लॉक डाउन के दौरान बढ़े महिला उत्पीड़न के मामले, महिलाएं फ्रस्ट्रेशन और डिप्रेशन की हो रही शिकार
बाराबंकी जिले में लॉक डाउन के दौरान महिलाएं काफी डिप्रेशन में हैं। यहां काफी ऑन लाइन शिकायतें सामन आ रही हैं।
बाराबंकी, एबीपी गंगा। बाराबंकी जिले में लॉक डाउन के बीच बढ़े महिला उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। महिला कल्याण विभाग में मिल रही टेलिफोनिक और ऑनलाइन शिकायतें मिलने के बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल मौर्या ने कहा कि लॉक डाउन में महिलाएं फ्रस्ट्रेशन और डिप्रेशन की शिकार हो रही हैं। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर देश में लॉक डाउन है। ऐसे में लॉक डॉउन के दौरान इन दिनों परिवार के लोग घरों में कैद हैं, जिसके बाद महिला उत्पीड़न की शिकायतें भी पहले से ज्यादा आ रही हैं। महिलाओं ने जिला प्रोबेशन कार्यालय में ऑनलाइन शिकायते भी दर्ज करवाई हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने सलाह देते हुये कहा कि लॉक डाउन के बीच प्राणायाम करते रहे जिससे मानसिक तनाव को कम किया जा सके
मौर्य ने बताया कि "इस तरह की कुछ फ्रस्टेशन में या कहा जाय एक जैसे परिस्थिति में रहने से चिड़चिड़ापन फ्रस्टेशन की वजह से कुछ घटनाएं सामने आई हैं। हम उसमें टेली काउंसलिंग कर रहे हैं, कुछ केसेस में उन्हें यहां बुलाया गया तो उन्होंने यहां आने में असमर्थता जाहिर की। उन्होंने कहा लॉक डाउन चल रहा है ऐसे में कुछ दंपति यहां नहीं आ सकते है। टेली काउंसलिंग द्वारा उनकी समस्या का निस्तारण करवाया जा रहा है।
इस तरह दूर करें डिप्रेशन मानव में एक ऊर्जा है, दो तरह से ऊर्जा हमेशा चलायमान रहती है। ऊर्जा को अगर पॉजिटिव डायरेक्शन में नहीं मोल्ड किया गया तो वो नेगेटिव पोजिशन में मोल्ड हो जाएगी। इस तरह जो हिंसा की घटनाएं या फिर आपसी झड़प हो रही है, यही है कि हम उस ऊर्जा को सही दिशा में नहीं लगा पा रहे हैं। सही दिशा में लगाने के बहुत सारे माध्यम हो सकते हैं, क्रिएटीविटी है, शौक हैं, और योगा है। एक्सरसाइज करें, कई बार शारीरिक व्यायाम से इस तरह के डिप्रेशन फ्रस्ट्रेशन के केसेज खत्म हो जाते हैं, क्योंकि फिजिकल वर्क करने से बहुत सारे आंतरिक हार्मोन्स निकलते हैं। इस तरह डिप्रेशन और फ्रस्ट्रेशन में कमी आती है।
शरीर रिलैक्स होता है, मन शांत होता है, ध्यान-योग इनसे मन शांत होता है। इसे हम एक अवसर के रूप में भी ले सकते हैं कि इस दौड़ भाग वाली जिंदगी में हम समय नहीं निकाल पा रहे थे उसको हम अवसर के रूप में देख सकते हैं।