रायबरेली: कोरोना के साथ अन्य मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण रायबरेली जिला अस्पताल बेड की कमी से जूझ रहा है. उस पर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर मरीज और उसके तीमारदार से अभद्र व्यवहार कर रहे हैं, जिसके चलते हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला रायबरेली जिला अस्पताल में सामने आया, जब एक गंभीर हालत में कोरोना ग्रस्त महिला मरीज जिला अस्पताल पहुँची. लेकिन जिला अस्पताल की इमरजेंसी के डॉक्टर ने मरीज को बेड नहीं दिया और इधर उधर टहलाते रहे, जिसके चलते मरीज की मौत हो गई. डॉक्टर की मनमानी से मरीज के परिजन आक्रोशित हो गए और डॉक्टर पर दबाव बनाने लगे. वहीं, दूसरी तरफ एम्स अस्पताल में बने एल 3 सेंटर के बाहर परिजनों ने जमकर हंगामा काटा, क्योंकि L2 से रेफर हुए मरीज घंटों एम्स अस्पताल के सामने तड़पते रहे, लेकिन एम्स प्रशासन उन मरीजों को भर्ती करने के लिए तैयार नहीं था, जिस पर परिजनों ने जमकर हंगामा किया.


नहीं मिला बेड मरीज की मौत


रायबरेली जिला अस्पताल की इमरजेंसी में देर शाम उस वक्त हड़कंप मच गया, जब शहर कोतवाली के निराला नगर मोहल्ले की रहने वाली कोरोना पॉजिटिव कमला गंभीर हालत में इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंची. लेकिन घंटों की जद्दोजहद के बाद उन्हें बेड नहीं मिल पाया और इस दौरान उनकी मौत हो गई. महिला की मौत पर परिजन भड़क गए और अपना गुस्सा इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर एमपी सिंह पर उतारने लगे. तीमारदारों के गुस्से से आक्रोशित हो कर डॉक्टर साहब भी आपे से बाहर हो गए और मृतक के किसी परिजन पर हाथ उठा दिया. जिसके बाद मामला बढ़ गया. अस्पताल की इमरजेंसी में हंगामे की सूचना पुलिस चौकी को हुई तो चौकी इंचार्ज सिविल ड्रेस में मौके पर पहुंचे तो गुस्साए परिजनों ने अपना गुस्सा उनके ऊपर भी उतारा, जिसके बाद पुलिस और परिजन के बीच कहासुनी और हाथापाई हुई.


मरीज को बेड दिलाने और इलाज करवाने के लिए हुए हंगामे की सूचना स्थानीय शहर कोतवाली पुलिस और जिला प्रशासन को हुई तो एडीएम प्रशासन, जिला अस्पताल के अधीक्षक के साथ इमरजेंसी वार्ड पहुँचे. शहर कोतवाली पुलिस ने हंगामा कर रहे मृतक कमला के बेटे को हिरासत में ले लिया. जिला अस्पताल की इमरजेंसी में हुए हंगामें और हाथापाई के बारे में जब जिला अस्पताल के अधीक्षक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे अभी जानकारी नहीं है.


सारे दावे फेल हुये


अभी हाल ही में एम्स में 50 बिस्तर वाला अस्पताल शुरू किया गया जिसमें L-2 से रेफर किए गए मरीजों को भर्ती होने की बात कही गई थी, लेकिन वह सारे दावे फेल हो गए. L2 से रेफर किए गए मरीज अस्पताल के सामने तड़पते रहे लेकिन एम्स अस्पताल के डॉक्टर व प्रशासनिक अधिकारी मानवता को तार-तार करते दिखे. बाहर तड़पते हुए मरीजों पर उन लोगों को दया तक नहीं आई और किसी भी मरीज को भर्ती करने के लिए प्रशासन तैयार नहीं था. जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा काटा. सूचना पर पहुंची भदोखर पुलिस किसी तरह मामले को शांत कराने में जुटी रही. लेकिन दोनों जगह का मंजर बड़ा ही निंदनीय रहा.


सभी जगह अव्यवस्था


भले ही प्रशासन संक्षिप्त स्वास्थ सेवाओं की दावे कर रहा हूं लेकिन ग्राउंड जीरो पर इसकी हकीकत ठीक उल्टी है. 6 जिला अस्पताल हो, L2 सेंटर या फिर एम्स का L3 सभी जगह अव्यवस्थाओं का टोटा है, जिला अस्पताल अल्टो और अलसी तीनों जगहों पर मरीज तड़प कर मर रहे हैं लेकिन  स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. अगर अस्पतालों में वास्तव में बेडो की कमी है तो सभी प्राइवेट अस्पतालों को प्रशासन हायर क्यों नहीं कर रहा. अगर सभी प्राइवेट अस्पतालों को हायर कर लेता है तो ऑक्सीजन व बेडो की समस्या से मर रहे मरीजों को बचाया जा सकता है.


परिजनों व स्टाफ के बीच हंगामे के बाद पहुंचे सीएमएस डॉ एनके श्रीवास्तव व अपर जिलाधिकारी राम अभिलाख मूकदर्शक बने रहे. बार-बार उनसे हंगामे के कारण पूछा जाता रहा लेकिन उसके बावजूद भी कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.


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