Rudraprayag News: पहाड़ों से पलायन रोकने और रोजगार के मौके उपलब्ध कराने के लिए तमाम कार्य किए जा रहे हैं. रुद्रप्रयाग जिले में भी ऐसी ही एक पहल की गई है. रानीगढ़ पट्टी क्षेत्र के कोट-मल्ला में पलायन रोकने के लिए मिशन सुगंधित औषधीय पादप शुरू किया गया है. पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली ने कृषि विभाग के सहयोग औषधीय गुणों से भरपूर रोजमेरी तथा डेंडेलियान के पौधों का रोपण शुरू किया है. गांव के किसानों की आर्थिक सुधार एवं पलायन पर रोक लगाने के लिए एक हेक्टेयर भूमि में ग्रामीण महिलाओं के साथ ये काम शुरू किया गया है.
इसके लिए रोजमेरी जैसे महत्वपूर्ण पादप पर काम कर रहे मेन ऑफ रोजमेरी अजय पंवार की संस्था धार विकास की ओर से कोट मल्ला के ग्रामीणों को रोजमेरी की पौध उपलब्ध कराई गई है. साथ ही ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है.
बता दें कि रोजमेरी व डेंडेलियान औषधीय पादपों की डिमांड राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय बाजार में बहुतायत है. जिनमें प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण पाये जाते हैं. इनका इस्तेमाल ग्रीन टी, तनाव कम करने तथा विभिन्न दवाइयों को बनाने में किया जाता है.
जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कोट-मल्ला पहुंचकर महिलाओं के प्रयास की प्रशंसा कर चुके हैं और उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि उनकी हरसंभव मदद की जायेगी. उन्होंने ग्रामीणों को सोलर ड्रायर मशीन देने का वादा किया है, जिससे पौधे, फूल और जड़ों को सूखाकर पैकेजिंग में सुविधा हो सके. कोट-मल्ला में डेंडेलियान की 40 हजार व रोजमेरी की 30 हजार पौध लगाई गई हैं. इन पौधों की देखभाल का जिम्मा भी ग्रामीणों को सौंपा गया है. क्षेत्र की महिलाएं औषधीय प्लांट को लेकर काफी उत्साहित हैं. 100 से अधिक महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं.
डेंडेलियान और रोजमेरी की खासियत
डेंडेलियान और रोजमेरी की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भारी डिमांड है. डेंडेलियान की जड़ 300 रुपये किलो बिकती है. इसका इस्तेमाल शारीरिक क्षमता बढ़ाने, तनाव को दूर करने, रक्तचाप, शुगर में किया जाता है. इसकी फूल व पत्ती भी बिकती है. इनका इस्तेमाल चाय के लिए होता है. वहीं, रोजमेरी का उपयोग ग्रीन टी में किया जाता है. इस चाय का फाइव स्टार होटलों में इस्तेमाल होता है. लीवर को स्वस्थ रखने के लिए इसकी चाय काफी लाभदायक है. साथ ही पाचन तंत्र, स्कीन और शरीर में एनर्जी रहती है. वजन घटाने में भी काफी लाभदायक है. रोजमेरी की फसल डेढ़ साल में तैयार हो जाती है, जबकि डेंडेलियान की पत्तियां 6 माह में तैयार हो जाती हैं.
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