Women Reservation Bill: स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया महिला आरक्षण बिल का स्वागत, राष्ट्रपति को सदन में नहीं बुलाने को बताया 'दुर्भाग्यपूर्ण'
Women Reservation Bill Passed: लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पेश किया गया. बुधवार से इस पर चर्चा शुरू होगी. इस बीच सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने महिला आरक्षण बिल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
UP News: केंद्र सरकार में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने मंगलवार को लोकसभा (Lok Sabha) में महिला आरक्षण (Women Reservation Bill) से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन 'नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023' पेश कर दिया. इस पर हर तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी (SP) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने बड़ा बयान दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने मोदी सरकारी की ओर से लाए गए महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है.
सपा नेता ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर महिला आरक्षण बिल को लेकर एक पोस्ट किया. स्वामी प्रसाद मौर्य ने पोस्ट में लिखा, "महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के फैसले का स्वागत करता हूं लेकिन संसद में महिला आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की घोषणा न करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है."
राष्ट्रपति को न बुलाने को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
मौर्य ने पोस्ट में आगे लिखा, "रही बात नारी शक्ति वंदन विधेयक के नाम का पहले ही दिन संसद में मजाक बना दिया गया, जब नए संसद भवन में मंगलवार को प्रथम सत्र था तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सदन में आमंत्रित न करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. राष्ट्रपति को न तो नए संसद के उद्घाटन में बुलाया गया और न सत्र के शुभारंभ में. यह अपमान और भेदभाव कहीं इसलिए तो नहीं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज से हैं. एससी, एसटी, ओबीसी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के इस अपमान को बहुत ही गंभीरता से संज्ञान लिया है."
बुधवार को शुरू होगी महिला आरक्षण बिल पर चर्चा
बता दें कि संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन और नई संसद में पहले दिन की कार्यवाही के रूप में मोदी सरकार में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन 'नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023' पेश किया. लोकसभा में बुधवार को महिला आरक्षण से जुड़े विधेयक पर चर्चा शुरू होगी. लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों की ओर से पारित किए जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा.
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