हरिद्वार. विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं. कोरोना संक्रमण के चलते कुंभ मेला इस बार छोटी अवधि के लिए ही होगा. कुंभ मेला एक अप्रैल से शुरू होकर 30 अप्रैल तक चलेगा. उधर, कुंभ में अखाड़ों के भव्य कार्यक्रम धर्म ध्वजा स्थापना के लिए ध्वज की लकड़ियों को पूरे रीति-रिवाज के साथ अखाड़ों को सौंप दिया गया है. इसके साथ ही एक तरह से कुंभ मेले का आगाज हो गया है. धर्म ध्वजा अखाड़ों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है क्योंकि धर्म ध्वजा स्थापना के साथ ही अखाड़ो में कुंभ की शुरुआत हो जाती है. धर्म ध्वजा की लकड़ियां पहुंचने पर साधु-संतों में भी काफी खुशी की लहर देखने को मिली. वहीं, मेला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली क्योंकि धर्म ध्वजा की लकड़ियों को लाना काफी बड़ी चुनौती होती है.


13 अखाड़ों में पहुंची लकड़ियां
गुरुवार को प्रतीकात्मक रूप से कुंभ की शुरुआत हो गई है. अखाड़ो में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजाओं के लिए लकड़ियों को पूरे रीति-रिवाज और सुरक्षा के साथ सभी 13 अखाड़ों में पंहुचा दिया गया. मेला प्रशासन अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ आज सुबह ही देहरादून के पास जंगलो में पहले से चिन्हित की गई लकड़ियों को लेने के लिए पंहुच गया था. पूरे विधि-विधान के साथ लकड़ियों को काट कर कड़ी सुरक्षा के बीच अखाड़ों मे पंहुचा दिया गया.


अखाड़ों में खुशी का माहौल
धर्म ध्वजा की लकड़ियां अखाड़ों में पहुंचने से अखाड़ों में खुशी का माहौल है. अखाड़ों के प्रतिनिधि ने कहा कि धर्म ध्वजा के लिए लकड़ियां पहुंचाने का संदेश साफ है कि कुंभ दिव्य व भव्य होगा, मगर पूरी सुरक्षा के साथ होगा. दिगम्बर वैष्णवी अनि अखाड़े के बाबा हठयोगी ने कहा कि आज उन लोगो की भ्रांतियां दूर हो जाएंगी जो कह रहे थे कि कुंभ नहीं होगा. हठ योगी के अनुसार, जल्द ही अब अखाड़े अलग-अलग तिथियों में अपनी धर्म ध्वजाओं की स्थापना करेंगे जिसके बाद कुंभ के मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे.


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