UP News: श्रावस्ती में अपने गांव पहुंचे सिल्क्यारा सुरंग से बाहर निकले मजदूर, ग्रामीणों ने मनाया जश्न
UP News: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग से रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाहर निकले उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में रहने वाले मजदूर अपने गांव पहुंच गए हैं. इस दौरान ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया.
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Shravasti News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित सिल्कयारा सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाले गए 41 मजदूरों में से छह मजदूर यहां मोतीपुर कला गांव अपने गांव पहुंचे, जिनका स्वागत बड़ी धूम-धाम से किया गया और पूरे गांव में जश्न मनाया गया. सिलक्यारा सुरंग में फंसे उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में रहने वाले छह मजदूर जब शुक्रवार देर शाम अपने गांव पहुंचे तो उनका स्वागत अबीर गुलाल के साथ 'भारत माता की जय' के नारे के बीच किया गया.
अबीर गुलाल लगाकर, आतिशबाजी, भारत माता की जय के नारों, पुष्पवर्षा व फूल मालाएं पहनाकर श्रमिकों का गांव में स्वागत किया गया. घरों के बाहर रंगोलियां सजी थीं. गांव में पंडाल सजाकर खुले मैदान में लगे डीजे की धुन पर गांव के युवक थिरक रहे थे. शुक्रवार सुबह लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वागत से अभिभूत मोतीपुर कला के छह श्रमिकों सत्यदेव, अंकित, राम मिलन, संतोष, जय प्रकाश व रामसुंदर को परिजनों सहित लेकर राज्य समन्वयक अरून मिश्र जब श्रावस्ती के पहले पड़ने वाले बहराइच शहर पहुंचे तो यहां परशुराम चौक पर लोगों ने सबको अंगवस्त्र ओढ़ाकर तथा मिठाई खिलाकर इनका स्वागत किया.
#WATCH | Uttar Pradesh: Workers hailing from Shravasti who were rescued from the Silkyara tunnel received a warm welcome as they reached their homes. pic.twitter.com/uHVpM0sNls
— ANI (@ANI) December 1, 2023
गांव पहुंचते ही हुआ मजदूरों का स्वागत
श्रमिक जैसे ही श्रावस्ती जिले की सीमा में पहुंचे तो वहां लक्षमन नगर, पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस आदि स्थानों पर जगह जगह गांवों व कस्बा वासियों ने मालाएं पहनाकर व भारत माता की जय के नारे लगाते हुए इन श्रमवीरों का स्वागत किया. श्रावस्ती की जिलाधिकारी कृतिका शर्मा ने जिलाधिकारी आवास पर सबका फूल माला पहनाकर स्वागत किया और श्रमिकों व उनके परिजनों को जलपान कराया.
जिलाधिकारी ने सभी श्रमिक परिवारों उनकी अर्हता के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास दिलाने तथा सभी का आयुष्मान गोल्डेन कार्ड बनाने व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के निर्देश दिए. श्रमिकों व उन्हें लाने गये परिजनों की मिनी बस जैसे ही मोतीपुर गांव पहुंची, वहां दोस्त, शुभचिंतक व परिजन डीजे की धुन पर नाच गा रहे थे. आतिशबाजी हो रही थी, अबीर गुलाल उड़ाये जा रहे थे. लोगों की खुशियों का कोई ओर छोर नहीं था.
देर रात मनाया गया जश्न
श्रावस्ती के श्रमिक सत्यदेव का भाई महेश राजस्व निरीक्षक (लेखपाल) है. वहीं उसे लाने हेतु 16 तारीख को उत्तरकाशी पहुंच गया था. महेश ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि सभी ने खूब स्वागत किया है. शुक्रवार आधी रात के बाद तक गांव में जश्न चलता रहा. शनिवार को सभी मजदूरों के घरों में पूजा पाठ कराया जा रहा है. सुबह हम सब कल्चू दास बाबा के शिवमंदिर व काली मंदिर जाकर आए हैं. दोपहर में सभी जंगल के बीच मौजूद जबदहा बाबा के मंदिर जाएंगे.
महेश बताते हैं कि गांव के 20 लोग मजदूरी करने उत्तरकाशी गये थे. इनमें से छह की ड्यूटी हादसे वाली टनल में थी. शेष लोग बाहर थे. मजदूरों के सुरक्षित बाहर निकलने तक इनमें से कोई भी वापस गांव आने को तैयार नहीं हुआ और सभी निःस्वार्थ भाव से बचाव अभियान में मदद करते रहे.
सरकार के सहयोग से मिली हमें नई जिंदगी
श्रमिक अंकित ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हमें हादसे के करीब दो घंटे बाद पता चल सका था कि हम हजारों टन मलबे के नीचे हैं. लेकिन सरकार ने अंदर आक्सीजन की कमी नहीं होने दी. बिजली भी नहीं गयी. ईश्वर की कृपा व सरकारों के सहयोग ने हमें नई जिंदगी दी. जब टनल से माइक्रोफोन द्वारा घर वालों से हमारी बात कराई गयी तब यहां घर वाले भी कुछ निश्चिंत हुए.'
जय प्रकाश बोले कि टनल के भीतर जब समय नहीं कटता था तो हम मन बहलाने के लिए कई खेल खेलते थे. वापस लौटने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा. उनसे बात करके हमारा हौसला बढ़ा है. श्रमिक सत्यदेव ने कहा कि टनल में बार बार मन घबराता था लेकिन सरकार व प्रशासन ने बाहर निकालने में कोई कसर नहीं रखी.
श्रमिकों को लेकर वापस लौटे राज्य समन्वयक आपदा विशेषज्ञ अरून मिश्र ने बताया कि 'राज्य सरकार ने हमें सभी मजदूरों को सकुशल गांव वापस पहुंचाने की जिम्मेदारी दी थी. उसे हमने शुक्रवार देर शाम पूरा किया है. आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि हमारे लोग सकुशल हैं और अपने परिवारों से मिल पा रहे हैं.'
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