नई दिल्ली, एबीपी गंगा। गैस सिलेंडरों के दामों में वृद्धि के खिलाफ आज महिला कांग्रेस देशभर में विरोध प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस का ये प्रदर्शन दो दिन तक जारी रहेगा। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार का ये कदम गरीबों के मुंह का निवाला छीनने वाला है। बता दें कि बुधवार को रसोई गैस सिलेंडर के दामों में 145 रुपये की भारी-भरकम वृद्धि हुई है। जिसके बाद से ही कांग्रेस सरकार पर हमलावर है।


बता दें कि रसोई गैस सिलेंडर के दामों में वृद्धि तो जरूर की गई है, लेकिन सरकार ने दूसरी तरफ रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को बढ़ाकर लगभग दोगुना कर दिया है। इससे सब्सिडी वाले सिलेंडर के उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा। पहले एजपीजी सिलेंडर की कीमत 714 रुपये थी, जो बढ़कर अब 858.50 रुपये कर दी गई है। जनवरी 2014 के बाद से रसोई गैस सिलेंडर में हुई ये अबतक की सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है।


गौरतलब है कि इस साल एक जनवरी के बाद गैस सिलिंडर के दाम नहीं बढ़े थे, जबकि उससे पहले लगातार चार बार रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में वृद्धि हुई थी। एक जनवरी 2020 को प्रमुख महानगरों में बिना-सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर करीब 19 रुपये महंगा हुआ था।


नए साल में एक जनवरी 2020 को देश के प्रमुख महानगरों में बिना-सब्सिडी वाला गैस सिलिंडर करीब 19.00 रुपये महंगा हुआ था। इससे पहले ग्राहक दिल्ली में 14.2 किलो के बिना सब्सिडी वाले सिलिंडर के लिए 714.00 रुपये चुका रहे थे। कोलकाता में इसका दाम 747 रुपये था। वहीं मुंबई और चेन्नई में 14.2 किलो के बिना सब्सिडी वाले सिलिंडर का दाम क्रमश: 684.50 और 734.00 रुपये था।


तब एलपीजी का भाव 220 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ाकर 1,241 रुपये कर दिया गया था। सरकार ने इसके साथ ही एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी 153.86 रुपये से बढ़ाकर 291.48 रुपये प्रति सिलेंडर कर दी है। सब्सिडी पर उपभोक्ताओं को एक साल में 12 सिलेंडर मिलते हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिये सब्सिडी 174.86 रुपये से बढ़ाकर 312.48 रुपये प्रति सिलिंडर कर दी गयी है। सब्सिडी के बाद एक सिलेंडर एलपीजी का भाव सामान्य उपभोक्ताओं को 567.02 रुपये तथा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 546.02 रुपये पड़ेगा।


सामान्यत: हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी के भाव में संशोधन किया जाता है। हालांकि इस बार इसमें दो सप्ताह का अधिक समय लग गया। अधिकारियों ने इस बारे में कहा कि चूंकि बड़ी वृद्धि की जानी थी, इस कारण आवश्यक मंजूरियां लेने में समय लग गया। हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिये आठ फरवरी को हुए मतदान को देखते हुए रसोई गैस के दाम बढ़ाने की घोषणा टाल दी गयी थी।


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