UP News: प्रकति ने दुनिया को तमाम बेशकीमती उपहारों से नवाजा है. इन्हीं में से एक है बांदा (Banda) की केन नदी (Ken River) में पाया जाने वाला शजर पत्थर (Shazar Stone), जो अपनी सुदंरता और अनोखेपन के लिए पूरे विश्व में मशहूर है. मुख्यतः ज्वेलरी और सजावट का सामान में इस्तेमाल होने वाले शजर पत्थर कभी बांदा में बड़े उद्योग के रूप में स्थापित था.
कब हुई थी खोज
हालांकि बांदा में सरकारी उदासीनता और कम मुनाफा के चलते अधिकांश व्यवसायियों ने शजर का काम बंद कर दिया था. लेकिन सरकार की एक जिला उत्पाद योजना में शजर को शामिल करने के बाद से शजर व्यवसाय में थोड़ी तेजी देखने को मिल रही है. बांदा की केन नदी में पाए जाने वाले शजर पत्थर की खोज लगभग 400 वर्ष पूर्व अरब से आये लोगों ने की थी. यह ए ग्रेड श्रेणी का सबसे मजबूत और महंगा पत्थर है. जिसमें पेड़-पौधों और प्राकृतिक छटाओं की सुंदर तश्वीरें स्वतः ही अंकित हो जाती हैं. शजर पत्थर को अपने वास्तविक रूप में लाने के लिए शजर शिल्पियों को कठोर परिश्रम करना पड़ता है.
शजर उद्योग के बारे में
नदी से शजर की पहचान कर उसे काटने और तरासने की लंबी प्रक्रिया है. जिसके बाद शजर की असली सूरत सामने आती है और तभी उसकी कीमत भी तय होती है. कई वर्षों से इस उद्योग में लगे शजर व्यवसाइयों का कहना है कि पहले बांदा में शजर उद्योग के लगभग 70-80 कारखाने थे. यहां के शजर से बनी ज्वेलरी और बेशकीमती उपहार विदेशों तक जाते थे. शजर की अनोखी और बेहतरीन कारीगरी के लिए यहां के शिल्पकारों को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरुष्कृत भी किया जा चुका है. लेकिन ज्यादा लागत और आमदनी कम होने के कारण लोगों की रुचि कम होती गयी और धीरे-धीरे अधिकांश कारखाने बन्द हो गए. अब बहुत कम लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं. हालांकि सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद योजना में बांदा से शजर को शामिल करने के बाद पहले की अपेक्षा कुछ व्यवसाय में तेजी दिखायी पड़ती है.
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