(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Wrestler Harassment Case: 'बिना यौन इच्छा के पल्स रेट चेक करना कोई अपराध नहीं', बृजभूषण शरण सिंह के वकील की दलील
Brij Bhushan Sharan Singh News: यूपी के कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे. इस मामले को लेकर देश के नामी पहलवानों ने धरना भी दिया था.
Wrestler Sexual Harassment Case: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में महिला पहलवानों के यौन शोषण केस में सोमवार (16 अक्टूबर) को सुनवाई हुई. इस दौरान भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह भी कोर्ट में मौजूद रहे. सुनवाई के दौरान बृजभूषण के वकील ने चार्ज फ्रेम करने की दिल्ली पुलिस की चार्जशीट पर अपनी दलीलें रखीं.
बृजभूषण शरण सिंह के वकील ने दलील दी कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों का कोई आधार नहीं है. वकील ने ये भी तर्क दिया कि आरोपी बृजभूषण शरण सिंह ने केवल पल्स रेट की जांच की थी. उन्होंने कहा कि बिना किसी यौन इच्छा के पल्स रेट चेक करना यानी नाड़ी की गति की जांच करना कोई अपराध नहीं है.
बृजभूषण शरण सिंह के वकील ने क्या कहा?
छह महिला पहलवानों की शिकायतों के आधार पर दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले में बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर पर आरोप पत्र दायर किया गया है. वकील ने कहा कि ओवरसाइट कमेटी का गठन किसी शिकायत के आधार पर नहीं किया गया था. इसका गठन युवा मामले और खेल मंत्रालय और गृह मंत्रालय को टैग करते हुए पोस्ट किए गए ट्वीट्स के आधार पर किया गया था.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने आंशिक दलीलें सुनने के बाद मामले को आरोप पर आगे की बहस के लिए 19 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया. बीजेपी सांसद की ओर से वकील राजीव मोहन पेश हुए और दलील दी कि 18 जनवरी, 2023 को जंतर-मंतर पर पहला विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और 19 जनवरी को पहलवानों में से एक बबीता फोगाट ने केंद्रीय खेल मंत्री से मुलाकात की.
ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट आरोप पत्र का हिस्सा
उन्होंने आगे तर्क दिया कि 20 जनवरी 2023 को खेल मंत्रालय और गृह मंत्रालय को टैग किया गया था. सिंह की ओर से वकील राजीव मोहन ने कहा कि इस समय तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी. बताया गया कि 23 जनवरी को निरीक्षण समिति का गठन किया गया था. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के पत्र के आधार पर रिपोर्ट पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) नई दिल्ली को भेज दी गई है. बचाव पक्ष के वकील ने आगे तर्क दिया कि ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट आरोप पत्र का हिस्सा है और दस्तावेजों पर निर्भर करती है.
वकील ने तर्क दिया कि इसके (निगरानी समिति) गठन तक, कोई लिखित या मौखिक आरोप नहीं थे. सीमा अवधि के मुद्दे पर अधिवक्ता राजीव मोहन ने कहा कि अपराध छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के बीच अंतर है. उन्होंने यह भी बताया कि ओवरसाइट कमेटी ने उन कोचों को बरी कर दिया जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए थे. अधिवक्ता मोहन ने आगे तर्क दिया कि पत्र रिकॉर्ड पर है, जिससे पता चलता है कि ओवरसाइट कमेटी का गठन भारत सरकार द्वारा किया गया था.
साई को कोई शिकायत नहीं की
उन्होंने कहा कि आरोपों का आधार किसी शिकायत पर आधारित नहीं है. चूंकि मंत्रालय या भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) को कोई शिकायत नहीं थी, इसलिए समिति ट्वीट के आधार पर आगे बढ़ी. उन्होंने कहा कि समिति के गठन के बाद भी कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी गयी. ये भी प्रस्तुत किया गया कि शिकायतकर्ताओं को बुलाया गया था, उनके बयान दर्ज किए गए थे और कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी. समिति के समक्ष छह शिकायतकर्ताओं में से केवल दो हलफनामे दाखिल किये गये.
गवाह के बयान का किया जिक्र
आरोपी के वकील ने एक गवाह के बयान का हवाला दिया, जिसने कहा था कि उसने कभी उसे (आरोपी को) किसी लड़की को अनुचित तरीके से छूते नहीं देखा. आरोपी के वकील ने कहा कि वह पल्स रेट की जांच करते थे. यौन इरादे के बिना नाड़ी जांचना कोई अपराध नहीं है. डब्ल्यूएफआई कार्यालय में कथित घटनाओं के मुद्दे पर बीजेपी सांसद ने कहा कि मैंने अपने डब्ल्यूएफआई कार्यालय में कभी किसी को नहीं बुलाया. शिकायतकर्ता खुद मुझसे मिलने आई थी.
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता अपने खेल पर नहीं बल्कि ट्वीट पर अधिक ध्यान दे रही थी. मुझे बिना किसी अवसर के सांस लेने के पैटर्न की जांच क्यों करनी चाहिए? मेरे कार्यालय में इसकी जांच करने का अवसर नहीं था. अगर मेरा इरादा छेड़छाड़ का था, तो मुझे पेट को छूकर सांस लेने का पैटर्न क्यों जांचना चाहिए था. वकील ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए हलफनामे में सांस परीक्षण का कोई जिक्र नहीं है. हालांकि, शिकायतों में इसका उल्लेख किया गया था.
ये भी पढ़ें-