Uttarakhand News: महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) को लेकर राजनीति जारी है. इस कड़ी में अब उत्तराखंड में कांग्रेस (Congress) ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांग्रेस ने कहा कि सन् 1989 में जब राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की. कांग्रेस जब महिलाओं के लिए आरक्षण बिल लाई तो बीजेपी (BJP) के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, यशवंत सिंह और राम जेठमलानी ने उसके विरोध में वोट किया था.


कांग्रेस ने कहा कि दिसंबर 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया. दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए. कई राज्यों में, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे के भीतर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की गईं. आज राजीव गांधी की दूरदृष्टि से भारत में 15 लाख महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है. इनमें लगभग 40 प्रतिशत निर्वाचित महिला प्रतिनिधि शामिल हैं.


यूपीए सरकार में ज्यसभा से पारित हुआ था‌ बिल


इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया जो कि राज्यसभा से पारित हुआ था‌. विधेयक में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान था. एससी और एसटी के लिए उप-कोटा था. राज्यसभा से 9 मार्च 2010 को यह विधेयक पास हो गया था लेकिन सर्वसम्मति न होने के कारण यह लोकसभा में पास नहीं हो सका.


वहीं कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मांग की कि मोदी सरकार 8 मार्च 2016 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे. सोनिया गांधी ने लंबे समय से प्रतीक्षित विधेयक को पास करने की मांग की. पीएम मोदी के मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस नारे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मैक्सिमम गवर्नेंस का मतलब महिलाओं को उनका हक देना है.


पीएम मोदी को सोनिया गांधी ने लिखा था पत्र


सोनिया गांधी ने फिर साल 2017 में पीएम मोदी को पत्र लिखा. उन्होंने पीएम से गुजारिश की थी कि अभी लोकसभा में बीजेपी सरकार बहुमत में हैं और इसका फायदा उठाते हुए वे लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास करा सकते हैं. पत्र में उन्होंने यह भी लिखा था कि कांग्रेस हमेशा इस कानून का समर्थन करती रही है और आगे भी करती रहेगी. यह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.


कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार से मांग की थी कि लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित करे. उन्होंने जुलाई 2018 में पीएम मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने कहा था, "मैं संसद के आगामी मानसून सत्र में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए समर्थन के लिए लिख रहा हूं. जैसा कि आप जानते हैं, 9 मार्च 2010 को राज्यसभा की ओर से पारित महिला आरक्षण विधेयक पिछले आठ सालों से भी अधिक समय से लोकसभा में पड़ा हुआ है. जब यह बिल बीजेपी के समर्थन से राज्यसभा में पारित हुआ, तब तत्कालीन विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बताया था."


कांग्रेस ने पूछा बीजेपी से ये सवाल


कांग्रेस का कहना है कि पार्टी इस विधेयक के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अटल रही है, जबकि बीजेपी का विचार बदल गया है. भले ही यह 2014 के घोषणापत्र में उसके प्रमुख वादों में से एक था. कांग्रेस ने बिना बहुमत के स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू किया था. हमने बहुमत के बिना ही राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया था. बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार साढ़े नौ साल तक महिला आरक्षण बिल को पास क्यों नहीं करवा पाई?  सरकार अभी भी देर करने के लिए जनगणना और परिसीमन की शर्तें क्यों थोप रही है?


यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी, जिसने पहली बार 2011-12 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) की थी. मोदी सरकार ने इनके आंकड़ों को जारी करने से भी इंकार कर दिया है. इसके अलावा, मोदी सरकार ने (बिहार) जैसे राज्यों की ओर से किए जाने वाले जाति सर्वेक्षणों पर भी रोक लगाने का प्रयास किया. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, राहुल गांधी ने अलग-अलग राज्यों में ओबीसी समुदाय के लोगों से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान उन लोगों ने जाति जनगणना की मांग की थी. राहुल गांधी ने उनकी मांगों का समर्थन किया था.


आदिवासियों को आबादी के अनुसार आरक्षण देने की मांग


कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 85वें पूर्ण अधिवेशन में पास रायपुर प्रस्ताव में, पार्टी ने दशकीय जनगणना के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई. जाति जनगणना में विमुक्त जनजातियों और घूमंतू जनजातियों की भी गणना शामिल था. कांग्रेस पार्टी की मांग है कि 2011 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर, देश में ओबीसी कितने हैं बताइए. आरक्षण से 50 प्रतिशत कैप हटाइए, दलितों, आदिवासियों को आबादी के अनुसार आरक्षण दीजिए.


16 अप्रैल, 2023 को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जाति जनगणना कराने की मांग की लेकिन पीएम मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जाति जनगणना कराने का वादा किया है. इस बीच, बिहार ने सर्वोच्च न्यायालय को अपनी जाति जनगणना पूरी होने की जानकारी दी है. I.N.D.I.A गठबंधन के 26 दलों ने अपने 'सामुहिक संकल्प' में सबसे पहले जाति आधारित जनगणना के माध्यम से सभी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए निष्पक्ष सुनवाई की मांग की.


बीजेपी की महिला सांसदों पर लगाया आरोप


उत्तराखंड कांग्रेस नेताओं का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों पर बीजेपी के लोग और विशेष रूप से महिला सांसद चुप रहे हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को बीजेपी ने वास्तव में राजनीतिक समर्थन दिया है. सत्ता पक्ष की किसी भी महिला सांसद ने हाथरस, कठुआ, उत्तराखंड या मणिपुर में महिलाओं पर हुए अत्याचारों पर एक शब्द भी नहीं बोला. 2018 में कठुआ में 8 साल की बच्ची को नशीला पदार्थ दिया गया, एक हफ्ते तक गैंगरेप किया गया और हत्या कर दी गई, उसके बारे में किसी ने कुछ नहीं बोला.


इसी तरह उन्नाव में बीजेपी के विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ रेप और हत्या के मामले में उनकी गिरफ्तारी पर पार्टी सांसद चुप रहे. पीड़िता के पिता, चाचा और चाची की नृशंस हत्या के बाद बीजेपी के साथियों ने सेंगर के घर का दौरा किया और परिवार का गुणगान किया. 2020 में जब चिन्मयानंद पर शाहजहांपुर में यौन उत्पीड़न का आरोप लगा तो बीजेपी सांसद चुप रहे. 2020 में, हाथरस में एक 19 साल की लड़की के साथ रेप किया गया और उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिसके बाद प्रशासन और पुलिस ने उसके परिवार की जानकारी के बिना रात 2.30 बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया.


'महिलाओं को नहीं मिलता दिख रहा आरक्षण'


कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सत्तारूढ़ दल की किसी भी महिला सांसद ने न तो हाथरस की घटना पर कुछ बोला, न ही गुस्से का इजहार किया और न ही अपने पुरुष सहयोगियों को पीड़िता का चरित्र हनन करने से रोका. हमें विश्वास है कि भारत की भावी महिला सांसद आज की बीजेपी एमपी की तरह चुप नहीं रहेंगी. वे बेखौफ होकर महिलाओं के खिलाफ बढ़ते हुए जघन्य अपराधों पर बोलेंगी, उनकी भर्त्सना कर सकेंगी और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए निडर होकर मांग करेंगी. वे अपनी पार्टियों और सरकारों पर यौन अत्याचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग और निंदा करने को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में करेंगी, जैसा कि मणिपुर में हुआ था.


कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सत्तारूढ़ दल की महिला सांसदों ने अपनी चुप्पी और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में संलिप्तता से भारत की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है. महिला आरक्षण अधिनियम देश की आधी आबादी मातृशक्ति के साथ छलावा और धोखे के अलावा और कुछ नहीं. महिला आरक्षण लागू करने से पहले जिस तरह से केंद्र की बीजेपी सरकार ने जनगणना और परिसीमन की शर्तें जोड़ दी हैं, उस वजह से निकट भविष्य में तो महिलाओं को आरक्षण मिलता दिखाई नहीं दे रहा. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन /प्रशासन) मथुरादास जोशी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी, प्रदेश अध्यक्ष महिला कांग्रेस ज्योति रौतेला, पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत प्रदेश और प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट मौजूद रहे.


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