साहित्यकार उषा यादव को मिलेगा पद्म श्री पुरस्कार, बोलीं- साहित्य को घुट्टी में पीया है
साहित्यकार डॉ. उषा यादव को पद्म श्री पुरस्कार देने जाने का एलान किया गया है. डॉ. उषा कहानी, उपन्यास, कविता, नाटक और जीवनी की कई सारी किताबें लिख चुकी हैं.
आगरा. केंद्र सरकार की तरफ से इस बार 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा जाएगा. यूपी की कई हस्तियों को भी पद्म पुरस्कारों के लिए चुना गया है. इन्हीं में से एक नाम है प्रो. उषा यादव का. आगरा की रहने वाली प्रो. उषा यादव को सरकार ने उनके लेखन के लिए उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा की है. उषा यादव कहानी, उपन्यास, कविता, नाटक और जीवनी की कई सारी किताबें लिख चुकी हैं.
100 से ज्यादा पुस्तकें लिख चुकी हैं उषा उषा यादव को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उन्हें पद्म श्री पुरस्कार मिलने जा रहा है. जैसे ही उन्हें पता चला कि इस पुरस्कार के लिए उनके नाम का भी एलान हुआ है तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए. उषा यादव ने अपनी शुरुआती जिंदगी के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि उनका जन्म कानपुर में हुआ था. शादी के बाद वह आगरा आ गई. शुरुआती दिनों में उन्होंने अपना लेखन कार्य तेज कर दिया था. हर सुबह उनकी साहित्य साधना शुरू होती है जो रात तक जारी रहती है. उषा यादव अब तक 100 से ज्यादा पुस्तकों की रचना कर चुकी हैं. उषा यादव कहती हैं कि उन्होंने साहित्य को घुट्टी में पीया है. जब उषा यादव 9 साल की थी तभी उनकी रचना पत्रिका में छपी थी.
12 साल की उम्र में ही किया स्कूल पास डॉ. उषा आगे बताती हैं, "मैं शुरुआत से ही पढ़ाई में मेधावी थी. 12 साल की उम्र में ही मैंने हाई स्कूल पास कर लिया था. शादी के बाद भी मैं कानपुर में पढ़ती रहीं, लेकिन बाद में आगरा आई." आगरा में आने के बाद उन्होंने एक साल तक रतनमुनि जैन इंटर कॉलेज में पढ़ाया. 30 साल तक अध्यापन से जुड़ी रहीं. आगरा विश्वविद्यालय, केंद्रीय हिंदी संस्थान में भी उषा यादव प्रोफेसर रहीं. कविता, कहानी, नाटक सब कुछ लिखने वाली उषा यादव कहती हैं कि मेरी जैसी अन्तर्मुखी लेखिका की पहचान किताबों के जरिये भारत सरकार तक पहुंची. उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ और सिर्फ प्रतिभा का मूल्यांकन हुआ है.
पीएम मोदी का जताया आभार डॉ. उषा ने पीएम मोदी का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि मैं पीएम नरेंद्र मोदी की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इस लायक समझा. बता दें कि "उसके हिस्से की धूप" नाम की किताब को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग उन्हें पुरस्कृत कर चुका है.
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