Year Ender 2022: यूपी की वो 5 राजनीतिक घटनायें जो हमेशा जेहन में रहेंगी जिंदा, पढ़ें यहां
UP Politics: यूपी की राजनीति से जुड़ी साल 2022 की कई ऐसी यादें रहीं जो जेहन में हमेशा जिंदा रहेगी. इस साल की शुरूआत विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) से हुई थी.
Year Ender 2022: उत्तर प्रदेश के लिए साल 2022 राजनीतिक रूप से काफी अहम रहा. साल की शुरूआत राज्य में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) से हुई, जबकि राज्य में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव (UP Bypolls) के बाद साल खत्म हुआ. लेकिन इस दौरान साल में कई ऐसे रजनीतिक बदलाव देखने को मिले जिसकी यादें जेहन में हमेंशा के लिए जिंदा रहेगी.
सत्ता बचाने में बीजेपी कामयाब- यूपी में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी बहुमत के साथ राज्य में अपनी सत्ता बचा ली. दरअसल, 1985 के बाद राज्य में को भी पार्टी सरकार में रही हो लेकिन पांच साल सरकार चलाने के बाद विधानसभा चुनाव में जीत नहीं दर्ज कर पाई. हालांकि इस रिकॉर्ड को बीजेपी ने तोड़ा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को राज्य की 403 सीटों में से 275 पर जीत मिली.
रामपुर में आजम खान का अभेद्य किला ध्वस्त- यूपी विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट से आजम खान ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की. इसके बाद उन्होंने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद यहां चुनाव हुआ और बीजेपी के घनश्याम लोधी ने आजम खान के करीबी आसिम रजा को इस चुनाव हरा दिया. इसके बाद नवंबर में हेट स्पीच केस में सजा होने के बाद आजम खान की सदस्यता चली गई. तब रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ और इस बार भी बीजेपी ने जीत दर्ज की. अब बीते 45 सालों में ऐसा पहली बार है जब रामपुर सीट पर आजम खान के परिवार से कोई सांसद या विधायक नहीं है.
सपा के 'गढ़' आजमगढ़ में बीजेपी की सेंधमारी- यूपी विधानसभा चुनाव में करहल सीट पर जीत दर्ज करने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में बीजेपी ने सपा के गढ़ में जीत दर्ज की. इस सीट पर दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को हरा दिया. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी की ये पहली जीत थी.
मुलायम सिंह यादव का निधन- नेताजी का निधन इस साल की सबसे दुखद राजनीतिक घटना रही. 10 अक्टूबर को सपा संस्थापक का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है. मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा निधन के वक्त वे सपा के अभेद्य किला मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद भी थे. उनके निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ.
नेताजी के गढ़ पर बड़ी बहू का कब्जा- मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस सीट पर उपचुनाव में नेताजी की बहू डिंपल यादव ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की. इस सीट पर डिंपल यादव ने सपा के टिकट पर बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को करीब 2.88 लाख वोट के अंतर से हराया. इस सीट पर सबसे ज्यादा अंदर जसवंत नगर में रहा, जहां उन्होंने रिकॉर्ड 1.06 लाख की लीड ली. इससे पहले मैनपुरी में नेताजी ने 94 हजार वोट के अंतर से 2019 में जीत दर्ज की थी.