UP News: उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. जरूरी काम के लिए तो लोग घरों से मजबूरी में निकल रहे हैं. वहीं अगर जरूरी नहीं है तो वो घरों में ही रह रहे हैं. इसका नतीजा ये हो रहा कि ब्लड बैंक खाली पड़े हुए हैं. इससे दुर्घटना और थैलेसीमिया के मरीजों को इलाज के लिए जरूरी ब्लड नहीं मिल पा रहा है. बुधवार को विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) पर जब एबीपी गंगा ने इसकी हकीकत जानने की कोशिश की तो जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक की नोडल अधिकारी डॉक्टर लुबना खान ने भी इस बात को स्वीकार किया. उनके मुताबिक ब्लड बैंक में सभी ब्लड ग्रुप के खून की कमी देखी जा रही है.


ऐसे में कानपुर के ब्लड बैंक में खून का संकट दिखने लगा है. नेगेटिव ब्लड ग्रुप का रक्त ब्लड बैंकों में नहीं है. इसकी वजह से गंभीर मरीजों की पहले से निश्चित सर्जरी को टालनी पड़ रही है. हैलट ही नहीं प्राइवेट अस्पतालों में भी सर्जरी टालने जैसी स्थिति पैदा हो गई है. जानकारों के मुताबिक तो पिछले महीने हैलट में न्यूरो ऑर्थो विभाग में करेक्टिव सर्जरी के 27 केस इसी खून की कमी के चलते रोक दिए गए. अब उन्हें जुलाई महीने में डेट दी गई है. हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि औसतन रक्तदान घटकर 60-65 यूनिट प्रतिदिन रह गया है, जो आम दिनों में 100 या इससे ज्यादा यूनिट हुआ करता था.


कानपुर में रोज होती है 230 यूनिट ब्लड की जरूरत


कोरोना काल से पहले यह 125 यूनिट तक प्रतिदिन गया. कानपुर में वर्तमान में रोज 230 यूनिट खून की जरूरत होती है लेकिन रक्तदान 165 यूनिट ही रह गया है. मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में इस वक्त बड़ा संकट है. एबी पॉजिटिव ब्लड का स्टॉक सिर्फ 16 यूनिट बचा है जबकि एबी नेगेटिव ब्लड ग्रुप शून्य बचा है. ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप में 34 जबकि नेगेटिव 5 यूनिट का स्टॉक बचा है.


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