान ने आसिम रजा को ही लड़ाया था, लेकिन जीत नहीं सके थे. इसके बाद विधानसभा सीट पर भी उन्हें ही प्रत्याशी बनाया गया था लेकिन एक बार फिर इस सीट पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब हुई और रामपुर की सियासत ही बदल दी.

सपा प्रत्याशी ने किया जीत का दावा

अनुराधा चौहान का कहना है कि मेरे लिए ये एक ज़िम्मेदारी है, चुनौती नहीं, क्योंकि मेरे साथ मेरे क्षेत्र की जनता है और हर कदम पर मुझे उनका भरपूर प्यार मिल रहा है. उन्होंने दावा किया कि मेरी जीत मेरा पूरा क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए तैयार बैठा है. कोई चुनौती नहीं है और मेरे लिए इस सीट पर चुनाव लड़ना समाजवादी पार्टी की तरफ से तोहफा मिलने जैसा है.

उन्होंने कहा, 'मैं एक छोटे से परिवार से हूं. मेरे लिए ये एक सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि मैं अपने क्षेत्र में सबसे पहले विकास चाहती हूं, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि दो बार विधायक बने समाजवादी पार्टी से हमारे भाई अब्दुल्ला आजम को सेवा का मौका नहीं मिल पाया, ऐसे में मैं चाहती हूं कि अब वो सेवा का मौका मुझे दिया जाए.'

छानबे सीट बीजेपी और अपना दल(एस) के लिए क्यों बनी चुनौती

स्वार सीट की तरह ही मिर्जापुर की छानबे सीट पर जीत दर्ज करना भारतीय जनता पार्टी और अपना दल(एस) के लिए चुनौती बन गई है. इस सीट पर साल 2017 और साल 2022 में अपना दल(एस) ने जीत दर्ज की थी.

साल 2022 में विधायक राहुल कोल के निधन के बाद अपना दल (स) ने स्वर्गीय राहुल कोल की पत्नी रिंकी कोल को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है. रिंकी कोल बीजेपी सांसद पकौड़ी लाल कोल की पुत्रवधू हैं. वहीं समाजवादी पार्टी ने कीर्ति कोल को मैदान में उतारा है. कीर्ति कोल के पिता भाईलाल कोल भी छानबे से विधायक रह चुके हैं.

इस सीट पर अपना दल (एस) और समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी का राजनीतिक घराना होने के कारण चुनावी मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है. प्रचार के दौरान अपना दल(एस) और बीजेपी नेता दोनों ने ही अपनी पूरी ताकत लगा दी है ताकि अपना दल(एस) जीतने में कामयाब हो सके. 

छानबे सीट पर सपा ने इन मुद्दों को उठाया 

सपा ने बीजेपी पर छानबे के अर्ध-शुष्क क्षेत्र में पानी की कमी जैसे बुनियादी मुद्दों की अनदेखा करने का आरोप लगाया. प्रचार के दौरान कीर्ति कोल ने कहा “अगर हम जीतने में कामयाब होते हैं तो जिन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे वे सड़कें और पेयजल हैं. कोई भी वहां जाकर देख सकता है कि गर्भवती महिलाएं इलाज और डॉक्टरों के लिए संघर्ष कर रही हैं. मजबूरी में उन्हें अस्पताल ले जाते समय प्रसव कराना पड़ रहा है. दो बार की सांसद (अनुप्रिया) ने एक महिला होने के बावजूद इस पर कुछ नहीं किया है. ”

कौन हैं स्वार सीट से सपा की प्रत्याशी अनुराधा चौहान 

स्वार सीट पर अब्दुल्ला ने पिछले दो चुनावों, 2017 और 2022 में जीत दर्ज की थी. इस बार, सपा ने 42 साल की अनुराधा चौहान को मैदान में उतारा है, वह एक वकील भी हैं. रामपुर में आजम खान के घेरे के बाहर से पहली बार उम्मीदवार बनी चौहान पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ थी. वह 2015 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुई थीं. इससे पहले वह ग्राम प्रधान भी रह चुकी हैं.

कौन हैं स्वार सीट से अपना दल(एस) के प्रत्याशी शफीक

शफीक अहमद अंसारी कभी आजम के करीबी हुआ करते थे. स्वार विधानसभा सीट से किस्मत आजमाने मैदान में उतरे शफीक अहमद अंसारी पहले नगर पालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं.  उनकी पत्नी रेशमा परवीन अंसारी स्वार नगर पालिका की निर्वतमान अध्यक्ष हैं. 

स्वार विधानसभा सीट पर 21 साल बाद सपा ने गैर-मुस्लिम उम्मीदवार उतारा

पूर्व मंत्री और सपा नेता आजम खां रामपुर जिले में अपना आखिरी गढ़ बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. 10 मई को होने वाले उपचुनाव के प्रचार के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव समेत कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं पहुंचा. लेकिन आजम खान ने यहां प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. प्रचार के दौरान उन्होंने कई बार अपने बेटे अब्दुल्लाह का भी जिक्र किया. 

उन्होंने स्वार की जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'तुम्हारे विधायक (अब्दुल्लाह) की मेंबरशिप दो बार इसलिए छीन ली, क्योंकि 150 करोड़ के देश में कोई माई का लाल अब्दुल्ला को नहीं हरा सकता था. अब्दुल्ला...अल्लाह का सबसे पसंदीदा नाम है.'

बेटे अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता रद्द होने के चलते खाली हुई सीट पर सपा ने अनुराधा चौहान को उम्मीदवार बनाया है. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने 21 साल बाद इस सीट पर गैर-मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है. 

मुस्लिम बहुल सीट पर हिंदू उम्मीदवार उतारकर ध्रुवीकरण की संभावनाओं को खत्म करने में लगे आजम जनता ने प्रचार के दौरान लोगों को कई बार राम की याद दिलाते नजर आए. आजम ने प्रचार के दौरान कहा कि महात्मा गांधी के आखिरी शब्द 'हे राम' थे और ब्रिटेन के म्यूजियम में रखी टीपू सुल्तान की अंगूठी पर भी राम लिखा हुआ है. ये उनको बताने की जरूरत है, जो नफरत का संदेश फैलाते हैं.

बीजेपी कर रही अपना दल(एस) को सपोर्ट 

रामपुर में एक बीजेपी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमारा अभियान कानून और व्यवस्था, माफिया और मुख्यमंत्री योगी जी के तहत यूपी कैसे बदल गया है, इन मुद्दों केंद्रित है. हम लोगों को यह भी बताएंगे कि अपना दल को वोट देना पीएम मोदी और सीएम योगी को वोट देना है. ”

प्रचार के दौरान आजम खान ने इंदिरा गांधी को किया याद 

शनिवार शाम स्वार में एक जन सभा को संबोधित करते हुए आजम ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या का जिक्र किया और हत्या को गलत बताया. आजम खान ने कहा, " जिस तरह से उनकी हत्या हुई वह तब भी गलत था, और आज भी गलत है." कार्यक्रम के दौरान अब्दुल्ला और चौहान सहित अन्य सपा नेता भी उनके साथ मौजूद थे. 

दोनों सीट  जीतने के मायने 

10 मई को अगर स्वार में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी अनुराधा चौहान जीतती है तो यह आने वाले लोकसभा के लिए स्पष्ट संकेत माना जाएगा कि यूपी की मुस्लिम वोटर्स आज भी समाजवादी पार्टी के ही साथ हैं. वहीं अगर इस सीट पर अपना दल(एस) के प्रत्याशी अंसारी जीत हासिल करने में कामयाब होते हैं तो बीजेपी समझ जाएगी की उनकी रणनीति काम आ रही है और पसमांदा समाज के लोग अब बीजेपी का साथ दे रहे हैं. यानी बीजेपी का पसमांदा समाज को साधने की योजना सफल हो रही है. 

इसी तरह अगर छानबे सीट पर सपा जीत दर्ज करने में कामयाब होती है तो अपना दल(एस) के हार का ठीकरा योगी सरकार के काम काज पर फोड़ा जाएगा. 

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