UP Assembly Election: यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले कई दिग्गज नेताओं ने दूसरे पार्टियों का रुख किया. जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा जितिन प्रसाद, अंबिका चौधरी और कांग्रेस की रायबरेली सदर सीट से विधायक अदिति सिंह की रही.
सिबगतुल्लाह अंसारी- मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने इसी साल 28 अगस्त को सपा का दामन थाम लिया. वे गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट से 2007 में सपा और 2012 में कौमी एकता दल से विधायक रह चुके हैं. हालांकि साल 2017 में वे बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में थे. जहां उन्होंने वर्तमान विधायक अलका राय ने हराया.
जितिन प्रसाद- पूर्व केंद्रीय मंत्री व राहुल गांधी के करीबी नेता जितिन प्रसाद नौ जून को बीजेपी में शामिल हो गए. जितिन प्रसाद का नाम कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरों में था. उनके पिता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं जो दो कांग्रेसी प्रधानमंत्री राजीव गांदी और नरसिम्हाराव के राजनीतिक सलाहकार थे. अब जितिन प्रसाद यूपी की योगी सरकार में कैबिनेट स्तर के मंत्री हैं.
विधायक अदिति सिंह- कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली के सदर सीट से विधायक अदिति सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया. वे अखिलेश सिंह की बेटी हैं जो रायबरेली सदर सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. 2019 में पिता का निधन होने के बाद से ही अदिति सिंह की कांग्रेस से दूरी बन गई थी.
विनय शंकर तिवारी- 12 दिसंबर को हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी सपा में शामिल हो गए. वे वर्तमान में गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर विधायक हैं. उसके साथ हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे और दो सांसद कौशल किशोर तिवारी भी सपा में शामिल हुए. जबकि हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर तिवारी भी सपा में शामिल हुए वे विधान परिषद के सभापति रह चुके हैं.
हरेंद्र मलिक- 26 नवंबर को पूर्व कांग्रेस सांसद हरेंद्र मलिक और उनके बेटे पूर्व विधायक पंकज मलिक समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. हरेंद्र मलिक पहली बार 1985 में विधायक बने जबकि कुल चार बार विधायक रह चुके हैं. वे एक बार राज्यसभा सांसद भी रहे हैं. उनके बेटे पंकज मलिक भी दो बार विधायक रह चुके हैं.
राजाराम पाल- दो बार सांसद रह चुके राजाराम पाल भी अब समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. उनकी गिनती कांग्रेस के बड़े पिछड़े नेताओं में होती थी. वे कानपुर-बुंदेलखंड वाले इलाके में पिछड़ा वर्ग के बीच काफी सक्रिय रहे है. ऐसे में सपा की नजर उनके जरिए पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक पर होगी.
अंबिका चौधरी- मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी की सपा में घर वापसी हो चुकी है. वे बलिया की फेकना विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं. 2012 में वे फेकना विधानसभा से उन्हें उपेंद्र तिवारी ने हराया था. इसके साथ उनके बेटे पंकज मलिक भी सपा में शामिल हुए.
रामअचल राजभर- काशीराम के समय से ही बसपा में रहे रामअचल राजभर अब सपा के साथ आ गए हैं. वे अकबरपुर विधानसभा से पांच बार विधायक रह चुके हैं. राजअचल राजभर को बसपा संगठन के शिल्पकार के रुप में जाना जाता है. वे बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
राकेश राठौर- सीतापुर से बीजेपी के टिकट पर सदर विधायक राकेश राठौर अब समाजवादी पार्टी के हो चुके हैं. वे पिछले काफी दिनों से बीजेपी विधायक होने के बाद भी यूपी की योगी सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं. उन्होंने कोरोना काल के दौरान पीएम मोदी के ताली और थाली पर भी तंज कसा था.
सुभाष पासी- विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुभाष पासी भी दल बदल के खेल का हिस्सा बन चुके हैं. सुभाष पासी गाजीपुर की सैदपुर सीट से सपा के टिकट पर लगातार दुसरी बार विधायक हैं. उनके आने से बीजेपी को अब पूर्वांचल में दलित वोटों को साधने में मदद मिलेगी.
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