इटावा. कहते हैं कि दिल में अगर सच्ची आस्था हो तो दूरी और थकान से भी इंसान थकता नहीं है. सच्ची आस्था की मिसाल इन दिनों कांवड़ यात्रा के दौरान देखने को मिल रही है. कांवड़ यात्रा के लिए बेटियां और महिलाएं कई किमी पैदल ही चल रही हैं. बड़ी संख्या में भोले के भक्त एमपी के शिवपुरी, गुना, ग्वालियर, भिंड और मुरैना जिलों से इटावा के रास्ते फर्रुखाबाद आ रहे हैं. भक्त यहां 300 किमी से भी ज्यादा पैदल चलकर गंगाजल लेने आ रहे हैं. खास बात है कि कावड़ियों में कई महिलाएं और बेटियां भी शामिल हैं. फर्रुखाबाद से गंगाजल लेकर भक्त भगवान शिव पर जल चढ़ाते हैं.
रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं की सेवा के लिए कई समाजसेवी संगठन फलाहार, आराम करने के लिए गद्दा-रजाई और दवाइयां भी रखते हैं. ये सेवाएं उनके निशुल्क दी जा रही हैं. इस बार बेटियां और महिलाएं बड़ी संख्या में कांवड़ लेकर आ रहीं हैं. भक्तों पर आस्था इतनी भारी है कि थकान कम और दूरी छोटी लग रही है.
24 घंटे से भी ज्यादा चल रही महिलाएं
एबीपी ने कांवड़ लेकर आई महिलाओं औब बेटियों के साथ बातचीत भी की. हाईस्कूल में पढ़ रही एक छात्रा ने बताया कि वो अपने पिता के साथ कावड़ लेकर आई हैं. उन्होंने बताया कि भगवान शिव पर आस्था के कारण उसे कांवड़ लाने की प्रेरणा मिली. वहीं, कांवड़ लेकर आ रही माया देवी ने बताया कि वो 24 घंटे से भी ज्यादा समय से पैदल चल रही हैं. माया देवी कांवड़ लेकर अपने पति के साथ आई है.
वहीं, कावड़ियों के लिए कैंप लगाए हुए ओम रतन का कहना है कि इस बार महिलाओं की संख्या अधिक दिखाई दे रही है. उन्होंने बताया कि इटावा से दूर-दूर तक मध्य प्रदेश के कई जिलों से महिलाएं भी आई हैं जो कांवड़ लेकर वापस आ रही हैं. सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर कावड़िए भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, भोपाल तक का सफर लोग पैदल ही कर रहे हैं.
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