प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। प्रयागराज की सहर नकवी की उम्र महज़ 28 साल है, लेकिन इस छोटी उम्र में भी वह जिस शिद्दत के साथ गरीब व परेशान महिलाओं के कानूनी हक की लड़ाई लड़ती हैं, वह दूसरे लोगों के लिए बड़ी नसीहत है। सहर का सपना डॉक्टर बनने का था, जबकि परिवार के लोग उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन परेशान महिलाओं को कोर्ट -कचहरी के चक्कर लगाते और पैसों व आत्मविश्वास के अभाव में परेशान होता देख उन्होंने अपने सपने को भूलकर कानून की पढ़ाई करने का फैसला लिया और आज वो इलाहाबाद हाईकोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वकालत कर रही हैं।
हाईकोर्ट में वह पेशेवर वकील नजर आती हैं, तो कचहरी में गरीब -बेसहारा व परेशान महिलाओं की लीगल हेल्पर और मददगार। कचहरी के साथ ही वह पुलिस थाने और दूसरे दफ्तरों से लेकर घर-बाहर तक महिलाओं की मदद करती हैं। कुछ परेशान महिलाओं के बच्चों की स्कूल की फीस भी भरती हैं, साथ ही उन्हें आर्थिक मदद देने और रोजगार मुहैया कराने में भी पीछे नहीं हटतीं।
सहर नकवी महिलाओं को यह भरोसा दिलाती हैं कि कानून सबके लिए बराबर है और अदालतों से सभी को इंसाफ ज़रूर मिलता है। सहर जब महज़ 18 साल की थीं और इंटर पास किया था, तभी से उन्होंने समाज सेवा करते हुए महिलाओं को कानूनी मदद मुहैया कराने की ठान ली थी। उन्होंने समाज के लिए कानून की पढ़ाई की और पांच साल के एलएलबी कोर्स में एडमिशन लेने के बाद से ही वकीलों के चैंबर में बैठकर कानून की पेचीदगियां और बारीकियां सीखनी शुरू कर दी थीं। महिलाओं की मदद के फेर में कई बार उन्हें मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन परिवार वाले ऐसे वक्त में न सिर्फ सहर के साथ खड़े नज़र आते हैं, बल्कि उनकी हौसला अफ़ज़ाई करने में भी पीछे नहीं रहते।
सहर नकवी के मुताबिक, किसी परेशान महिला के चेहरे पर मुस्कान देखकर जो खुशी और सुकून मिलता है, उसे लाखों -करोड़ों रुपये खर्च करके भी हासिल नहीं किया जा सकता। वह जिन महिलाओं की मदद करती हैं, वह उन्हें दुआएं देते नहीं थकती हैं और उन्हें वकील बिटिया कहकर बुलाती हैं। सहर का ज़्यादातर वक्त लोगों की मदद में ही बीतता है।
यह ज़रूर है कि परेशान महिलाओं की मदद में लगे रहने की वजह से उन्हें अपने सभी शौक की कुर्बानी देनी पड़ती हैं। न वह दोस्तों को समय दे पाती हैं, न रिश्तेदारों को। न फिल्म और टीवी देखने का मौका मिलता है और न ही सोशल मीडिया पर ज़्यादा वक्त बिताने का। तमाम संस्थाएं उन्हें सम्मानित भी कर चुकी हैं, हालांकि सम्मानित होने और अवॉर्ड बटोरने के मामले में वह खासी चूज़ी हैं। कहा जा सकता है कि कम उम्र में ही सहर ने जो मुक़ाम हासिल किया है, वह उन्हें बेमिसाल बना रहा है और वह दूसरों के लिए प्रेरणा का सबब बन रही हैं।
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