(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP News: काशी नरेश की मौजूदगी में विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला का शुभारंभ, 230 वर्षों से हो रहा आयोजन
Varanasi News: वाराणसी के रामनगर में विश्व प्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत हो गई है. एक महीने तक आयोजित होने वाली इस रामलीला को हर दिन देखने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है.
Ramlila in Varanasi: देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में परंपराओं रीति रिवाज व त्यौहारों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. इसीलिए कहा जाता है कि बनारस में हर दिन किसी न किसी त्योहार का हर्षोल्लास रहता है. इसके अलावा काशी वालों ने अपनी पुरानी परंपराओं को भी पीछे नहीं छोड़ा है, बल्कि शहर की विरासत को संजोते हुए बदलते दौर को भी स्वीकारा है. इसी विरासत में शामिल है वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला, जिसे 230 वर्षों से भक्तिमय माहौल में आयोजित किया जा रहा है.
230 वर्ष पहले शुरू हुई थी रामनगर की रामलीला
पिछली तीन पीढ़ी से रामनगर की रामलीला के मानस पाठ में शामिल होने वाले परिवार के अरविंद मिश्रा ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि यह विश्व प्रसिद्ध रामलीला 230 वर्षों से आयोजित हो रही है. सबसे पहले यह महाराज उदित नारायण सिंह के समय रामनगर से 5 किलोमीटर दूर बरूईपुर गांव में आयोजित किया जाता था, लेकिन एक बार राजा साहब इस गांव में देर से पहुंचे जिसकी वजह से कुछ समय की रामलीला वह नहीं देख पाए. बाद में रानी के कहने पर रामनगर के ही 5 किलोमीटर के क्षेत्र में यह विश्व प्रसिद्ध रामलीला आयोजित होने लगी.
रामलीला के नाम पर रखा गया जगह का नाम
रामनगर की रामलीला को लेकर अरविंद मिश्रा ने बताया कि ईश्वरीनारायण सिंह के समय से रामनगर के 25 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में यह रामलीला आयोजित की जाने लगी, और इसमें सबसे खास बात यह है कि आज के समय में भी प्रभु राम के जीवन से जुड़ी अनेक लीलाओं को रामनगर के इन अलग-अलग क्षेत्रों में आयोजित किया जाता हैं. जिनका नाम भी रामलीला के आधार पर जनकपुरी, पंचवटी, छीरसागर और लंका निर्धारित किए गए.
एक महीने तक होता है आयोजन
रामनगर की रामलीला को लेकर अरविंद बताते हैं कि 'यह विश्व प्रसिद्ध रामलीला अनंत चतुर्दशी से शुरू होकर भगवान राम के राज्य अभिषेक तक आयोजित की जाती है. इस रामलीला में सनातन संस्कृति और काशी की परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. परंपरा के अनुसार काशी नरेश बग्घी पर सवार होकर प्रथम दिन लीला देखने पहुंचते हैं और हर-हर महादेव के साथ वहां मौजूद अन्य लीला प्रेमी उनका अभिनंदन करते हैं. इसके साथ ही राजा साहब एक महीने तक आयोजित होने वाली इस रामलीला को हर दिन देखने के लिए पहुंचते हैं. इस बार भी अनंत चतुर्दशी के दिन काशी नरेश अनंत नारायण सिंह रामनगर की रामलीला देखने के लिए पहुंचे. जहां मौजूद लीला प्रेमियों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया.'
पारंपरिक अंदाज में हुआ आयोजन
विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला को देखने के लिए एक महीने तक साधु संत और आम लोग अपनी पूरी तैयारी के साथ रामनगर के अलग-अलग स्थान पर मौजूद रहते हैं. अनंत चतुर्दशी से हर दिन शाम 5:00 बजे से देर रात तक इस रामलीला का आयोजन किया जाता है. 230 वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार आज भी इस रामलीला में किसी प्रकार की आधुनिक व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं किया जाता. मिट्टी के तेल वाले लैंप और लाउडस्पीकर के बिना ही इस खास रामलीला का आयोजन होता है. इसके अलावा रामनगर की रामलीला में शामिल होने वाले अलग-अलग पात्र भी कई हफ्ते पहले से ही इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. रामचरितमानस पाठ से लेकर रामलीला में भाग लेने वाले कलाकार समर्पित भाव से इसमें प्रतिभाग करने के लिए उत्सुक रहते हैं.
लीला देखने के लिए दिनों दिन बढ़ती जा रही भीड़
बीते कई दशकों से रामनगर की रामलीला से जुड़े अरविंद मिश्रा ने बताया कि बिना किसी आधुनिक व्यवस्था और पूरी सादगी के साथ प्रभु राम के जीवन से जुड़ी हर मुख्य बातों को यहां पर दर्शाया जाता है और दिनों दिन इसको देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है. इस बार भी रामलीला के पहले दिन रामनगर के दुर्गा मंदिर के पोखर में सजी छीरसागर के मनोहर झांकी को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई और उम्मीद लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ेगी.
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